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भाजपा ने की सवालों की बरसात, भगौड़े मेहुल चोकसी ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें

भारतीय जनता पार्टी ने राजीव गांधी फाउंडेशन से भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी का नाम जोड़कर कांग्रेस के लिए बड़ी सियासी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

Roshni Khan
Published on: 28 Jun 2020 4:56 AM GMT
भाजपा ने की सवालों की बरसात, भगौड़े मेहुल चोकसी ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें
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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने राजीव गांधी फाउंडेशन से भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी का नाम जोड़कर कांग्रेस के लिए बड़ी सियासी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी मेहुल चोकसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमले करते रहे हैं। अब मेहुल का नाम राजीव गांधी फाउंडेशन से जुड़ने के बाद कांग्रेस को इस मसले पर जवाब देना मुश्किल हो गया है।

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कांग्रेस उठाती रही है चोकसी का मुद्दा

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मेहुल चोकसी का नाम राहुल गांधी फाउंडेशन से जोड़कर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक सहित कई बैंकों को करोड़ों रुपए का चूना लगाकर देश से फरार हो चुका है। मेहुल की फेरारी के बाद कांग्रेस लंबे समय से इसके लिए मोदी सरकार को घेरती रही है। खुद राहुल गांधी समय-समय पर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं और उसकी फरारी के लिए सीधे तौर पर पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। ऐसे में राजीव गांधी फाउंडेशन से चोकसी का नाम जुड़ने के बाद कांग्रेस की सियासी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

फाउंडेशन को चोकसी ने खूब दिया चंदा

भाजपा अध्यक्ष नड्डा का कहना है कि मेहुल ने फाउंडेशन को भारी रकम दी थी। यह रकम मेहुल के स्वामित्व वाली कंपनी नविराज इस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दी गई थी। हालांकि नड्डा की ओर से यह खुलासा नहीं किया गया कि मेहुल ने राजीव गांधी फाउंडेशन को कितनी रकम दी थी। राजीव गांधी फाउंडेशन की 2013-15 की रिपोर्ट के अनुसार मेहुल ने अपनी कंपनी के जरिए फाउंडेशन को चंदा दिया था। कांग्रेस की ओर से नड्डा को जवाब देने के लिए उतरे पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी इस मुद्दे पर कोई ठोस जवाब नहीं दे सके।

फाउंडेशन को बताया शेल कंपनी

भाजपा ने राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन और राहुल चोकसी से मिली रकम का मुद्दा उठाकर कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है। भाजपा के नेशनल सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय का आरोप है कि अभी तक की जानकारियों से साफ है कि राजीव गांधी फाउंडेशन एक शेल (मुखौटा) कंपनी की तरह काम कर रहा था। फाउंडेशन को सरकारी संरक्षण हासिल था और इसके नाम पर सर्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, विदेशी कंपनियों और विदेशी सरकारों तक से लंबी रकम वसूली गई। उन्होंने कहा इस फाउंडेशन की स्थापना 1992 में हुई और इसके जरिए मात्र 29 सौ से अधिक लोगों को लाभ मिला। स्थापना के बाद शुरुआती दिनों में फाउंडेशन के कामों के बारे में अभी तक जानकारी नहीं मिल सकी है।

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कंपनियों ने भी की पैसे की बारिश

यह भी जानकारी सामने आई है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की ओर से भी राजीव गांधी फाउंडेशन को खूब चंदा दिया गया। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के 2004 से 2014 तक के कार्यकाल के दौरान फाउंडेशन को जमकर चंदा मिला। फाउंडेशन को चंदा देने वालों में ओएनजीसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सेल, गेल, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आईडीबीआई और हुडको के नाम शामिल हैं। हालांकि अभी तक साफ नहीं हो सका है कि इनकी ओर से फाउंडेशन को कितनी रकम दी गई।

सियासी जानकारों का कहना है कि मेहुल चोकसी के मुद्दे पर अब कांग्रेस बुरी तरह घिर गई है क्योंकि वह इस मुद्दे को उछाल कर कई बार भाजपा और पीएम मोदी पर सीधा हमला कर चुकी है। भाजपा की ओर से इस मुद्दे पर कांग्रेस के जवाब का इंतजार किया जा रहा है।

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