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ये डेट करेगी कमलनाथ के भाग्य का फैसला, जानिये किसने दी
फिलहाल विधानसभा का सत्र स्थगित होने को कमलनाथ की जीत कहा जा सकता है क्योंकि राज्यपाल के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र 26 मार्च तक स्थगित कर दिया है। इससे भाजपा खेमे पर विधायकों को लंबे समय तक रोके रखने की मुसीबत आ गई है जो कि फिलहाल की स्थितियों में आसान नहीं है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को भले ही विधानसभा का सत्र स्थगित कराने में कामयाबी मिल गई हो लेकिन उनकी सरकार की स्थिति संभलती नहीं दिखायी दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का भी यही मानना है कि दो अप्रैल तक कमलनाथ सरकार चली जाएगी और इसके बाद राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकारों का भी नंबर लगेगा।
ताजा स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 26 मार्च तक के लिए स्थगित हो गया है। इसमें कई फैक्टर हैं पहला ये कि कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि वर्तमान स्थिति में जब तक कि कांग्रेस विधायक जिन्हें भाजपा ने बेंगलुरु में पुलिस की मदद से बंधक बनाया हुआ है वह आ नहीं जाते। दूसरा फैक्टर कोरोना वायरस का बताया जा रहा है।
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फिलहाल विधानसभा का सत्र स्थगित होने को कमलनाथ की जीत कहा जा सकता है क्योंकि राज्यपाल के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र 26 मार्च तक स्थगित कर दिया है। इससे भाजपा खेमे पर विधायकों को लंबे समय तक रोके रखने की मुसीबत आ गई है जो कि फिलहाल की स्थितियों में आसान नहीं है।
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हालांकि दूसरी ओर भाजपा समर्थित विश्लेषकों का कहना है कि अब तो कांग्रेस के और विधायक भी टूट कर आएंगे। आज के घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि कमलनाथ अपनी अल्पमत सरकार का फ्लोर टेस्ट कराने से कतरा रहे हैं।
कितना सफल होता है ये फैक्टर
मध्य प्रदेश में राजनीतिक विश्लेषकों के अलावा एक और फैक्टर भी बहुत काम करता है वह ज्योतिषियों और तांत्रिकों का। सत्ता पर जब जब संकट आता है चाहे वह दिग्विजय हों, कमलनाथ या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान सभी ज्योतिषियों और तांत्रिकों की शरण में भागते हैं। ऐसे मौके पर मध्यप्रदेश में बड़े बड़े अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं।
मध्यप्रदेश की फिजां में तैर रही दो अप्रैल की डेट भी इन्हीं ज्योतिषियों और तांत्रिकों के मठों से निकली बतायी जाती है। नतीजा चाहे जो हो देखना यह है कि कमलनाथ सरकार ये गिनती के दिन पूरे कर पाती है या डूब जाती है।