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निर्धारित चुनाव खर्च का आधा भी खर्च नहीं कर पाते प्रत्याशी, फिर भी सीमा बढ़ाने की मांग

Charu Khare
Published on: 3 July 2018 1:34 PM IST
निर्धारित चुनाव खर्च का आधा भी खर्च नहीं कर पाते प्रत्याशी, फिर भी सीमा बढ़ाने की मांग
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लखनऊ : जितनी यह बात सही है कि प्रत्याशी अपने चुनाव खर्च का कुछ ही हिस्सा सार्वजनिक करते हैं, उतनी ही सच्चाई यह भी है कि सार्वजनिक किया गया खर्च तय सीमा के चुनाव खर्च से काफी कम होता है। विडंबना यह है कि इसके बावजूद वे खर्च की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। यह अलग बात है कि चुनाव खर्च का जो व्यौरा दाखिल उसका वास्तविक खर्च से कुछ भी वास्ता नहीं होता।

यह सामान्य तौर पर सभी को मालूम होता है कि चुनाव आयोग जहा लाखो में खर्च निर्धारित करता है वह प्रत्याशी करोडो की राशि लगा देते हैं लेकिन जब उनके खर्च का विवरण जमा होता है तो वह राशि काफी सिमट जाती है। यहाँ प्रश्न यह है कि जब पुराने निर्धारण की आधी राशि वे नहीं खर्च कर पा रहे तो फिर खर्च की सीमा बढ़ाने की जरुरत क्यों ?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स और नेशनल इलेक्शन वॉच ने ताजा रिपोर्ट में देश के कुल वर्तमान 4120 विधायकों में से 4087 के चुनाव खर्च और वोटों में हिस्सेदारी पर रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक सिर्फ 11 राज्यों के विधायकों ने कुल खर्च सीमा का 50 फीसद से अधिक खर्च किया।

इसमें भी सबसे ज्यादा खर्च प्रचार के दौरान इस्तेमाल किए गए विभिन्न वाहनों पर किया गया। वोट प्रतिशत के मामले में सरकार बनाने वाली कोई भी पार्टी या गठबंधन 55 फीसद से अधिक वोट पाने में नाकाम रहे हैं। आपराधिक मामलों वाले कुल 1356 विधायकों में से 128 के खिलाफ चुनाव में धांधली के आरोप हैं। इनमें से 74 फीसद 40 फीसद से अधिक वोट पाकर विधायक बने। इस रिपोर्ट में मेघालय और कर्नाटक के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है।

मौजूदा खर्च सीमा

2014 में भारत सरकार के निर्देश पर चुनाव आयोग ने लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की सीमा को बढ़ाया था। विधानसभा चुनावों में बड़े राज्यों के लिए इस सीमा को 16 लाख से बढ़ाकर 28 लाख रुपये किया गया और छोटे राज्यों के लिए इसे 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया।

केरल में सर्वाधिक चुनाव खर्च

कुल विधायकों में से 11 राज्यों के विधायकों ने इस खर्च की सीमा का 50 फीसद से अधिक धन खर्च किया। इसमें केरल सबसे आगे रहा। यहां के विधायकों ने तकरीबन 70 फीसद धन का उपयोग किया। अन्य राज्य हैं- त्रिपुरा, गुजरात, उत्तराखंड, मिजोरम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, चंडीगढ़, असम और बिहार।

वाहनों पर सर्वाधिक खर्च

पिछले पांच वर्षों (2013-2018) में जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं वहां विधायकों ने सबसे ज्यादा खर्च किया है चुनाव प्रसार में इस्तेमाल किए गए वाहनों पर। प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से चुनाव प्रसार पर महज पांच फीसद धन खर्च किया गया।

किसी भी दल या गठबंधन को 55 फीसद से अधिक वोट नहीं

सरकार बनाने वाले किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन को अब तक 55 फीसद से अधिक वोट नहीं मिले हैं। अरुणाचल प्रदेश में यह हिस्सेदारी सर्वाधिक 53.1 फीसद रही है। झारखंड की सबसे कम 31.2 फीसद रही। 50 फीसद से अधिक वोट फीसद वाली सरकारें रहीं- गुजरात, त्रिपुरा, सिक्किम, और हिमाचल प्रदेश।

1356 विधायकों पर आपराधिक मामले

कुल विधायकों में से 1356 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 128 पर चुनावी गड़बड़ियां करने का आरोप है। इसमें रिश्वतखोरी, चुनाव में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना या अवैध तरीके से चुनाव संबंधी भुगतान करना।

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