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सचिन की वापसी के लिए फार्मूले की तलाश, आखिर क्यों ढीले पड़े युवा नेता के तेवर

आखिरकार करीब एक महीने बाद सचिन पायलट के तेवर ढीले पड़ गए। युवा नेता की राहुल गांधी और प्रियंका से मुलाकात के बाद राजस्थान की सियासत में नया मोड़ आ गया है।

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Published on: 10 Aug 2020 4:18 PM GMT
सचिन की वापसी के लिए फार्मूले की तलाश, आखिर क्यों ढीले पड़े युवा नेता के तेवर
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Sachin Pilot met Rahul Gandhi

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: आखिरकार करीब एक महीने बाद सचिन पायलट के तेवर ढीले पड़ गए। युवा नेता की राहुल गांधी और प्रियंका से मुलाकात के बाद राजस्थान की सियासत में नया मोड़ आ गया है। दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम के बाद गहलोत सरकार पर संकट के बादल भी छंट गए हैं। सचिन की राहुल-प्रियंका से करीब डेढ़ घंटे लंबी मुलाकात के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। जानकार सूत्रों का कहना है कि पायलट की कांग्रेस में वापसी का फार्मूला तलाशा जा रहा है। हालांकि यह भी तय है कि मौजूदा हालात में किसी भी सूरत में उन्हें मुख्यमंत्री पद की कुर्सी नहीं मिलने वाली। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिरकार सचिन पायलट के तेवर ढीले क्यों पड़ गए?

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सोनिया ने बनाई तीन सदस्यीय कमेटी

जानकार सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट की हाईकमान से मुलाकात के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का संकट टल गया है। अब यह तय माना जा रहा है कि अब सचिन के साथ बगावत करने वाले विधायक भी सदन में गहलोत सरकार का समर्थन करेंगे।

इस मुलाकात के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राहुल और सचिन की मुलाकात खुशगवार माहौल में हुई है और पायलट ने कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते रहने का वादा किया है। इस मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है ताकि पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों का समाधान किया जा सके।

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गहलोत के खिलाफ, कांग्रेस के नहीं

सूत्रों का कहना है कि पायलट ने हाईकमान से स्पष्ट किया है कि वे कांग्रेस के खिलाफ नहीं हैं। वे केवल गहलोत का विरोध कर रहे थे। उन्होंने उन हालातों का ब्योरा भी दिया है जिनके कारण उन्हें बगावत जैसे कदम पर मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बागी तेवर के बाद भी अंदरखाने पायलट की पार्टी में वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे थे।

इसलिए ढीले पड़े पायलट के तेवर

सूत्रों का कहना है कि पायलट के तेवर इसलिए ढीले पड़ गए क्योंकि उन्हें उम्मीद के मुताबिक विधायकों का समर्थन नहीं मिला। उन्हें उम्मीद थी कि उनके साथ करीब 30 विधायक आ जाएंगे, लेकिन उन्हें सिर्फ 20 विधायकों का समर्थन हासिल हो सका।

Sachin Pilot met Rahul Gandhi

इसके साथ ही ही भाजपा में प्रभावी भूमिका रखने वाली वसुंधरा राजे की चुप्पी ने भी बड़ी भूमिका निभाई। वसुंधरा की चुप्पी से यह संदेश गया कि वे गहलोत सरकार गिराने के लिए इच्छुक नहीं है। इसके साथ ही पिछले 32 दिनों के दौरान भी विवाद का कोई हल न निकलने पर पायलट खेमे के विधायक भी सुलह के लिए दबाव बनाने लगे थे।

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इस फार्मूले पर हुई हाईकमान से चर्चा

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सचिन के एडजस्टमेंट के बारे में दो बातों को लेकर चर्चा की गई है। सचिन से कहा गया है कि वे दिल्ली आकर पार्टी संगठन में जिम्मेदारी संभालें। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पायलट के बीच 36 के रिश्ते बन चुके हैं और ऐसे में दोनों का एक सूबे में काम करना हाईकमान को भी संभव नहीं दिख रहा है।

गहलोत ने किया था तीखा हमला

सचिन पायलट की बगावत के बाद गहलोत ने तीखा हमला करते हुए उन्हें निकम्मा और नकारा तक बता दिया था। उन्होंने सचिन पर राजस्थान के विकास के लिए कोई काम न करने का आरोप भी लगाया था। वैसे सचिन से मुलाकात में हाईकमान ने पायलट गुट के किसी नेता को उप मुख्यमंत्री बनाने की बात कही है। पायलट गुट के उन विधायकों को फिर से मंत्री बनाया जा सकता है जिनकी कुर्सी छिन गई थी।

अभी नहीं बदला जाएगा मुख्यमंत्री

राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि कांग्रेस हाईकमान ने सचिन को यह स्पष्ट कर दिया है कि वह तुरंत मुख्यमंत्री बदलने के लिए तैयार नहीं है। हाईकमान का कहना है कि इस कदम से जनता के बीच गलत संदेश जाएगा। वैसे कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि पायलट से कुछ महीनों बाद सीएम बदलने का वादा किया गया है। वैसे कांग्रेस का कोई नेता इस बाबत कुछ भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है।

गहलोत को हाईकमान का फैसला मंजूर

सचिन पायलट की हाईकमान से मुलाकात के बाद भी कुछ विधायक इस पक्ष में नहीं है कि बागी गुट को माफी दे दी जाए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के दौरान कुछ विधायकों ने यह राय रखी कि बागी गुट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। सूत्रों का कहना है कि इस पर अशोक गहलोत ने विधायकों को मनाया और कहा कि इस बाबत हाईकमान का जो भी फैसला होगा, वह उन्हें मंजूर होगा।

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बसपा विधायकों के मामले में कल सुनवाई

इस बीच बसपा विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई टल गई। अब यह सुनवाई मंगलवार को होगी। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने बसपा विधायकों के विधानसभा में वोटिंग के अधिकार पर रोक लगाने की मांग की है।

उधर बसपा ने भी राजस्थान हाईकोर्ट से मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की अपील की थी। अब इन दोनों याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। वैसे अब इस मामले में अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला खिलाफ भी आता है तो गहलोत के लिए ज्यादा दिक्कत नहीं होने वाली। सचिन पायलट गुट की हाईकमान से मुलाकात के बाद उनकी सरकार पर आया संकट टल गया है।

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