TRENDING TAGS :
गहलोत खेमे की जिद्द: राज्यपाल को नहीं आई पसंद, कहा- दबाव की राजनीति न करें
राजस्थान में जारी सत्ता संघर्ष के बीच आज कांग्रेस के विधायक विधानसभा सत्र बुलाये जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए है, हालंकि जब इस राज्यपाल कलराज मिश्र ने कोरोना संकट का हवाला देते हुए विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार कर दिया।
जयपुर: राजस्थान में जारी सत्ता संघर्ष के बीच आज सीएम गहलोत के खेमे के विधायक राजभवन में धरने पर बैठ गए। दरअसल कांग्रेस के विधायक विधानसभा सत्र बुलाये जाने की मांग कर रहे है, हालंकि जब इस राज्यपाल कलराज मिश्र ने कोरोना संकट का हवाला देते हुए विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार कर दिया तो विधायक धरने पर बैठ गए। इतना ही नहीं सीएम गहलोत में अपने एक बयान में ये भी कह डाला कि अगर सत्र न बुलाया गया तो जनता सड़क पर आकर घेराव करेगी। इस मामले में राज्यपाल कलराज मिश्र ने साफ़ कहा कि दबाव की राजनीति न की जाए।
हाईकोर्ट ने लगाया विधानसभा स्पीकर के नोटिस पर सटे
राजस्थान की सियासत में जारी नाटक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। आपस में ही भिड़ी कांग्रेस के अंदर की लड़ाई दिल्ली राष्ट्रपति भवन तक पहुँच गयी। हाईकोर्ट ने सचिन खेमे के विधायकों को जारी स्पीकर की नोटिस पर सटे लगा दिया तो सीएम गहलोत संग कांग्रेस विधायकों ने राजभवन पहुँच कर राज्यपाल कलराज मिश्र से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की।
कांग्रेस के विधायक कर रहे विधानसभा सत्र बुलाने की मांग
दरअसल, गहलोत सरकार सम्पूर्ण बहुमत में होने का दावा कर रही है। ऐसे में विधानसभा सत्र को बुलाने की मांग की जा रही है। लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र ने कोरोना संकट का हवाला देते हुए विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार कर दिया है।
ये भी पढ़ेंः राहुल की चेतावनी, कोरोना पर नहीं मानी मेरी बात, चीन पर भी नहीं सुन रही सरकार
राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार
अपनी मांगों पर अड़े कांग्रेस के विधायकों ने राजभवन में धरना शुरू कर दिया। सारे विधायक राजभवन के मैदान में बैठ गए। इस दौरान सीएम अशोक गहलोत ने स्पष्ट तौर से कहा है कि जब तक राज्यपाल महोदय पत्र नहीं सौंपते हैं तब तक धरना जारी रहेगा।हालाँकि बाद में करीब 8 बजे धरना प्रदर्शन खत्म हो गया और विधायकों को होटल वापस भेज दिया गया।
ये भी पढ़ें- BJP का अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप, SOG चीफ पर भी खड़े किए सवाल
दबाव की राजनीति न करें -कलराज मिश्रा
कांग्रेस के इस कदम के बाद कलराज मिश्र ने बयान जारी कर कहा कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है। किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
वहीं कांग्रेस विधायकों की मांग को लेकर उन्होंने जानकारी दी कि गहलोत सरकार ने 23 जुलाई की रात में विधानसभा के सत्र को काफी कम नोटिस के साथ बुलाए जाने की पत्रावली दी थी। पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन में इसका परीक्षण किया गया और कानून विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया।
देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।