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सोनिया ने मोदी सरकार से कहा- ये वक्त राजनीति का नहीं, मनरेगा से करें मदद

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सोनिया ने कहा कि जब आलोचना किसी आंदोलन को दबाने में असफल हो जाती है तो उसको स्वीकृति और सम्मान मिलने लगता है।

Aditya Mishra
Published on: 8 Jun 2020 5:31 AM GMT
सोनिया ने मोदी सरकार से कहा- ये वक्त राजनीति का नहीं, मनरेगा से करें मदद
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नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सोनिया ने कहा कि जब आलोचना किसी आंदोलन को दबाने में असफल हो जाती है तो उसको स्वीकृति और सम्मान मिलने लगता है। आजाद भारत में राष्ट्रपिता की इस बात को साबित करने के लिए मनरेगा से अच्छा कोई उदाहरण नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मनरेगा को कांग्रेस के विफलता का स्मारक कहे जाने पर सोनिया ने लिखा- बीते सालों में मोदी सरकार ने मनरेगा को खत्म करने, इसे कमजोर बनाने की पूरी कोशिश की लेकिन मनरेगा के प्रहरियों और विपक्ष के दबाव ने इसे जिन्दा रखा।

पद संभालने के बाद पीएम मोदी को भी ऐसा महसूस हुआ कि मनरेगा बंद किया जाना व्यावहारिक नहीं है। इसलिए उन्होंने इस योजना को कांग्रेस पार्टी की विफलता का जीवित उदाहरण तक कह दिया।

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मनरेगा ने गरीबी को मिटाने का काम किया: सोनिया

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005 क्रांतिकारी और तार्किक बदलाव का उदाहरण है।

इस कानून ने गरीब से गरीब शख्स को हाथों का काम और आर्थिक ताकत देकर भूख और गरीबी को मिटाने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि यह तार्किक इसलिए है कि यह पैसा सीधा उन लोगों के हाथ में जाता है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। सोनिया ने कहा कि 'यह बीजेपी बनाम कांग्रेस का मुद्दा है ही नहीं। भारत के जनता की मदद करने के लिए मनरेगा का इस्तेमाल करिए।'

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने मनरेगा की आलोचना की और इसे फेल साबित करने की कोशिश की, लेकिन आखिर में इसके लाभ, सार्थकता और तर्क को स्वीकार करना पड़ा। मौजूदा केंद्र सरकार और उससे पहले 6 साल भी सरकार के लिए मनरेगा उपयोगी साबित हुई।

कांग्रेस पार्टी ने जनता की तकलीफों को समझा

सोनिया ने लिखा कि सितंबर 2005 में संसद ने जिस मनरेगा कानून को पास किया वह एक जनआंदोलन और सिविल सोसाइटी की आवाजों का परिणाम है। कांग्रेस पार्टी ने जनता की इस आवाज को सुना और इसे कानून के रूप में पेश किया।

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने लिखा है कि- कांग्रेस द्वारा स्थापित सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के साथ मनरेगा गरीब और कमजोर नागरिकों को भूख और गरीबी से बचाने के लिए बहुत ही लाभकारी है। खासतौर से कोरोना महामारी के दौरान इसकी उपयोगिता साबित हुई है।

लेख में सोनिया ने लिखा कि- भारत के गांवों में रहने वाले किसी भी नागरिक को इस कानून के तहत कम से कम 100 दिन का काम मांगने का अधिकार है और इससे जरिये सरकार उसे न्यूनतम मजदूरी के साथ कम से कम 100 दिन काम दिये जाने की गारंटी देती है।

इसकी उपयोगिता बहुत जल्दी साबित भी हुई। यह जमीनी स्तर पर मांग द्वारा संचालित, काम का अधिकार देने वाली योजना है जो अद्भुत है और इसका उद्देश्य है कि गरीबी मिटाई जा सके। मनरेगा की शुरुआत के बाद 15 साल के भीतर इस योजना से लाखों लोग भूक और गरीबी से बाहर निकले।

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केंद्र ने मनरेगा का रूप बदलने की कोशिश की

सोनिया ने कहा कि - केंद्र ने मनरेगा को स्वच्छ भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कार्यक्रमों से जोड़कर इसका रूप बदलने की कोशिश की, जिसे उन्होंने सुधार का नाम दिया।

लेकिन यह सिर्फ कांग्रेस की योजनाओं का नाम बदलने की कोशिश ही थी। उन्होंने लेख में दावा किया है कि मनरेगा मजदूरों को पेमेंट दिये जाने में बहुत ज्यादा देरी की गई और उन्हें काम करने से मना कर दिया गया।

आज मनरेगा की ज्यादा जरूरत

प्रवासी मजदूरों के घर लौटने के संदर्भ में सोनिया ने लिखा कि आज निराश मजदूर और कामगार विभिन्न शहरों से लौट रहे हैं। ऐसे में अब मनरेगा की जरूरत ज्यादा है।

सबसे पहले उन्हें जॉब कार्ड दिया जाए। जिस पंचायती राज को सशक्त बनाने के लिए राजीव गांधी (पूर्व प्रधानमंत्री) ने संघर्ष किया, आज मनरेगा को लागू करने में मुख्य भूमिका उन्हीं पंचायतों की होनी चाहिए।'

सरकार से अनुरोध करते हुए सोनिया ने लिखा - 'बिना इच्छा के ही लेकिन मोदी सरकार मनरेगा की जरूरत को समझ चुकी है। मेरा अनुरोध है कि इस वक्त देश पर छाए संकट का सामना करने का समय है, यह वक्त राजनीति करने का नहीं है। आपके पास एक ताकतवर तंत्र है। इसका इस्तेमाल कर आपदा के समय भारत के नागरिकों की मदद करें।'

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