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सिंधिया आज ज्वाइन करेंगे BJP! इस शख्स की खुशी के लिए छोड़ दी कांग्रेस

मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेेस छोड़ने के बाद मध्य प्रदेश में सियासी घमासान शुरू हो गई है। सिंधिया अब कांग्रेस का हाथ छोड़, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामने वाले हैं।

Shreya
Published on: 11 March 2020 3:58 AM GMT
सिंधिया आज ज्वाइन करेंगे BJP! इस शख्स की खुशी के लिए छोड़ दी कांग्रेस
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सिंधिया आज ज्वाइन करेंगे BJP! इस शख्स की खुशी के लिए छोड़ दी कांग्रेस

भोपाल: मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेेस छोड़ने के बाद मध्य प्रदेश में सियासी घमासान शुरू हो गई है। सिंधिया अब कांग्रेस का हाथ छोड़, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामने वाले हैं। सिंधिया ने ये फैसला ले कर अपनी दादी की ख्वाहिश पूरी कर दी है, क्योंकि राजमाता विजयाराजे सिंधिया की ख्वाहिश थी कि उनका पूरा परिवार बीजेपी में ही रहे। हालांकि माधवराज सिंधिया और उनके बेटे ने बीजेपी को न चुनकर कांग्रेस का हाथ थामा था, लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है।

18 साल तक कांग्रेस के साथ जुड़े रहे सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया 18 साल तक कांग्रेस के साथ जुड़े रहे, लेकिन अब वो बीेजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपनी राजनीति की शुरूआत 1957 में कांग्रेस से की थी। लेकिन 10 साल बाद उनका मोहभंग हो गया और वो 1967 में राजसंघ में शामिल हो गईं।

विजयाराजे सिंधिया के चलते ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ में मजबूती आई और 971 में इंदिरा गांधी की लोकप्रियता के बाद भी जनसंघ ने यहां तीन सीटें जीतीं। विजयाराजे सिंधिया भिंड से, उनके बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से सांसद बने।

जनसंघ और अपनी मां से अलग हुए माधवराव सिंधिया

लेकिन विजयाराजे सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया बहुत दिनों तक जनसंघ में नहीं रुके और 1977 में इमरजेंसी के बाद उन्होंने अपने रास्ते जनसंघ और अपनी मां विजयाराजे सिंधिया से अलग कर लिये। फिर साल 1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर केंद्रीय मंत्री बने। 2001 में एक विमान हादसे में उनका निधन हो गया।

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कांग्रेस के मजबूत नेता बने रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया

पिता के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी पिता की विरासत संभालने का फैसला लिया और कांग्रेस के मजबूत नेता बने रहे। गुना सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद बने। 2002 में उन्होंने पहली बार चुनाव जीता और उसके बाद उन्होंने कभी भी हार का मुंह नहीं देखा, लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उनकी ये किस्मत पलट गई।

बेटियों ने भी चुनी राजनीति

वहीं विजयाराजे सिंधिया की बेटियों ने भी राजनीति में उतरने का फैसला लिया और उनकी दो बेटियों वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया ने राजनीति में एंट्री की। साल 1984 में वसुंधरा राजे बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुईं। वो कई बार मुख्यमंत्री के तौर पर राजस्थान की कमान संभाल चुकी हैं।

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वहीं वसुंधरा राजे सिंधिया की बहन यशोधरा राजे साल 1977 में अमेरिका चली गईं। फिर जब वो साल 1994 में भारत लौंटी तो उन्होंने मां की इच्छानुसार बीजेपी ज्वाइन कर ली और 1998 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। यशोधरा राजे पांच बार विधायक रह चुकीं हैं और वो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री भी रही हैं।

अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दादी की ख्वाहिश की पूरी

राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत भी बीजेपी का ही हिस्सा हैं। ऐसे में पूरा खानदान धीरे-धीरे करके बीजेपी में शामिल हो चुका था, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया काफी वक्त तक कांग्रेस से जुड़े रहे। लेकिन अब उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया है और ऐसे में उन्होंने अपनी दादी की ख्वाहिश पूरी कर दी।

बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी काफी खुश

वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस फैसले से उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी काफी खुश हैं। उन्होंने इस बारे में ट्वीट भी किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मुझे अपने पिता पर खुद के लिए एक स्टैंड लेने के लिए गर्व है। एक विरासत से इस्तीफा देने के लिए साहस चाहिए। मैं यह कह सकता हूं कि मेरा परिवार कभी सत्ता का भूखा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि भविष्य में देश और मध्यप्रदेश के प्रभावी बदलाव के लिए हम वादा करते हैं।



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