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एमपी की राजनीतिः यूपी के इन नेताओं को रास नहीं आया, ये राज्य

दुर्दशा का रिश्ता मध्यप्रदेश में किसी एक पार्टी विशेष से जुड़ा नहीं है। बल्कि हर दल के नेता को राजनीतिक दिक़्क़त झेलनी पड़ती है। मध्यप्रदेश की राजनीति करने वाली उमा भारती हों या बाबू लाल गौड अथवा कमलनाथ सभी को इस अपशकुन से दो चार होना ही पड़ा है।

Newstrack
Published on: 21 July 2020 10:58 AM GMT
एमपी की राजनीतिः यूपी के इन नेताओं को रास नहीं आया, ये राज्य
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योगेश मिश्र

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के किसी भी शख़्स ने मध्यप्रदेश जाकर राजनीति करनी चाही तो उसे मध्य प्रदेश की राजनीति ने फलने फूलने नहीं दिया। यह भी कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश की राजनीति उत्तर प्रदेश के तमाम नेताओं को ‘सूट’नहीं की है। मध्यप्रदेश में उत्तर प्रदेश के कुछ नेताओं को तो राजनीतिक हैसियत से भी हाथ धोना पड़ गया है।

हैरतअंगेज़ है कि इस तरह की दुर्दशा का रिश्ता मध्यप्रदेश में किसी एक पार्टी विशेष से जुड़ा नहीं है। बल्कि हर दल के नेता को राजनीतिक दिक़्क़त झेलनी पड़ती है। मध्यप्रदेश की राजनीति करने वाली उमा भारती हों या बाबू लाल गौड अथवा कमलनाथ सभी को इस अपशकुन से दो चार होना ही पड़ा है। लालजी टंडन, राम प्रकाश गुप्त व राम नरेश यादव का तो राज्यपाल रहते हुए निधन ही हो गया।

कमलनाथ

मध्यप्रदेश में भाजपा व कांग्रेस दो दल ही मुख्यत: है। लंबे समय तक चली शिवराज सिंह चौहान की सरकार को ज़मींदोज़ करके कमलनाथ ने स्पष्ट बहुमत की कांग्रेस की सरकार बनाई। कमलनाथ मूलतः कानपुर के रहने वाले हैं।

कमलनाथ स्पष्ट बहुमत की सरकार नहीं चला पाये। उनकी सरकार 1 साल 97 दिन ही चल पाई। वह 17 दिसंबर, 2018 को मुख्यमंत्री बने। 23 मार्च,2020 को उनकी सरकार तमाम तिकड़म व ज्योतिरादित्य सिंधिया व उने विधायकों के दल बदल के चलते चली गयी।

उमा भारती

कभी देश भर में भाजपा की फ़ायर ब्रांड नेता व हिंदुत्व का चेहरा रही उमा भारती मूलतः ललितपुर ज़िले के नावई गाँव की रहने वाली हैं। अपनी राजनीति के लिए उन्होंने मध्यप्रदेश को चुना।

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बहुत मेहनत करके दिग्विजय सिंह के लंबे कार्यकाल का अंत कर भाजपा की सरकार बनाई। पर एक साल भी पूरा नहीं कर पाईं। उनकी सरकार केवल 259 दिन चली । 8दिसंबर,2003 को वह मुख्यमंत्री बनी। 23 अगस्त, 2004 तक रहीं।

बाबूलाल गौड़

प्रतापगढ़ के मूल निवासी बाबूलाल गौड़ ने भी मध्यप्रदेश में सियासत की पारी शुरू की। उमा भारती के हटने के बाद वह मुख्यमंत्री बने।उन्हें भी एक साल 98 दिन ही मुख्यमंत्री रहने का अवसर मिला। वह 23 अगस्त,2004 को मुख्यमंत्री बने।

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29 नवंबर, 2005 तक रहे। इसके बाद शिवराज सिंह आकर जम गये। हद तो यह हुई की बाबूलाल गौड़ को शिवराज सिंह की सरकार में मंत्री रहना पड़ा।

राकेश चौधरी, माया सिंह भी

चंबल इलाक़े में आज भी बड़ा नाम कहे जाने वाले राकेश चौधरी के पिता उत्तर प्रदेश के उरई ज़िले से विधायक थे। पर राकेश ने सियासत के लिए मध्यप्रदेश को चुना। राकेश दो बार मंत्री रहे पर वह अब पूर्व विधायक हैं। कभी माया सिंह की भी दिल्ली व मध्यप्रदेश की राजनीति में तूती बोलती थी। मंत्री भी रहीं। पर उन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया। वह भी मूलतः जालौन जनपद की रहने वाली हैं।

राम नरेश यादव

आज़मगढ़ के आंधीपुर गाँव के रहने वाले राम नरेश यादव 1977 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मध्यप्रदेश के राज्यपाल बने। राजभवन के लिए उनका कार्यकाल बहुत ही परेशानी भरा रहा। कार्यवाहक राज्यपाल रहते उनका निधन हो गया। लेकिन कुछ मामलों में उनके बेटे की संलिप्तता को लेकर बहुत व्यापक पैमाने पर जाँच पड़ताल हुई।

रामप्रकाश गुप्त

रामप्रकाश गुप्ता 12 नवम्बर, 1999 से 28 अक्टूबर, 2000 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वह 7 मई, 2003 को मध्यप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए थे। अभी एक साल ही ही हुआ था कि एक मई, 2004 को उनका निधन हो गया।

अब लालजी टंडन

लालजी टंडन 23 अगस्त,2018 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद उन्हे 20 जुलाई, 2019 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। आज तड़के उन्होंने लखनऊ के मेदांता अस्पताल में अंतिम साँस ली। वैसे तो जीवन मृत्यु ईश्वर की इच्छा के अधीन है। लेकिन इस अपार दुख की घड़ी में बार बार ये बात आ रही है कि शायद इन्हें मध्य प्रदेश रास नहीं आया।

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