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मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल में आया नया पेंचः शिवराज और संगठन इन्हें लेकर है खींचतान
शिवराज सिंह ने कोरोना संकटकाल के बीच 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 21 अप्रैल को उनहोंने पांच मंत्रियों को शपथ दिलाकर अपने मंत्रिमंडल का गठन किया था। इन पांच मंत्रियों में से दो सिंधिया खेमे से हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को अपनी कैबिनेट का विस्तार करने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के आज मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के बाद कल नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। हालांकि अभी तक मंत्रियों के नामों को लेकर उलझन का दौर खत्म नहीं हुआ है। शिवराज अपने कैबिनेट में कुछ वरिष्ठ विधायकों को लेने के इच्छुक हैं जबकि पार्टी का संगठन नए चेहरों को महत्व देना चाहता है। इसलिए मंत्रियों की सूची को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। वैसे कई नाम चर्चा में जरूर हैं।
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शिवराज बोले- अमृत बंटेगा, विष शिव पी जाएंगे
शिवराज सिंह ने कोरोना संकटकाल के बीच 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 21 अप्रैल को उनहोंने पांच मंत्रियों को शपथ दिलाकर अपने मंत्रिमंडल का गठन किया था। इन पांच मंत्रियों में से दो सिंधिया खेमे से हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक दूसरे विस्तार में लगभग 25 मंत्री शपथ ले सकते हैं। मंत्रियों के नामों को लेकर खींचतान के संबंध में पूछे जाने पर शिवराज ने कहां कि जब भी मंथन होता है तो अमृत निकलता है। अमृत तो बंट जाता है, लेकिन विष शिव पी जाते हैं। शिवराज सियासत के माहिर खिलाड़ी और उन्होंने एक गंभीर सवाल का सियासी जवाब देने की कोशिश की।
नहीं सुलझा विधानसभा अध्यक्ष का मुद्दा
दरअसल मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल के साथ जुड़े कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसका विवाद शिवराज के दिल्ली दौरे के बावजूद नहीं सुलझ सका। नए मंत्रियों के नामों के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद का मुद्दा भी अभी तक नहीं सुलझ सका है। सियासी जानकारों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को विधानसभा अध्यक्ष बनवाना जाते हैं, लेकिन अभी तक भार्गव के नाम पर सहमति नहीं बन सकी है। जानकारों के मुताबिक अगर भार्गव को विधानसभा अध्यक्ष न बनाकर मंत्री बनाया गया तो विधानसभा अध्यक्ष के रूप में सीताशरण शर्मा की ताजपोशी की जा सकती है।
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दो उपमुख्यमंत्री को लेकर भी सहमति नहीं
विधानसभा अध्यक्ष के साथ ही दो उपमुख्यमंत्री को लेकर भी अभी तक सहमति नहीं बनाई जा सकी है। जानकारों के मुताबिक हाईकमान की ओर से सिंधिया खेमे से जुड़े वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट और राज्य के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा को उपमुख्यमंत्री बनाने की बात कही गई है मगर शिवराज खुद ही इससे सहमत नहीं बताए जा रहे हैं। शिवराज खुद उपमुख्यमंत्री पद को लेकर सहज नहीं हैं मगर इसके लिए उनके ऊपर दबाव बढ़ता जा रहा है। शिवराज को यह बात पता है कि दो उपमुख्यमंत्री के साथ काम करना आसान काम नहीं है मगर बढ़ते दबाव के कारण शिवराज बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं।
सिंधिया एक भी नाम काटने को तैयार नहीं
मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की थी। सिंधिया के समर्थक 22 विधायकों की बगावत के कारण ही कमलनाथ की सरकार गिरी थी। सिंधिया के दो समर्थक विधायकों को शिवराज कैबिनेट में पहले ही जगह दी जा चुकी है। अब सिंधिया की ओर से आठ और विधायकों का नाम मंत्री बनाने के लिए दिया गया है। कमलनाथ सरकार में सिंधिया खेमे के 22 में से 6 विधायक मंत्री थे। अब सिंधिया ज्यादा विधायकों को मंत्री बनवाना चाहते हैं। सिंधिया अपनी सूची में एक भी नाम काटे जाने के लिए तैयार नहीं हैं।
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सिंधिया खेमे से ये नाम हैं चर्चा में
सिंधिया खेमे से इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया और राज्यवर्धन सिंह दत्ती गांव के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप ढंग और रणवीर जाटव को भी पार्टी की ओर से मंत्री बनाने का भरोसा दिया जा चुका है। निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल और बसपा के संजीव कुशवाहा को भी ऐसा ही भरोसा दिया गया है। जानकारों का कहना है कि ऐसे में शिवराज कैबिनेट का आकार बड़ा हो सकता है।
प्रदेश प्रभारी को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
सूत्रों के मुताबिक पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे के भोपाल आने के बाद नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सहस्त्रबुद्धे हाईकमान की ओर से नया फार्मूला लेकर आ रहे हैं ताकि मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने के साथ वरिष्ठ विधायकों को भी इसमें एडजस्ट किया जा सके। जानकारों के मुताबिक सहस्रबुद्धे वरिष्ठ विधायकों को चर्चा करने के लिए पार्टी ऑफिस भी तलब कर सकते है।
भाजपा की ओर से रामखेलावन पटेल, विष्णु खत्री, गोपाल भार्गव, मोहन यादव, उषा ठाकुर, प्रेम सिंह पटेल, अरविंद भदौरिया, अशोक रोहाणी, हरिशंकर खटीक, नंदनी मरावी, रामेश्वर शर्मा और चेतन कश्यप आदि के नाम सूची में बताए जा रहे हैं।
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महंगा पड़ सकता है असंतोष
जानकारों का कहना है कि नाम कटने की स्थिति में पुराने चेहरों को मनाना ही पार्टी नेतृत्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती लग रही है। दरअसल मध्यप्रदेश में जल्द ही विधानसभा की कई सीटों पर उपचुनाव होने हैं और ऐसे में पार्टी में कोई भी असंतोष भाजपा के लिए महंगा साबित हो सकता है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर फूंक -फूंक कर कदम रख रहा है। कांग्रेस चुनाव में भाजपा को पटखनी देकर कमलनाथ की सरकार गिराने का बदला लेना चाहती है। ऐसे में कमलनाथ की अगुवाई में पार्टी ने उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा कमलनाथ को कोई मौका नहीं देना चाहती। इसलिए वह काफी सतर्कता से कदम आगे बढ़ा रही है।
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