राजस्थान में दोनों गुटों के बीच दूरियां कायम, सचिन को नहीं दिया बैठक का न्योता

कल से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र की रणनीति तैयार करने के लिए आज बुलाई गई बैठक में भी पायलट और उनके समर्थक विधायकों को न्योता नहीं दिया गया है।

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Published on: 13 Aug 2020 4:05 AM GMT
राजस्थान में दोनों गुटों के बीच दूरियां कायम, सचिन को नहीं दिया बैठक का न्योता
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राजस्थान में दोनों गुटों के बीच दूरियां कायम

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: राजस्थान की सियासत में सबकुछ दुरुस्त हो जाने का दावा किया जा रहा है मगर सच्चाई यह है कि सचिन पायलट गुट की कांग्रेस में वापसी के बाद भी गहलोत और पायलट गुट के दिल नहीं मिल पाए हैं। दोनों गुटों के बीच पहले जैसी ही दूरियां दिख रही हैं। पायलट गुट की पार्टी में वापसी से गहलोत गुट के विधायकों में ‌भीतर ही भीतर नाराजगी हैं। कल से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र की रणनीति तैयार करने के लिए आज बुलाई गई बैठक में भी पायलट और उनके समर्थक विधायकों को न्योता नहीं दिया गया है।

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दोनों गुटों में पहले जैसी ही दूरियां

कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि सचिन पायलट की पार्टी में वापसी के बाद राजस्थान में कांग्रेस का संकट पूरी तरह खत्म हो गया है। इतना तो जरूर है के गहलोत सरकार के भविष्य को लेकर पैदा हुई अनिश्चितता काफी हद तक खत्म हुई है मगर दोनों गुटों के बीच दूरियां नहीं खत्म हो पाई हैं।

पायलट गुट के विधायक जैसलमेर से एक बार फिर जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल पहुंच चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनों गुटों के बीच अभी भी सचिन की बगावत के बाद जैसी दूरियां ही दिख रही हैं।

विधायकों की बैठक का नहीं दिया न्योता

राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू होने वाला है और यह तय माना जा रहा है की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सत्र के पहले दिन विश्वासमत प्रस्ताव रखेंगे। विधानसभा सत्र की रणनीति बनाने के लिए गुरुवार को कांग्रेसी विधायकों की बैठक में चर्चा की जाएगी।

जानकार सूत्रों का कहना है कि अभी तक इस बैठक के लिए सचिन पायलट और उनके गुट के विधायकों को न्योता नहीं दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि सीएम गहलोत हाईकमान को यह दिखाना चाहते हैं कि सचिन गुट के बिना भी उनकी ताकत कम नहीं है।

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गहलोत गुट के विधायक नाराज

वैसे सचिन गुट की कांग्रेस में वापसी के बाद गहलोत गुट के विधायक भीतर ही भीतर नाराज बताए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जैसलमेर पहुंचने पर विधायकों ने इस बाबत उनसे शिकायत भी दर्ज कराई थी। इस पर सीएम गहलोत का कहना था कि हमें हाईकमान का हर फैसला मंजूर है। उन्होंने विधायकों से भी हाईकमान का फैसला मानने के लिए कहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि गुमराह लोग यदि कुछ दिनों बाद पार्टी में वापस लौट आए हैं तो अब हमें इस पर आपत्ति नहीं उठानी चाहिए।

हाईकमान का फैसला मानेंगे

राज्य के वरिष्ठ मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि सचिन पायलट के सियासी भविष्य के बारे में फैसला पार्टी हाईकमान को करना है। उन्होंने कहा कि सचिन को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष व डिप्टी सीएम बनाने के संबंध में हाईकमान ही अंतिम फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक इस बाबत हाईकमान की ओर से कोई बयान नहीं जारी किया गया है।

उन्होंने कहा कि सचिन पायलट गुट की पार्टी की मुख्यधारा में वापसी के बाद अब हम सब मिलकर काम करेंगे और सचिन पायलट का पार्टी में सम्मान बना रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सचिन पायलट की पार्टी में वापसी के बाद पुरानी सारी बातें खत्म हो चुकी हैं।

नाराज विधायकों को मनाने की कवायद

सचिन पायलट की बगावत के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हमलावर रुख अपना लिया था और उन्हें निकम्मा और नकारा तक बता डाला था। सचिन की पार्टी में वापसी के बाद गहलोत बार-बार यही कह रहे हैं कि उन्हें इस बाबत हाईकमान का फैसला मंजूर है। अपने गुट के नाराज विधायकों को मनाने के लिए भी उन्होंने यही दांव चला है। वैसे सच्चाई तो यही है कि सचिन पायलट की पार्टी में वापसी के बाद भी दोनों गुटों के बीच पैदा हुई दूरियां खत्म होती नहीं दिख रही हैं।

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