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क्या आप योगी के भाई बालकनाथ को जानते हैं, जिनका मोदी कैबिनेट में है दावा

17 सितंबर 2017 को महंत चांदनाथ योगी गम्भीर बीमारी के कारण ब्रह्मलीन हुए जिसके बाद महंत बालकनाथ योगी ने अस्थल बोहर के मठाधीश के रूप में नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े मठ का दायित्व आठवें मठाधीश के रूप में संभाला।

Shivakant Shukla
Published on: 30 May 2019 6:26 PM IST
क्या आप योगी के भाई बालकनाथ को जानते हैं, जिनका मोदी कैबिनेट में है दावा
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लखनऊ: लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने बूते बहुमत का आकंडा पार कर लिया है और अब मोदी सरकार अपने मंत्रिमंडल का गठन कर रहे है। इसी बीच खबर है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाई भी संसद पहुंचने में कामयाब हुये है, अब देखना है कि प्रधानमंत्री मोदी उन्हे अपने मंत्रिमंडल में शामिल करते है कि नहीं।

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लोकसभा चुनाव में अलवर से जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी बालकनाथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु भाई है। योगी आदित्यनाथ की तरह ही वह भी नाथ संप्रदाय से संबंध रखते है। बालकनाथ ने साढ़े 6 साल की उम्र में ही सन्यास ले लिया था और अपना घर छोडकर आश्रम चले गए। अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को किसान परिवार में उर्मिला देवी व सुभाष यादव के यहां गुरुवार को महंत बालकनाथ योगी का जन्म हुआ। इनके दादाजी का नाम फूलचंद यादव व दादी का नाम संतरो देवी है।

महंत बालकनाथ योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी बहरोड़ से विधायक रहे व अलवर से सांसद भी बने लेकिन उनका लंबी बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया। 29 जुलाई 2016 को ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व योगगुरु बाबा रामदेव और देश भर के प्रमुख संतो की उपस्थिति में गुरूमुख महंत बालकनाथ योगी को अस्थल बोहर का आठवां उत्तराधिकारीघोषित किया गया।

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17 सितंबर 2017 को महंत चांदनाथ योगी गम्भीर बीमारी के कारण ब्रह्मलीन हुए जिसके बाद महंत बालकनाथ योगी ने अस्थल बोहर के मठाधीश के रूप में नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े मठ का दायित्व आठवें मठाधीश के रूप में संभाला।

योगी आदित्यनाथ और बालकनाथ के नाथ सम्प्रदाय के बारे में मान्यता है कि उसकी स्थापना आदिनाथ भगवान शिव ने की थी। कहा जाता है कि भगवान शिव से मत्स्येन्द्रनाथ ने ज्ञान प्राप्त किया था और फिर मत्स्येन्द्रनाथ के शिष्य गोरखनाथ हुए। गोरखनाथ के कारण नाथ संप्रदाय बहुत लोकप्रिय हो गया। कहा जाता है कि उसी के बाद से इस संप्रदाय को मानने वाले लोग अपने नाम के पीछे नाथ लगाने लगे। मान्यताओं के अनुसार नाथ संपद्राय से जुड़े लोग कान छिदवाते हैं।



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