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महाराष्ट्र: राष्ट्रपति शासन पर SC में सुनवाई आज, यहां जानें पूरा घटनाक्रम

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर लगातार राजनीतिक दल अपना हित साधने में लगे हैं। फिर भी सरकार नहीं बन पाई है,और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी।

Aditya Mishra
Published on: 13 Nov 2019 4:42 AM GMT
महाराष्ट्र: राष्ट्रपति शासन पर SC में सुनवाई आज, यहां जानें पूरा घटनाक्रम
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महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर लगातार राजनीतिक दल अपना हित साधने में लगे हैं। फिर भी सरकार नहीं बन पाई है,और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी।

राज्यपाल की सिफारिश को मंगलवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी। अब इसी के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची है, जिसपर आज सुनवाई होनी है।

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नागपुर जाएंगे शरद पवार

एनसीपी के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार गुरुवार को नागपुर का दौरा करेंगे।

दूसरी याचिका पर संशय में शिवसेना!

महाराष्ट्र मसले पर सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की तरफ से राष्ट्रपति शासन के खिलाफ भी दूसरी अर्जी नहीं दाखिल की जा सकती है। इसके अलावा शिवसेना की ओर से तत्काल सुनवाई की अपील भी नहीं की जाएगी।

आज वापस महाराष्ट्र वापस लौटेंगे विधायक

महाराष्ट्र कांग्रेस के 44 विधायक जो पिछले कुछ दिनों से जयपुर में रुके हुए थे, वह आज वापस महाराष्ट्र रवाना होंगे।

होर्स ट्रेडिंग से बचने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी विधायकों को 5 दिनों से जयपुर में रखा हुआ था। महाराष्ट्र में अब राष्ट्रपति शासन लग गया है और अभी भी एनसीपी-कांग्रेस के बीच बातचीत चल रही है।

हर पार्टी की एक ही आवाज़: हमें वक्त चाहिए

शिवसेना को राज्यपाल की ओर से न्योता मिला तो उन्होंने समर्थन पत्र साबित करने के लिए 48 घंटे का वक्त माना, लेकिन राज्यपाल की ओर से सिर्फ 24 घंटे ही दिए गए। इसके अलावा जब राज्यपाल ने एनसीपी को बुलाया तो उनके साथ भी ऐसा ही हुआ।

मंगलवार को जब मुंबई में कांग्रेस-एनसीपी नेताओं की बैठक हुई, तो दोनों पार्टियों ने कहा कि उन्हें अभी कुछ वक्त चाहिए, वहीं दूसरी ओर शिवसेना के उद्धव ठाकरे का कहना है कि विपरीत विचारधारा भी एक साथ आ सकती हैं।

क्या कहती है शिवसेना?

शिवसेना का कहना है कि उन्हें दावा पेश करने के लिए सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया, जबकि बीजेपी को 48 घंटे का वक्त दिया गया था।

शिवसेना ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के अवसर से इनकार करने के लिए बीजेपी के इशारे पर जल्दबाजी में काम किया। बता दें कि इस मामले में जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े की अगुआई वाली पीठ कल सुनवाई कर सकती है।

अब तक क्या -क्या हुआ महाराष्ट्र में

राज्य में भाजपा 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी विधायक संख्या वाली पार्टी है। लेकिन बीते शनिवार को भाजपा ने सरकार गठन में असमर्थता जाहिर कर दी थी।

इसके बाद राज्यजपाल ने रविवार को 56 विधायकों के साथ शिवसेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन, पार्टी कांग्रेस और एनसीपी से समर्थन के पत्र उपलब्ध नहीं करा सकी। शिवसेना ने राज्यपाल से और समय मांगा, जिन्होंने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया।

जानकारी के अनुसार एनसीपी ने मंगलवार की सुबह 11:30 बजे राज्यपाल को एक खत लिखा था, जिसमें दो दिन का समय मांगा था। राज्यपाल ने एनसीपी के पत्र को आधार बना कर गृहमंत्रालय से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की।

एनसीपी ने कांग्रेस के सामने रखा सरकार बनाने का नया फार्मूला

मंगलवार को मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में दिल्ली से गए तीन कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक की।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में चार अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई। एनसीपी ने इस बात पर जोर दिया कि स्थाई सरकार के लिए कांग्रेस को सरकार का हिस्सा बनना चाहिए। जबकि कांग्रेस का जोर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर रहा। वहीं, सरकार में हिस्सेदारी पर भी एनसीपी ने अपना फॉर्मूला सामने रखा।

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रोटेशनल सीएम चाहती है एनसीपी

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और एनसीपी की बैठक में मुख्यमंत्री पद को लेकर भी चर्चा हुई है। मीटिंग में एनसीपी ने फॉर्मूला रखा कि शिवसेना और उसके बीच ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का बंटवारा किया जाए, जबकि कांग्रेस को पूरे पांच साल के लिए डिप्टी सीएम का पद मिले।

42 मंत्रियों वाला फॉर्मूला

मुंबई में एनसीपी ने जहां सीएम और डिप्टी सीएम के फॉर्मूले की चर्चा की तो वहीं दिल्ली में कांग्रेस के खेमे से कैबिनेट का फॉर्मूला सामने आया। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी तीनों दलों में सत्ता की बराबर भागीदारी चाहती है।

कांग्रेस का फॉर्मूला है कि 42 कैबिनेट मंत्री बनाए जाएं और उनमें से शिवसेना और एनसीपी के साथ 14-14 मंत्री बांटे जाएं। यानी कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी के 14-14 मंत्री सरकार में रहें।

इसके साथ ही कांग्रेस की नजर गृह और राजस्व जैसे अहम मंत्रालयों पर है। कांग्रेस का मानना है कि इस तरह के महत्वपूर्ण मंत्रालयों का बंटवारा भी उचित होना चाहिए. यानी सबसे कम विधायक होने के बावजूद भी कांग्रेस सरकार में मजबूती के साथ रहना चाहती है। वहीं, शिवसेना का मुख्यमंत्री होने की सूरत में दो उप-मुख्यमंत्री का फॉर्मूला भी चर्चा के केंद्र में है।

एनसीपी-कांग्रेस के बीच बातचीत जारी

हालांकि, इन तमाम मसलों पर अभी तक तीनों दलों के बीच कोई स्पष्ट बातचीत नहीं हो पाई है। मंगलवार को एनसीपी-कांग्रेस की बैठक के अहमद पटेल और शरद पवार ने बताया कि अभी दोनों दलों के बीच बातचीत होनी है और उसके बाद शिवसेना से बात की जाएगी।

वहीं, अहमद पटेल और शरद पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बात की और बताया कि हमें भी बातचीत के लिए समय की जरूरत है और इसीलिए शिवसेना ने राज्यपाल से मोहलत मांगी थी।

बहरहाल, फिलहाल महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है और इस फैसले के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। ऐसे में जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर है तो यह देखना भी दिलचस्प होगा कि तीनों दल कब तक एक मंच पर आ पाते हैं और अगर सरकार बनती है तो किस फॉर्मूले पर बात फाइनल होती है।

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Aditya Mishra

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