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राजनीति में अंधविश्वास: मेट्रो रेल का शिलान्यास करने वाले नहीं लौटते सत्ता में

बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश ने लखनऊ मेट्रो के लिए 27 सितंबर 2014 को आधारशिला रखी। उनकी कोशिश थी कि उनके कार्यकाल में ही मेट्रो रेल शुरू हो जाए। लेकिन उद्घाटन की तिथि 26 मार्च से करीब 15 दिन पहले उन्हें सत्ता से विदा होना पड़ा।

zafar
Published on: 2 April 2017 9:41 AM GMT
राजनीति में अंधविश्वास: मेट्रो रेल का शिलान्यास करने वाले नहीं लौटते सत्ता में
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संजय तिवारी

राजनीति और अंधविश्वास का रिश्ता काफी गहरा है। अंधविश्वासों के बल पर बहुत सी सत्ताएं बदल जाती हैं और अंधविश्वास के सहारे बने बनाये स्वस्थ समीकरण धराशायी हो जाते हैं। देश में गणेश जी के दूध पीने की घटना बहुत पुरानी नहीं है।

राजनीति तो इतनी संवेदनशील होती है कि बड़े से बड़ा राजनेता चाहे जितना भी नास्तिक हो, जब भी कोई संदेह या अंधविश्वास उसके सामने आता है, वह भरसक कोशिश करता है कि बचा रहे।

लखनऊ मेट्रो और हार

आजकल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की हार को लेकर कई अंधविश्वासों की भी चर्चा खूब हो रही है। एक चर्चा लखनऊ के मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर है। इसे भी सपा की हार की प्रमुख वजहों में एक माना जा रहा है। हालांकि इस वजह की चर्चा सियासी तौर पर नहीं, बल्कि एक अंधविश्वास के रूप में की जा रही है। कहा जा रहा है कि भले ही यह इत्तेफाक हो, लेकिन ये भी सच है कि देश के विभिन्न शहरों में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने वाले मुख्यमंत्री, उसका उद्घाटन करने के लिए सत्ता में नहीं लौटे।

देश की पहली मेट्रो ट्रेन की शुरुआत कोलकाता में हुई थी। यहां से लेकर दिल्ली, बंगलूरू, मुंबई, चेन्नई, जयपुर और गुड़गांव के मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की चर्चा की जा सकती है। इन सभी शहरों में मेट्रो की आधारशिला रखने वाले, करने वाले मुख्यमंत्रियों के नाम उद्घाटन के शिलापट्ट पर नहीं अंकित हो पाये। अब ऐसी ही किंवदंती की चर्चा यूपी में सपा सरकार के मुखिया रहे अखिलेश यादव को लेकर भी हो रही है।

आधारशिला

बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश ने लखनऊ में मेट्रो ट्रेन शुरू करने के लिए 27 सितंबर 2014 को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। इसके बाद से ही उनकी कोशिश रही कि उनके कार्यकाल में ही मेट्रो रेल का संचालन शुरू हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उद्घाटन के लिए संभावित तिथि 26 मार्च से करीब 15 दिन पहले ही उन्हें सत्ता से विदा होना पड़ा।

अपशकुन का सिलसिला

कोलकाता: सिद्धार्थ शंकर रे

कांग्रेस की सरकार में एक जून 1972 को कोलकाता में मेट्रो प्रोजेक्ट तैयार किया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर ने 29 दिसंबर 1972 को इसका शिलान्यास किया। इसके बाद 30 अप्रैल 1977 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा। 24 अक्तूबर 1984 को मेट्रो प्रोजेक्ट के पूरा होने पर तब के प. बंगाल के नए मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने इसका उद्घाटन किया।

दिल्ली: मदनलाल खुराना

देश की राजधानी दिल्ली में मेट्रो की प्लानिंग तो 1984 में हुई थी, लेकिन करीब 11 साल तक यह प्लानिंग सिर्फ कागज में ही चलती रही। वर्ष 1995 में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) का गठन किया गया और 1 अक्तूबर 1998 में काम शुरू किया गया। उस समय दिल्ली में मदनलाल खुराना के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। करीब चार साल बाद जब मेट्रो का पहला चरण पूरा हुआ, तब इसका शुभारंभ कांग्रेस सरकार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने किया।

राजस्थान: अशोक गहलोत

राजस्थान की राजधानी जयपुर में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने 13 नवंबर 2013 में मेट्रो रेल परियोजना की आधारशिला रखी। उन्होंने इसका काम बेहद तेजी से कराया। अगले विस चुनाव को देखते हुए गहलोत ने 18 सितंबर 2013 को मेट्रो रेल के परिचालन का उद्घाटन भी कर दिया था। मगर, विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसे लेकर भी उस वक्त खूब चर्चाएं हुई थीं।

महाराष्ट्र: विलासराव देशमुख

महाराष्ट्र सरकार के साथ भी ऐसा ही संयोग जुड़ा है। कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे विलासराव देशमुख ने वर्ष 2006 में मुंबई में मेट्रो चलाने की प्लानिंग की। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के हाथों इसका शिलान्यास कराया गया। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही इस मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का काम भी पूरा हो चुका था, लेकिन जब उद्घाटन की बारी आई तो सूबे की सत्ता भाजपा के हाथों में चली गई।

कर्नाटक: एसएम कृष्णा

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा ने वर्ष 2006 में बंगलूरू में मेट्रो शुरू करने का प्लान तैयार कराया तो उनको कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। हालांकि उन्हें केन्द्र में मंत्री बनाया गया था। लिहाजा मेट्रो प्रोजेक्ट लटक गया था।

एचडी कुमार स्वामी

बाद में कांग्रेस व जद (एस) की संयुक्त सरकार के मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी ने मेट्रो प्रोजेक्ट को 25 अप्रैल 2006 को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी देकर काम शुरू कराया, लेकिन उद्घाटन नहीं कर सके। 20 अक्तूबर को भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बंगलूरू में मेट्रो रेल चलवाई।

गुरुग्राम: भूपेंद्र हुड्डा अपवाद

मेट्रो रेल परियोजना शुरू कराने से जुड़े तमाम उदाहरणों से इतर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम अपवाद के तौर याद किया जा सकता है। करीब आधे दर्जन उदाहरणों में से हुड्डा ही एक ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्हें गुरुग्राम में मेट्रो का शिलान्यास और उद्घाटन का मौका मिला है। इनके कार्यकाल में ही गुरुग्राम में 11 अगस्त 2009 को मेट्रो का शिलान्यास हुआ और इन्होंने ही 14 नवंबर 2013 को इसका संचालन शुरू कराया।

नोएडा यात्रा का अपशकुन भी

सत्ता के गलियारों में मुख्यमंत्री के नोएडा जाने को लेकर भी ऐसी ही धारणा है। विशेषकर चुनाव परिणामों के विश्लेषण के दौरान इस तरह के 'अंधविश्वास' को लेकर काफी चर्चा रहती है। यूपी की सत्ता में नोएडा को लेकर भी ऐसा ही अंधविश्वास चर्चा में है। माना जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा का दौरा करता है, वह दोबारा सत्ता में नहीं लौटता। कहा जा रहा है कि इसी अंधविश्वास के चलते अखिलेश अपने कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं गए।

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