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राज्यसभा में मजबूत हो रही भाजपा, नवंबर में बदल जाएगा उच्च सदन का गणित

राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। 11 सितंबर को होने वाले उपचुनाव में भी भाजपा की जीत तय है और इसके साथ ही भाजपा की सदस्य संख्या और बढ़ेगी।

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Published on: 26 Aug 2020 10:38 AM IST
राज्यसभा में मजबूत हो रही भाजपा, नवंबर में बदल जाएगा उच्च सदन का गणित
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राज्यसभा में मजबूत हो रही भाजपा

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। 11 सितंबर को होने वाले उपचुनाव में भी भाजपा की जीत तय है और इसके साथ ही भाजपा की सदस्य संख्या और बढ़ेगी। वैसे भाजपा की ताकत में नवंबर में काफी बढ़ोतरी होगी जब उत्तर प्रदेश के 10 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म होगा और इन सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे।

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अमर सिंह की सीट पर 11 को उपचुनाव

समाजवादी पार्टी के सांसद अमर सिंह के निधन के बाद रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव के लिए मंगलवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। यह उपचुनाव 11 सितंबर को होने वाला है। विधानसभा में अपनी ताकत के बल पर भाजपा यह सीट आसानी से जीत लेगी। इसके पहले बेनी प्रसाद वर्मा के निधन से हुई रिक्त सीट भी भाजपा के ही खाते में गई थी। इस सीट पर भाजपा के जयप्रकाश निषाद निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए थे।

नवंबर में और मजबूत हो जाएगी भाजपा

245 सदस्यीय उच्च सदन में मौजूदा समय में भाजपा के पास 86 सदस्य हैं। सहयोगी दलों के सांसदों को जोड़ने पर यह आंकड़ा बढ़कर 113 पर पहुंच जाता है। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में 31 सदस्य चुने जाते हैं जो देश के अन्य राज्यों से काफी ज्यादा है। नवंबर में उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटें खाली होंगी और इस चुनाव में भाजपा की सदस्य संख्या में काफी बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।

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भाजपा को 8 सीटें मिलनी तय

मौजूदा समय में 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा में 395 विधायक हैं। विधानसभा में भाजपा के पास 305 विधायकों की ताकत है। इन विधायकों के दम पर नवंबर में 10 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव में भाजपा को 8 सीटें मिलनी तय हैं जबकि पार्टी नवीं सीट जीतने के लिए निश्चित रूप से अतिरिक्त प्रयास करेगी। भाजपा पहले भी राज्यसभा चुनाव में एक अतिरिक्त सीटें जीतने में कामयाब हो चुकी है।

यूपी विधानसभा का गणित

उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास 305 विधायकों का संख्या बल है जबकि समाजवादी पार्टी 48 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर है। बहुजन समाज पार्टी के पास 18, बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल के पास नौ, कांग्रेस के पास सात, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास चार और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक विधायक की ताकत है। विधानसभा में तीन सदस्य निर्दलीय चुने गए हैं।

37 वोटों की जरूरत होगी

11 सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर बृज भूषण दुबे का कहना है कि राज्यसभा का चुनाव एक जटिल समीकरण के आधार पर होता है। उन्होंने बताया कि विधानसभा की मौजूदा ताकत के अनुसार नवंबर में एकमुश्त जीत के लिए वोटों का कोटा 37 के आसपास होगा। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में यूपी विधानसभा की 8 सीटें खाली हैं और देखने वाली बात यह होगी कि इन सीटों पर नवंबर से पहले चुनाव हो पाता है या नहीं।

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वैसे कोरोना संकट को देखते हुए चुनाव होना काफी मुश्किल लग रहा है। अगर यह चुनाव नवंबर से पहले हो जाता है तो प्रति उम्मीदवार वोटों की संख्या में थोड़ी बढ़ोतरी हो जाएगी, लेकिन अगर चुनाव नहीं हो पाया तो जीतने वाले प्रत्याशी को करीब 37 वोटों की जरूरत होगी।

सपा और बसपा को लगेगा झटका

यूपी राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा और बसपा को तगड़ा झटका लगना तय है। इस साल बसपा के दो सांसद वीर सिंह एडवोकेट और राजाराम रिटायर हो रहे हैं। यूपी विधानसभा में 19 विधायकों के संख्या बल पर बसपा किसी भी सदस्य को फिर से राज्यसभा नहीं भेज पाएगी।

सपा के जिन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें चंद्रपाल सिंह यादव, रवि प्रकाश वर्मा, विशंभर प्रसाद निषाद, जावेद अली खान और प्रोफेसर रामगोपाल यादव शामिल हैं। सपा के एक सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा का पहले ही निधन हो चुका है और वह सीट भी भाजपा ने जीत ली है। सपा 48 विधायकों के संख्या बल पर अपनी पार्टी के सिर्फ एक नेता को ही राज्यसभा भेजने में कामयाब हो पाएगी।

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