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रायबरेली: पहले की मीटिंगों में भी सीएमओ के काम-काज पर उठते रहे हैं सवाल

रायबरेली के सीएमओ डॉ संजय शर्मा का कामकाज हमेशा हैरानी वाला रहा। कोरोना समीक्षा बैठकों में जिला प्रशासन के अधिकारी जब भी कोई जानकारी मांगते तो उसका सीधा सटीक उत्‍तर उनके पास नहीं होता था।

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Published on: 9 Sep 2020 10:01 AM GMT
रायबरेली: पहले की मीटिंगों में भी सीएमओ के काम-काज पर उठते रहे हैं सवाल
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रायबरेली: पहले की मीटिंगों में भी सीएमओ के काम-काज पर उठते रहे हैं सवाल (file photo)

लखनऊ: रायबरेली के सीएमओ डॉ संजय शर्मा का कामकाज हमेशा हैरानी वाला रहा। कोरोना समीक्षा बैठकों में जिला प्रशासन के अधिकारी जब भी कोई जानकारी मांगते तो उसका सीधा सटीक उत्‍तर उनके पास नहीं होता था। इसका खुलासा जिला प्रशासन की बैठकों में मौजूद अधिकारियों ने किया है। इस बारे में शासन स्‍तर से भी रिपोर्ट जुटाई गई है। मंडलायुक्‍त मुकेश मेश्राम भी रायबरेली जाकर मामले की जानकारी हासिल कर चुके हैं।

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पहले से सीएमओ के काम-काज पर उठते रहे हैं सवाल

बताया जा रहा है कि जिला अधिकारी स्‍तर पर कोरोना संक्रमण नियंत्रण की बैठकों में पहले भी सीएमओ के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठते रहे हैं। बैठकों में मौजूद रहने वाले अधिकारियों ने बताया है कि सीएमओ डॉ संजय शर्मा को विभाग के कामकाज की भी पूरी जानकारी नहीं होती थी । जिला प्रशासन की मीटिंग में गुमराह करने और टालने वाले जवाब ही दिया करते थे।

पहले की मीटिंगों के बारे में एक अधिकारी ने बताया

पहले की मीटिंगों के बारे में एक अधिकारी ने बताया कि सीएमओ से जब पूछा गया कि आरटीपीसीआर टेस्ट कम क्‍यों हुए, तो उनका जवाब था कि मुझे भी बड़ी हैरानी है कि यह क्यों कम हुए। दोबारा पूछा गया कि किस एमएमयू ने कितने टेस्ट किये, उन्होंने कहा उन्हें जानकारी नहीं है । इसके बाद अधिकारियों को मजबूर होकर व्‍यवस्‍था करनी पडी कि प्रतिदिन रिपोर्ट में हर एमएमयू की अलग अलग सूचना दर्ज की जाए कि उसने कितने टेस्‍ट किए हैं।

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न्‍यूज ट्रैक को मिली जानकारी के अनुसार

न्‍यूज ट्रैक को मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उच्‍च अधिकारियों को बताया है कि जिले में 60 एएनएम सेंटर ख़ाली होने की जानकारी मिलने पर सीएमओ को लगातार एएनएम को तैनात करने के निर्देश जिलाधिकारी स्‍तर से दिए गए लेकिन अत्यंत संदिग्ध रूप में उनके स्‍तर से ना तो तैनाती ही की गई और ना ही इस सम्बंध में कोई पत्रावली ही उच्‍च स्‍तर पर प्रस्तुत की गई।

खरीद पर भी उठे सवाल

सीएमओ ने जिलाधिकारी की मीटिंग में शासन से ख़रीद के लिए उपलब्ध धनराशि से वीटीएम ख़रीदने का प्रस्ताव दिया । जब जिला प्रशासन ने पूछा कि आपके पास शासन से लगातार वीटीएम उपलब्ध कराई जा रही है इसके बावजूद ऐसा भ्रामक खरीद प्रस्ताव क्‍यों किया गया तो वह निरुत्तर रहे । उन्हें बार बार अवगत कराया गया है कि उनकी माँगों को कोविड के दृष्टिगत सर्वोच्च प्राथमिकता दो जाती है , ऐसे में इस तरह के भ्रामक प्रस्ताव किसी घोटाले का कारण बन सकते हैं।

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जिला प्रशासन का आरोप यह भी है कि सीएमओ के स्‍तर पर हर मामले में सूचना मांगने पर कहा जाता है कि उन्‍हें पता नहीं , टीम काम कर रही है। पर टीम लीडर के तौर पर स्वयं उत्तरदायित्व निभाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। यही इतना नहीं जब सीएमओ की ओर से जिलाधिकारी पर आरोप लगाए गए उसके बाद हुई एक बैठक में भी वह यह नहीं बता पाए कि जिले में ऐंटिजेन की संख्या कितनी है। मीटिंगों में जानकारी देने के मौके पर उन्होंने बताया कि उन्‍होंने मात्र डेटा एंट्री ऑपरेटर से इस सम्बंध में वार्ता की है । वह कभी किसी भी प्रभारी चिकित्‍सक से जानकारी हासिल नहीं करते।

अखिलेश तिवारी

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