हुड्डा से झगड़े में छिनी तंवर की कुर्सी, शैलजा के सिर सजा कांटों का ताज

शैलजा की ताजपोशी के साथ ही हाईकमान ने हुड्डा और उनके समर्थकों को संतुष्ट करने के लिए उन्हें विधायक दल का नेता बनाया है। साथ ही राज्य चुनाव अभियान समिति का भी अध्यक्ष बनाया गया है।

Aditya Mishra
Published on: 4 Sep 2019 1:32 PM GMT
हुड्डा से झगड़े में छिनी तंवर की कुर्सी, शैलजा के सिर सजा कांटों का ताज
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चंडीगढ़: हरियाणा के कांग्रेस नेताओं में लंबे समय से चल रहे झगड़े को खत्म करने के लिए आखिरकार वही हुआ जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के बीच चल रहे झगड़े को समाप्त करने के लिए आलाकमान ने तंवर की कुर्सी छीनकर कुमारी शैलजा की ताजपोशी कर दी है।

शैलजा भी जानती हैं कि आलाकमान ने उन्हें कांटों का ताज सौंपा है और इसीलिए उन्होंने राज्य में पार्टी के सभी नेताओं से मिलकर काम करने की अपील की है।

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काफी दिनों से थी तंवर को हटाने की चर्चा

राज्य में हुड्डा और तंवर गुट के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है और इसी कारण हुड्डा लंबे समय से तंवर को कुर्सी से हटाने की मांग कर रहे थे। पिछले दिनों उन्होंने इस सिलसिले में सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी।

उन्होंने रोहतक में समर्थकों की बड़ी रैली भी आयोजित की थी। पहले माना जा रहा था कि वे रैली में कोई अलग दल बनाने का ऐलान कर सकते हैं मगर उन्होंने ऐसी कोई घोषणा नहीं की।

इससे माना गया कि आलाकमान से कोई आश्वासन मिलने के कारण उन्होंने ऐसा किया। तभी से सियासी हलकों में तंवर को हटाए जाने की चर्चा तैर रही थी।

कुमारी शैलजा को राज्य में पार्टी का दलित चेहरा माना जाता है और वे अम्बाला व सिरसा दोनों जगह से लोकसभा की सांसद रही हैं। उनके पिता चौधरी दलवीर सिंह राज्य के वरिष्ठ नेता रहे हैं। उनके पिता भी हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष और केन्द्र में कई बार मंत्री रहे हैं।

हुड्डा को भी आलाकमान ने किया खुश

शैलजा की ताजपोशी के साथ ही हाईकमान ने हुड्डा और उनके समर्थकों को संतुष्ट करने के लिए उन्हें विधायक दल का नेता बनाया है। साथ ही राज्य चुनाव अभियान समिति का भी अध्यक्ष बनाया गया है।

माना जा रहा है कि हुड्डा की नाराजगी इससे दूर होगी। इस बाबत ऐलान करते हुए वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने इस बात का भी ध्यान रखा कि कहीं इससे तंवर का खेमा न नाराज हो जाए।

इसी कारण उन्होंने कहा कि कांग्रेस बहुत बड़ी पार्टी है और इसमें सबके सम्मान का ध्यान रखा जाएगा और सबको मौका मिलेगा।

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दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश

कुमारी शैलजा गांधी परिवार की बहुत नजदीकी मानी जाती हैं। उन्हें सोनिया का करीबी माना जाता रहा है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले आलाकमान ने सोच समझकर यह कदम उठाया है।

इसके पीछे हुड्डा की नाराजगी को दूर करने के साथ ही दलित मतदाताओं को साधने की भी सोच है। हरियाणा में करीब 19 फीसदी दलित मतदाता हैं।

इसी कारण कांग्रेस ने दलित समुदाय से आने वाले अशोक तंवर को हटाकर दलित समुदाय की ही शैलजा की ताजपोशी की है। कुमारी शैलजा यूपीए सरकार में मंत्री रही चुकी है और हरियाणा की सियासत में बड़ा चेहरा मानी जाती हैं।

नई पार्टी बनाने से बच रहे थे हुड्डा

वैसे तंवर को हटाने की जिद पर अड़े नई पार्टी बनाने से बच रहे थे। उनके कई करीबियों ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी थी। रोहतक परिवर्तन महारैली के बाद बनाई 37 सदस्यीय कमेटी में शामिल नेताओं से अगली रणनीति के लिए राय ली मगर उनके ज्यादातर समर्थकों ने अलग पार्टी बनाने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया।

हुड्डा के गढ़ रोहतक, सोनीपत और झज्जर के समर्थक नेताओं की राय छोड़ दें तो अन्य जिलों के नेताओं ने अलग पार्टी बनाने की रणनीति से अपने को अलग रखा।

ज्यादातर नेताओं ने हुड्डा को कांग्रेस में रहकर ही हाईकमान के अनुसार संगठन मजबूत करके अपने राजनीतिक हित साधने का सुझाव दिया था। हुड्डा को उनके समर्थक नेताओं ने नई पार्टी नहीं बनाने के पीछे सार्थक तर्क भी दिए।

इन नेताओं का कहना था कि जल्द ही चुनाव आचार संहिता लगने की पूरी संभावना है, ऐसे में नई पार्टी का स्वरूप नहीं बन सकता।

इसके अलावा हुड्डा के तरकश में बसपा से समझौता करने का जो आखिरी तीर था वह भी जननायक जनता पार्टी के पाले में चला गया। ऐसे में हुड्डा को अब आलाकमान से ही कोई सम्मानजनक फैसले की उम्मीद बाकी रह गई थी।

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