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140 सदस्यों की केरल विधानसभा, इतने मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

पिछले विधानसभा चुनाव में वाम दलों ने 43.48 फीसदी वोट हासिल कर 91 सीटें जीतीं थीं। वहीं यूडीएफ ने 38.81 प्रतिशत वोट लेकर 47 सीटें पाईं थी।

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Published on: 24 March 2021 7:00 AM GMT
140 सदस्यों की केरल विधानसभा, इतने मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
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140 सदस्यों की केरल विधानसभा, इतने मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला (PC: social media)

नई दिल्ली: पांच राज्यों में भाजपा के लिए सबसे कठिन राज्यों में से एक केरल में आगामी छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कुल 957 प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे है। बतातें चलें कि केरल में 140 सदस्यों की विधानसभा है जहां 2,74,46,039 मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला अगले महीने की छह तारीख को करेंगे।

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पिछले विधानसभा चुनाव में वाम दलों ने 43.48 फीसदी वोट हासिल कर 91 सीटें जीतीं थीं। वहीं यूडीएफ ने 38.81 प्रतिशत वोट लेकर 47 सीटें पाईं थी। वहीं भाजपा के खाते में सिर्फ एक सीट और 14.96 प्रतिशत वोट आए थे। जबकि एक सीट पर पी.सी. जॉर्ज जीते थे जिनकी पार्टी किसी राजनीतिक मोर्चे से जुड़ी नहीं है।

इस विधानसभा चुनाव में परम्परागत तौर पर पुराने दल ही मैदा में हैं

इस विधानसभा चुनाव में परम्परागत तौर पर पुराने दल ही मैदा में हैं पर इस बार भाजपा भी काफी जोरशोर से लगी है। चुनाव में मुख्य मुकाबला, सत्तारूढ़ सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच होने जा रहा है। पर भाजपा भी मेट्रो मैन ई श्रीधरन के नेतृत्व में चुनाव मैदान में पहली बार आत्मविष्वास से उतरी है।

वे पारंपरिक भारतीय तरीके से उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त कर रहे थे

आरोप प्रत्यारोपों के दौर के बीच पलक्कड़ से भाजपा प्रत्याशी मेट्रो मैन ई श्रीधरन उस समय वाम दलों के निशाने पर आ गए जब प्रचार के दौरान मतदाताओं द्वारा उनके पैर छूने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। श्रीधरन ने इसका बचाव करते हुए कहा कि वे पारंपरिक भारतीय तरीके से उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त कर रहे थे।

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मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की अगुवाई में वाम दल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। उनकी कोशिश है कि वे पहली ऐसी सरकार बनें जो सत्ता में रहते हुए दोबारा लौटे। वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सत्ता हासिल करने के लिए जी-जान से जुटी है। उधर भाजपा के लिए तो उस सीट को बरकरार रखना ही बड़ी चुनौती है, जो उसने पिछले चुनाव में जीती थी। हालांकि भाजपा का कहना है कि वो इस बार बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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