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येदियुरप्पा की जा सकती है कुर्सी! 4 मार्च को फैसला, कर्नाटक में फिर सियासी नाटक
ऐसा कहा जाता है कि बीएस येदियुरप्पा की बढ़ती उम्र की वजह से पार्टी और लिंगायत समाज पर पकड़ कमजोर हुई है। बता दें कि अभी मुख्यमंत्री 78 वर्ष के हैं। वहीं, दूसरी ओर उनके विरोध उन्हें घेरने की तैयारियों में लगे हुए हैं।
बेंगलुरु: कर्नाटक में कई बार मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा (CM B.S. Yediyurappa) की कुर्सी पर खतरा मंडरा चुका है। इस बीच एक बार फिर से इस बात को हवा मिलने लगी है। बता दें कि इन दिनों राजधानी बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में लिंगायतों का एक धड़ा 15 फीसदी आरक्षण की मांग के साथ धरने पर बैठा हुआ है। वहीं, सीएम येदियुरप्पा के विरोधी इस मुहिम को हवा देने में लगे हुए हैं।
बीएस येदियुरप्पा का तलाशा जा रहा विकल्प?
ऐसे में चर्चा है कि बढ़ती उम्र के कारण कद्दावर लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा का विकल्प तलाशा जा रहा है। वहीं, लिंगायतों की पंचमसाली उपजाति के एक बड़े धर्म गुरु बसवा मृत्युंजय स्वामी ने ये प्रण लिया है कि जब तक पंचमसालियों को शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में 15 फीसदी आरक्षण नहीं दिया जाता है, वो मठ वापस नहीं जाएंगे। इसके साथ ही ये भी कि बी. एस. येदियुरप्पा सरकार इस मामले में चार मार्च तक अपना फैसला सुनाए।
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(फोटो- ट्विटर)
येदियुरप्पा की बढ़ी टेंशन
वहीं इस बीच येदियुरप्पा की टेंशन काफी ज्यादा बढ़ गई है। इसकी वजह ये है कि लिंगायतों की सौ के आसपास उप-जातियां हैं, जिसमें पंचमसाली सबसे बड़ी कहलाती है। लिंगायतों की आबादी में से 55 से 60 फीसदी पंचमसाली है, मलतब कृषक लिंगायतो की।
वहीं, मामले में पंचमसाली लिंगायत नेता मुर्गेश नीरानी ने कहा, यह लोग कृषक हैं। ये गांव में रहते हैं और आर्थिक तौर पर कमजोर हैं। ऐसे में करीब ढाई दशकों से हम इन लोगों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर बीजेपी विधायक बसवण्णा गौड़ पाटिल यतनाल ने इस मुहिम को हवा देने का काम किया। दरअसल, उन्होंने कहा कि अगला मुख्यमंत्री कर्नाटक से ही होगा।
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क्या उम्र बनी परेशानी की वजह?
ऐसा कहा जाता है कि बीएस येदियुरप्पा की बढ़ती उम्र की वजह से पार्टी और लिंगयत समाज पर पकड़ कमजोर हुई है। बता दें कि अभी मुख्यमंत्री 78 वर्ष के हैं। वहीं, दूसरी ओर उनके विरोध उन्हें घेरने की तैयारियों में लगे हुए हैं।
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