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कांग्रेस के घमासान मे खुर्शीद की एंट्री, पार्टी अध्यक्ष के चयन पर कही ये बात...

पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने पार्टी में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा।

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Published on: 30 Aug 2020 6:18 PM GMT
कांग्रेस के घमासान मे खुर्शीद की एंट्री, पार्टी अध्यक्ष के चयन पर कही ये बात...
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कांग्रेस में बदलाव और नेतृत्व के मुद्दे पर चल रहे घमासान में अब पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे का फैसला सोनिया गांधी को ही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे पार्टी अध्यक्ष चुनने की तुरंत कोई जरूरत नहीं दिख रही है। उन्होंने पार्टी में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। खुर्शीद ने कहा कि सोनिया गांधी अभी बखूबी पार्टी चला रही हैं और लीडरशिप के मुद्दे पर अंतिम फैसला उन्हें ही करना चाहिए।

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छह महीने में चुना जाएगा नया अध्यक्ष

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की पिछले सोमवार को हुई बैठक में सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बनाए रखने का फैसला किया गया था। हालांकि बैठक में यह भी तय किया गया था कि 6 महीने के भीतर पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया जाएगा। सोनिया व राहुल तो उससे पहले ही अध्यक्ष चुने जाने के पक्ष में थे मगर कोरोना संकट के कारण इसके लिए 6 महीने की अवधि तय की गई। सोनिया ने चिट्ठी लिखने वालों के प्रति कोई दुर्भावना न होने की बात भी कही थी।

मैं नहीं करता लेटर पर दस्तखत

खुर्शीद ने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि पार्टी में बदलाव की मांग को लेकर लेटर लिखने वालों ने अगर मुझसे संपर्क किया होता तो मैं ऐसे किसी लेटर पर साइन नहीं करता। उन्होंने कहा कि चिट्ठी लिखने वाले लोगों की सोनिया गांधी तक पहुंच है और उन्हें चिट्ठी लिखने की जगह सोनिया गांधी से मुलाकात कर अपनी बात रखनी चाहिए थी। गुलाम नबी आजाद का नाम लिए बिना खुर्शीद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता सालों तक पार्टी के शीर्ष पदों पर रहे हैं और उस वक्त भी पार्टी आगे बढ़ी है जब ऐसे चुनाव नहीं हुए हैं।

23 वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी पर घमासान

मालूम हो कि पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बदलाव की मांग और स्थायी अध्यक्ष चुनने की मांग की थी। यह चिट्ठी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पूर्व लिखी गई थी। कार्यसमिति की बैठक के दौरान इस चिट्ठी को लेकर काफी विवाद हो गया था और चिट्ठी लिखने वालों पर हमला भी किया गया था।

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बाद में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने हमला करने वालों पर सवाल उठाए थे और कहा था कि यदि कांग्रेस में प्रमुख पदों पर चुनाव नहीं किया गया तो पार्टी को अगले 50 सालों तक विपक्ष में ही बैठना पड़ेगा।

लीडर चुने जाने की तात्कालिक जरूरत नहीं

खुर्शीद ने कहा कि हमारे पास सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे नेता हैं। इसलिए मुझे पार्टी लीडर चुने जाने की कोई तात्कालिक जरूरत नजर नहीं आती। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का चुनाव जब होना होगा तब हो जाएगा और मुझे नहीं लगता कि अध्यक्ष से न चुने जाने से कोई आसमान टूट रहा है।

नए अध्यक्ष के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं अभी तक इस बात को नहीं जान पाया कि नया अध्यक्ष चुने जाने की इतनी जल्दबाजी क्यों महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पास इस समय पार्टी में कोई पार्टटाइम अध्यक्ष नहीं है। कांग्रेस की कमान जिस पूर्णकालिक अध्यक्ष के हाथों में है, वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है।

मौजूदा समय में सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं और वह कांग्रेस में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाली शख्स हैं। ऐसे में पार्टी का नया अध्यक्ष चुने जाने की कौन सी जल्दबाजी है। सच्चाई तो यह है कि पार्टी का नया अध्यक्ष चुने जाने का फैसला हमें सोनिया गांधी पर ही छोड़ देना चाहिए।

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