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वामदलों ने श्रम कानूनों में बदलाव पर किया प्रदेशव्यापी विरोध-प्रदर्शन
यूपी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गये बदलावों के विरोध में वामदलों ने प्रदेश के सभी जिलों में धरना, भूख हड़ताल कर राज्यपाल व मुख्यमंत्री को 15 सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारियों व ई-मेल के जरिए भेजा।
लखनऊ: यूपी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गये बदलावों के विरोध में वामदलों ने प्रदेश के सभी जिलों में धरना, भूख हड़ताल कर राज्यपाल व मुख्यमंत्री को 15 सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारियों व ई-मेल के जरिए भेजा।
यूपी के विभिन्न जिलों में सोमवार को विरोध में शामिल वामदलों भाकपा, माकपा, भाकपा-माले तथा आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक द्वारा भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि योगी सरकार ने श्रम कानूनों को तीन साल के लिए निरस्त करके घोर मजदूर विरोधी और पूंजीपतियों के हित में फैसला लिया है।
मंडी कानूनों में संशोधन के जरिये किसानों को बड़े व्यापारियों और कंपनियों के हवाले कर दिया गया है। अमीरों पर टैक्स न बढ़ाकर मोदी सरकार ने डीजल व पेट्रोल के दामों में भारी वृद्धि कर दी जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इनके मूल्यों में रिकार्ड गिरावट दर्ज की गयी है।
हृदय रोग, टीबी, कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों का इलाज नहीं किया जा रहा है और रोज मौतें हो रही हैं। सरकार को अविलम्ब कोरोना के अलावा गंभीर बीमारियों का इलाज कराने की व्यवस्था करनी चाहिए।
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मांगपत्र में यह भी मांग की गयी सरकार अविलम्ब सभी राजनीतिक दलों की बैठक करके मुहल्ले और गांव स्तर तक समन्वय समितियां बनाये ताकि जनता को जागरूक करने और कोरोना से लड़ाई को कारगर बनाया जा सके।
इसके अलावा वामदलों ने डीजल, पेट्रोल के दामों में की गयी वृद्धि तत्काल वापस लेने, महामारी का सारा बोझ आम जनता पर डालना बन्द करने, अमीरों पर अधिक टैक्स लगाने, श्रम कानूनों को 3 साल के लिये रद्द करने का निर्णय वापस लेने।
काम के घंटे बढ़ाने का निर्णय वापस लेने, न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये करने, सभी संगठित और असंगठित, सरकारी और गैर सरकारी विभागों व उद्यमों में संविदा तथा अन्य श्रमिकों के बकाया वेतनों का भुगतान करने, सभी प्रवासी मजदूरों की घर वापसी सरकारी खर्चे पर किए जाने, हर श्रमिक, दिहाड़ी मजदूर तथा गरीब तथा आयकर से बाहर नागरिकों को साढ़े सात हजार रुपये हर महीने देने, हर काम करने योग्य व्यक्ति को पूर्ण रोजगार देने, राशनकार्ड अथवा गैर राशनकार्डधारी हर परिवार को 35 किलो खाद्यान्न हर माह निशुल्क देने, कोरोना वायरस से लड़ने के नाम पर जनता को भयाक्रांत और दंडित करना बन्द करने, कैंसर, टीबी, हार्ट, किडनी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज की फौरन व्यवस्था करने, गर्भवती महिलाओं के लिये घर पर कंसल्टेशन और प्रसूति की व्यवस्था करने, किसानों के उत्पाद- अनाज, सब्जी, फल, दूध आदि की उचित कीमत पर खरीदने, मौसम से प्रभावित गेहूं की खरीद करने और हर खरीद का तत्काल भुगतान करने, वर्षा और ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का मुआवजा फौरन देने तथा किसानों को 12 हजार रुपये की एकमुश्त मदद करने, मंडी कानून में किसान विरोधी संशोधन वापस लेने, कुटीर, लघु, मध्यम उद्योगों और छोटे व्यापारियों के लिये राहत पैकेज की घोषणा करने, अवसाद, अभाव से पीड़ित आत्महत्या करने वालों और रास्ते में दम तोड़ने वाले श्रमिकों के परिवारों को दुर्घटनाग्रस्त के बराबर आर्थिक सहायता देने तथा सभी की कोरोना जांच कराने, कोरोंटाइन और आइसोलेशन केन्द्रों में सुधार करने, दलितों, अल्पसंख्यकों, कमजोर तबकों और महिलाओं का उत्पीड़न और उन पर हिंसा रोकने, सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति बन्द करने तथा कोरोना की आड़ में तानाशाही लादने को नए नये-नये कानून थोपना बन्द करने और कोरोना से मुकाबले के लिये सभी दलों की बैठक बुलाई जाने व हर स्तर पर संयुक्त समितियां बनाने की मांग शामिल है।
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