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शाह फैसल ने सियासत छोड़ी, IAS से इस्‍तीफा देकर बनाई थी अपनी पार्टी

जम्मू-कश्मीर से राजनीति और ब्यूरोक्रेसी से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां आईएएस अफसर रहे शाह फैसल ने सोमवार को जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया है।

Newstrack
Published on: 10 Aug 2020 2:19 PM GMT
शाह फैसल ने सियासत छोड़ी, IAS से इस्‍तीफा देकर बनाई थी अपनी पार्टी
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शाह फैसल की फ़ाइल फोटो

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से राजनीति और ब्यूरोक्रेसी से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां आईएएस अफसर रहे शाह फैसल ने सोमवार को जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया है।

जिसके बाद से ऐसी अटकलें तेज हो गई है कि शाह फैसल फिर से प्रशासनिक सेवा की तरफ रुख कर सकते हैं। उन्हें नये उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का सलाहकार भी बनाया जा सकता है।

हालांकि इस बारे में अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। बता दें कि शाह फैसल पूर्व में जम्मू-कश्मीर के डायरेक्टर एजुकेशन रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में बीते दिनों उन्होंने अपनी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी बनाई थी। इस पार्टी में कई नए चेहरों को भी शामिल किया गया था।

हालांकि राजनीतिक समीकरणों के बदलने और राज्य में शीर्ष पद पर लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की तैनाती होने के बाद ये कहा जा रहा है कि शाह फैसल उनकी टीम का हिस्सा बन सकते हैं।

शाह फैसल की फ़ाइल फोटो शाह फैसल की फ़ाइल फोटो

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2010 में यूपीएससी परीक्षा के टॉपर बने थे शाह फैसल

ज्ञात हो कि शाह फैसल ने वर्ष -2010 की सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया था और उन्हें आईएएस का होम कैडर मिला था। उनकी छवि एक एक ईमानदार अधिकारी के रूप में है। अपनी ईमानदार छवि और लोकप्रियता के कारण ही उन्होंने साल 2018 में राजनीति में कदम रखने का फैसला किया था।

उस वक्त उनके कुछ शुभचिंतकों ने उन्हें ऐसे करने से टोकते हुए कहा था कि हो सकता है आगे चलकर उन्हें राजनीति रास न आए।

शाह फैसल की फ़ाइल फोटो शाह फैसल की फ़ाइल फोटो

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2019 में बनाई थी खुद की पार्टी

वहीं अब सूत्रों के हवाले से जानकारी ये निकलकर सामने आ रही है कि सरकार ने हाल ही में उन्हें इस बात का एहसास कराया है कि यदि वे फिर से उनके प्रशासनिक सेवा में वापसी करना चाहते हैं तो सरकार को उससे कोई ऐतराज नहीं है। यदि वह वापस प्रशासन सेवा में शामिल होने का विकल्प चुनते हैं, तो वह जम्मू और कश्मीर में सबसे कम राजनीतिक कैरियर के लिए एक और रिकॉर्ड बनाएंगे।

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