×

राहुल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस दफ्तर में छाया सन्नाटा, नेताओं ने साधी चुप्पी

लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की अमेठी से शिकस्त के बाद पार्टी कार्यालय पर सन्नाटा पसर गया था। अब राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद यहां गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है।

Aditya Mishra
Published on: 3 July 2019 2:14 PM GMT
राहुल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस दफ्तर में छाया सन्नाटा, नेताओं ने साधी चुप्पी
X
कांग्रेस दफ्तर

अमेठी: लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की अमेठी से शिकस्त के बाद पार्टी कार्यालय पर सन्नाटा पसर गया था। अब राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद यहां गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है।

ये भी पढ़ें...कांग्रेस MLC दीपक सिंह ने विधान परिषद के नेता पद से दिया इस्तीफा

अटकलों पर लगा विराम

बड़ी बात तो ये है के राहुल गांधी के इस्तीफ़े पर भी यहां का कोई कांग्रेसी बोलने के लिए तैयार नही है। सभी ये कहकर टाल मटोल कर रहे हैं ये हाई कमान का मामला है इस पर हम लोग कुछ नही कह सकते।

गौरतलब हो कि आज राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लेने की अटकलों को खत्म कर दिया। उन्होंने चार पेज का बयान जारी कर कहा, ''पार्टी अध्यक्ष होने के नाते लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी मेरी है।

ये भी पढ़ें...अब राहुल गांधी की जगह लेगें ये, कांग्रेस पार्टी में मचा हड़कंप

जवाबदेही होनी चाहिए तय

कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालना सम्मान की बात रही, लेकिन पार्टी के भविष्य के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए। यही वजह है कि मैंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। पार्टी को कड़े फैसले लेने और बाकी नेताओं की जवाबदेही भी तय करने की जरूरत है।

लोग खुद ले रहे हार की जिम्मेदारी

इस बाबत राहुल गांधी के आफिस इंचार्ज अशोक तिवारी ने बताया कि राहुल गांधी अब सांसद नही हैं। यहां विकास के काम, इलाज के काम जो चलते थे अब कार्यालय वो सब करने में सक्षम नहीं है। इसलिए लोगों की भीड़ घटी है, लेकिन संगठन के लोग आते हैं।

अब इस्तीफा देना ये संगठन का काम है, हार की जिम्मेदारी स्वयं अपने कंधे पर लोग ले रहे हैं। राहुल गांधी तो सांसद हैं ही यहां न सही वायनाड से सही।

पार्टी के अंदर निराशा का वातावरण

चिंतामणि मिश्रा कहते हैं की लोकसभा चुनाव के बाद जो परिणाम आए हैं वो कांग्रेस पार्टी के लिए सुखद नही रहे हैं ऐसे में पार्टी में एक निराशा का वातावरण हैं। लेकिन व्यवस्था कोई भी हो संस्था, पार्टी, संगठन वो दंड और पुरस्कार की व्यवस्था पर चलता है। इस्तीफ़े से बेहतर होता कांग्रेस पार्टी के लिए के वो आत्म मंथन करते हार की समीक्षा करते।

उसके बाद जवाब देही तय करते। जो जिम्मेदार लोग हैं जिनके कारण हार हुई है संगठन में उसको समझने के बाद अंशुनात्मक कार्यवाही की जाती। इस्तीफा देना तो एक तरह से जिम्मेदारी से भागना है जो मुझे नही लगता के उचित है।

ये भी पढ़ें....गांधी-नेहरू परिवार के हाथ रही 42 साल तक कांग्रेस की कमान

ये केवल राहुल गांधी की हार नहीं है

हालांकि कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा का कहना है के इस्तीफा देना हर पदाधिकारी की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा की ये जो पराजय हुई है ये केवल राहुल गांधी की पराजय नही है सभी कांग्रेस जनो की पराजय है।

इस पराजय के जो कारण रहे हैं उसको पूरे देश और दुनिया ने देखा है के एक झूठी राष्ट्र भावना को जागते हुए लंबे चौड़े प्रलोभन देते हुए और प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में पैसा खर्च करके मोदी जी की जीत हुई है। राहुल गाँधी की कार्य शैली, भाग दौड़ और मेहनत में कमीं नही है। सभी को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए।

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story