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अभी-अभी भागते हुए पैदल जामिया यूनिवर्सिटी पहुंचे शशि थरूर, जानें पूरा मामला

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) देश में लागू हो चुका है। इसे लेकर कई जगहों पर विरोध भी हो रहा है। इस बीच रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर नागरिकता कानून पर अपने संबोधन के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पहुंचे।

Aditya Mishra
Published on: 12 Jan 2020 2:52 PM GMT
अभी-अभी भागते हुए पैदल जामिया यूनिवर्सिटी पहुंचे शशि थरूर, जानें पूरा मामला
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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में लोगों का प्रदर्शन जारी है। रविवार रात यहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर पहुंचे। शशि थरूर धरना-प्रदर्शन कर रही महिलाओं को साहसी बताया। उन्होंने कहा 'आप शहर की शान है, भारत देश की जान हैं। ' बताया जा रहा है कि शशि थरूर मेट्रो से जेएनयू भी पहुंच रहे हैं।

यहां आने से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर नागरिकता कानून पर अपने संबोधन के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पहुंचे थे। शशि जामिया पहुंचते इससे पहले ही जाम में फंस गए। पुलिस बैरिकेडिंग के कारण वो अपनी कार छोड़कर पैदल ही जामिया यूनिवर्सिटी गए।

शशि थरूर ने नागरिकता संशोधन कानून पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सीएए अलोकतांत्रिक और भेदभावपूर्ण है। यह भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा है।

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CAA और एनआरसी असंवैधानिक और भेदभाव पूर्ण:शशि थरूर

शशि थरूर ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को असंवैधानिक और भेदभाव पूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने जानबूझकर एक खास धर्म के लोगों को छोड़ दिया है। शशि थरूर ने कहा कि मैं देरी से आया हूं. कुछ परेशानी थी, केरला तक आपकी आवाज गई। देश की सबसे बहादुर महिलाएं शाहीन बाग की हैं। सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही है।

मैं संसद इस बिल के खिलाफ बोला, लेकिन हमारी एक न चली। जब घर-घर NPR के लिए लोग आएंगे तो हम उन्हें कुछ नहीं बताएंगे। मोदी और अमित शह जी ने भगवा चलाया, लेकिन हम तिरंगा चलाएंगे।

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भारत की पहचान एक धर्म और एक जाति के रूप में नहीं है: शशि थरूर

इससे पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक मीडिया से बातचीत में कहा था कि भारत की पहचान एक धर्म और एक जाति के रूप में नहीं है, लेकिन फिर भी भारत में एकता है। जेएनयू में हुई हिंसा के खिलाफ छात्र सड़क पर उतर आए। इस प्रदर्शन में राजनीति से दूर रहने वाले कॉलेज का साथ आना सबसे अहम है।

शशि थरूर ने आगे कहा था कि जब मैं कॉलेज में था, तब जय प्रकाश नारायण का आंदोलन चला था। मेरे सहपाठियों ने पूछा कि क्या हम इस आंदोलन में हिस्सा लेंगे तो मैंने कहा था कि हम गैर राजनीतिक संगठन हैं। छात्र संघ के रूप में हम इस आंदोलन में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। हालांकि, हम इस आंदोलन में हिस्सा लेने से किसी को नहीं रोकेंगे।

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Aditya Mishra

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