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रोचक मोड़ पर राजस्थान की सियासत, आज का दिन काफी अहम
राजस्थान में पिछले कई दिनों से जारी सियासी संकट रोचक मोड़ पर पहुंच गया है और आज का दिन राज्य की सियासत के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: राजस्थान में पिछले कई दिनों से जारी सियासी संकट रोचक मोड़ पर पहुंच गया है और आज का दिन राज्य की सियासत के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सोमवार को स्पीकर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है। दूसरी ओर राजस्थान हाईकोर्ट में बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ दायर याचिका पर भी आज ही सुनवाई तय की गई है। इस बीच कांग्रेस ने आज देश भर में राजभवनों का घेराव करने का एलान किया है। इसके साथ ही गहलोत कैबिनेट की ओर से विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से बुलाए जाने के नए प्रस्ताव के बाद हर किसी की नजर राजभवन के फैसले पर टिकी हुई है।
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बसपा ने बढ़ाई गहलोत की मुश्किलें
राजस्थान की सियासत में सबसे दिलचस्प स्थिति तो बसपा के विधायकों को लेकर बन गई है। गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ाते हुए बसपा ने कांग्रेस में शामिल अपने छहों विधायकों को रविवार की रात व्हिप जारी कर दिया। पार्टी की ओर से जारी व्हिप में विधायकों से कहा गया है कि उन्होंने बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी पर चुनाव लड़कर जीता है। ऐसे में सभी विधायकों को निर्देश दिया जाता है कि वे राजस्थान विधानसभा में विश्वासमत या किसी अन्य कार्यवाही के दौरान कांग्रेस के पक्ष में मत न दें। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की ओर से यह व्हिप जारी किया गया है।
बसपा विधायकों के मामले में आज सुनवाई
दूसरी व बसपा के छह विधायकों की सदस्यता पर ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि भाजपा विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट में इन विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है। दिलावर की याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस महेंद्र गोयल सुनवाई करेंगे। इस याचिका में विधानसभा के स्पीकर और सचिव सहित बसपा के 6 विधायकों को भी पक्षकार बनाया गया है।
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याचिका में सदस्यता खत्म करने की मांग
याचिका में कहा गया है कि इन विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए स्पीकर के पास गत मार्च में आवेदन किया गया था मगर स्पीकर ने शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। याचिका में 6 विधायकों की अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया गया है। इन विधायकों की सदस्यता गहलोत सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इस कारण हर किसी की नजर अब हाईकोर्ट पर लगी हुई है।
गहलोत ने भेजा नया प्रस्ताव
इस बीच गहलोत सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने के संबंध में रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्रा के पास नया प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही गई है। हालांकि गहलोत सरकार ने चतुराई दिखाते हुए प्रस्ताव में कहीं भी शक्ति परीक्षण का जिक्र नहीं किया है। इसमें राज्य में कोरोना वायरस की स्थिति के साथ दूसरे विधेयकों पर भी चर्चा का जिक्र किया गया है।
अब इस नए प्रस्ताव पर राज्यपाल कलराज मिश्र को फैसला लेना है। वैसे जानकारों का कहना है कि राज्यपाल के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं और वे गहलोत कैबिनेट से पारित प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य हैं।
देशभर में घेराव मगर जयपुर में नहीं
कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार बनाम राज्यपाल की जंग को देशव्यापी बनाने का फैसला किया है। कांग्रेस ने सोमवार को देशभर में राजभवनों का घेराव करने का एलान किया है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस की सेव डेमोक्रेसी, सेव कॉन्स्टिट्यूशन मुहिम के तहत देशभर में राजभवनों पर प्रदर्शन किया जाएगा। हालांकि यह प्रदर्शन जयपुर स्थित राजभवन पर नहीं किया जाएगा। डोटासरा ने कहा कि हमने राज्यपाल को कैबिनेट का नया प्रस्ताव भेज दिया है और हमें उम्मीद है कि वे जल्द ही सत्र आहूत करने की मंजूरी देंगे।
याचिका वापस ले सकते हैं स्पीकर
इस बीच जानकारों का कहना है कि कानूनी दांवपेच में नाकाम होने के बाद विधानसभाध्यक्ष सीपी जोशी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले सकते हैं। जोशी ने अपनी याचिका में राजस्थान हाईकोर्ट के 31 जुलाई के फैसले को चुनौती दी थी। सूत्रों का कहना है कि स्पीकर ने कानून के जानकारों से चर्चा करने के बाद अपनी रणनीति में बदलाव लाने का फैसला किया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 23 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।