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कभी मुलायम ने छीना था कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक, अब गठबंधन पर छोड़ा अखिलेश का साथ
सीएम अखिलेश यादव भले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार वापसी की उम्मीद देख रहे हों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों दल के ये नेता अपने वोट को ट्रांसफर करा पाएंगे यह सवाल खासा महत्वपूर्ण है क्योंकि अखिलेश यादव जिस वोटबैंक के सहारे सत्ता पर काबिज हुए थे वह मुलायम सिंह यादव ने बनाया था और यह मूलतः कांग्रेस विरोध का वोट है।
योगेश मिश्र
लखनऊ: सीएम अखिलेश यादव भले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार वापसी की उम्मीद देख रहे हों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों दल के ये नेता अपने वोट को ट्रांसफर करा पाएंगे यह सवाल खासा महत्वपूर्ण है क्योंकि अखिलेश यादव जिस वोटबैंक के सहारे सत्ता पर काबिज हुए थे वह मुलायम सिंह यादव ने बनाया था और यह मूलतः कांग्रेस विरोध का वोट है।
मुलायम ने छीना था कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक
अयोध्या कांड में मुलायम सिंह यादव ने यादव मतदाताओं के साथ बहुत ही चतुराई से कांग्रेस के मुस्लिम मतदाता जोड़ने में कामयाबी हासिल कर ली थी। यह हकीकत मुलायम सिंह यादव समझते हैं। शायद यही वजह है कि उन्होंने सपा और कांग्रेस के इस गठबंधन को गैरजरूरी बताकर उसके लिए प्रचार करने तक से मना कर दिया।
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कहां तक जाएंगे मुलायम
मुलायम सिंह की कांग्रेस विरोध की मुहिम सिर्फ प्रचार से अलग रहने तक ही सीमित रहेगी। यह कहना अभी लाख टके की बात है। ऐसे में अब बाहर से समर्थन जुटा रहे अखिलेश को सबसे पहले अपने घर और पार्टी बनाकर खड़ी करने वाले मुलायम सिंह यादव को ही मनाना एक चुनौती होगी। इस चुनौती को पार पाए बिना कांग्रेस गठबंधन को लेकर उनकी उम्मीदों का पूरा होना भी खासा मुश्किल है।
पार्टी पर भले ही अखिलेश यादव का कब्जा हो गया हो, युवाओं पर भले ही उन्होंने राहुल के साथ मिलकर एक दावे की पुष्टि कर ली हो पर सूबे में इससे इतर भी मतदाता हैं और युवा मतदाताओं में मायावती और बीजेपी कोई आकर्षण पैदा नहीं कर पाएगी। यह मानना भी उचित नहीं होगा।