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चाट के शौकीन लालजी टंडन के आवास पर अटल जी किया करते थे भोजन

टंडन जी चाट खाने और खिलाने के बेहद शौकीन थें। अक्सर अपने घर पर वह पत्रकारों और नेताओं को चाट की दावत दिया करते थें। इसके साथ ही हर साल होली पर वह एक बडा आयोजन किया करते थें जिसमें पूरे लखनऊ के लोग एकत्र होते थे चाहे वह किसी भी समुदाय का हो किसी भी दल का हो।

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Published on: 21 July 2020 9:23 AM GMT
चाट के शौकीन लालजी टंडन के आवास पर अटल जी किया करते थे भोजन
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टडन की यूपी में भाजपा सरकार बसपा सरकार बनवाने में विशेष भूमिका थी। उनके ही प्रयास से मायावती और भाजपा के बीच गठबन्धन तय हुआ था। उदारवादी विचारधाारा के धनी राजनेता लालजी टडन के हर दल से अच्छे संबन्ध रहते थें। चाहे वह समाजवादी पार्टी हो बसपा हो अथवा कांग्रेस हो। हर दल के नेता का उनके आवास पर आना जाना लगा रहता था।

चाट खाने और खिलाने के बेहद शौकीन थे टंडन जी

प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने लालजी टंडन को राखी बांधी थी। वह राखी आम रखी नहीं थी। मायावती ने टंडन को चांदी की राखी बांधी थी। टंडन जी चाट खाने और खिलाने के बेहद शौकीन थें।

हर व्यक्ति के मन में लालजी टंडन के प्रति गहरा प्रेम था।

पत्रकारों और नेताओं को चाट की दावत दिया करते थे

अक्सर अपने घर पर वह पत्रकारों और नेताओं को चाट की दावत दिया करते थें। इसके साथ ही हर साल होली पर वह एक बडा आयोजन किया करते थें जिसमें पूरे लखनऊ के लोग एकत्र होते थे चाहे वह किसी भी समुदाय का हो किसी भी दल का हो।

साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका

राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ से जुड़ने के दौरान ही लालजी टंडन की मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हुई। धीरे-धीरे वह अटलजी के बहुत करीब आ गए। लालजी टंडन खुद कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका निभाई।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का तो लालजी टंडन के प्रति अगाध प्रेम था।

वह जब भी लखनऊ आते थें तो प्रोटोकाल तोड़कर मुख्यमंत्री आवास पर भोजन न करके उनके चौक स्थित आवास पर भोजन किया करते थें। 2004 में जब कल्याण सिह भाजपा में वापस लौटे तो उनकी मुलाकात लालजी टण्डन के आवास पर ही अटल जी से हुई थी।

राजनीतिक करियर 1960 से शुरू किया

लालजी टंडन ने अपना राजनीतिक करियर 1960 से शुरू किया। वह दो बार सभासद चुने गए। दो बार विधान परिषद के सदस्य बने। वह इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन से जुड़े और यहीं से उनके राजनीतिक सफर को उड़ान मिली।

मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने वाले टंडन प्रदेश की भाजपा सरकारों में कई बार मंत्री भी रहे हैं। और अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी के रूप में जाने जाते रहे।

इन्होंने वाजपेयी के चुनाव क्षेत्र लखनऊ की कमान संभाली थी और अटल विहारी वाजपेयी के निधन बाद लखनऊ से ही 15वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए।

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