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बढ़ सकता है चुनाव में खर्च की सीमा, आयोग कर रहा इस पर विचार
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए केन्द्रीय चुनाव आयोग कुछ परिवर्तन करने की तैयारी में है। इसमें सबसे पहले चुनाव की खर्च सीमा को बढ़ाया जाना शामिल है।
नई दिल्ली: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए केन्द्रीय चुनाव आयोग कुछ परिवर्तन करने की तैयारी में है। इसमें सबसे पहले चुनाव की खर्च सीमा को बढ़ाया जाना शामिल है। चर्चा है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की खर्च सीमा को 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। आयोग जल्द ही इसकी घोषणा करेगा।
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चुनाव प्रचार और रैलियों में यह खर्च अतिरिक्त हो सकता है
गौरतबल है कि हाल ही में चुनाव आयोग ने अक्टूबर-नवम्बर में बिहार विधानसभा के आम चुनाव के साथ 64 विधानसभा सीटों तथा एक संसदीय सीट के उपचुनाव शामिल हैं। आयोग का मानना है कि कोरोना के चलते उम्मीदवारों और अनके समर्थको को मास्क सेनिटाइजर तथा अन्य जरूरी सामान का इस्तेमाल करने से चुनावी खर्च बढ़ सकता है। इस दौरान चुनाव प्रचार और रैलियों में यह खर्च अतिरिक्त हो सकता है। इसलिए यह बेहद आवश्यक हो सकता है। चुनाव आयोग को पता है कि प्रत्याशी इस दौरान मतदाताओ को भी मास्क आदि बांटने का काम कर सकते है। आयोग इसे अच्छा कदम मान रही है। बिहार में सात करोड़ 18 लाख मतदाता हैं। बूथों की संख्या 72 हजार आठ सौ है, जिसे बढ़ाकर एक लाख छह हजार किया जा रहा है।
elections (social media)
सूत्रों ने बताया कि बिहार में 33 हजार अतिरिक्त बूथ बनाए जा रहे हैं
सूत्रों ने बताया कि बिहार में 33 हजार अतिरिक्त बूथ बनाए जा रहे हैं। उसी अनुपात से चुनाव कर्मचारी, ईवीएम एवं सुरक्षा की व्यवस्था भी बढ़ानी पड़ेगी। इसके साथ ही डेढ़ लाख कर्मचारियों की अतिरिक्त ड्यूटी लगेगी, जिनके भत्ते आदि पर खर्च बढ़ेंगे। वोटरों एवं चुनाव कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए शारीरिक दूरी की भी व्यवस्था करनी होगी। राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों को भी उसी हिसाब से तैयारी करनी पड़ेगी।
पिछले महीने ही चुनाव आयोग एक कमेटी का गठन कर चुकी है
पिछले महीने ही चुनाव आयोग एक कमेटी का गठन कर चुकी है जो खर्च सीमा निर्धारित करने को लेकर अपनी रिपोर्ट देगी। फिलहाल उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा 28 लाख रुपये निर्धारित है। इस पर चुनाव आयोग की ओर से गठित कमेटी विचार-विमर्श के बाद अपनी राय देगी। चुनाव आचार संहिता के नियम 90 में चुनावी खर्च की सीमा व्याख्या की गयी है। इसमें किसी भी तरह के बदलाव को लेकर कानून मंत्रालय की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
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हालांकि चुनाव आयोग इस पक्ष में है कि बिहार चुनाव के अलावा अन्य 64 विधानसभा की सीटों के चुनाव में डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार किया जाए। पर अधिकतर दल इसके लिए तैयार नहीं है। इन राजनीतिक दलों का माध्यम है कि बिहार जैसे राज्य में डिजटल प्रचार चुनावी सफलता नहीं कही जाएगी। ऐसे में आयोग को उम्मीदवार के चुनावी खर्च को लेकर तय की गई 28 लाख रुपये की सीमा के बारे में फिर से विचार करना चाहिए।
श्रीधर अग्निहोत्री
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