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अब जनता की बारी: यूपी चुनाव के तीसरे चरण में तय होगा सपा-अखिलेश-शिवपाल का भविष्य
यूपी में रविवार (19 फरवरी) को तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर होने वाला चुनाव समाजवादी पार्टी का भविष्य भी तय करेगा और यह भी बताएगा कि अभी तक पार्टी के कद्दावर नेता रहे शिवपाल सिंह यादव सपा में रहेंगे या नहीं।
Vinod Kapoor
लखनऊ: यूपी में रविवार (19 फरवरी) को तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर होने वाला चुनाव समाजवादी पार्टी का भविष्य भी तय करेगा और यह भी बताएगा कि अभी तक पार्टी के कद्दावर नेता रहे शिवपाल सिंह यादव सपा में रहेंगे या नहीं। विधानसभा की इन 69 सीटों पर शुक्रवार (17 फरवरी) को शाम पांच बजे चुनाव प्रचार थम गया है।
इसके भी कारण हैं कि कल 16 फरवरी को पिता को हटा कर सपा पर कब्जा कर चुके अखिलेश यादव ने इटावा की जनसभा में जिस तरह अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव पर हमला बोला वो चौंकाने वाला था। उन्होंने शिवपाल को हराने की अपील की। इसके साथ ही यह भी कह दिया कि उनके और पिता के बीच झगड़ा कराने वाले वो (शिवपाल) ही हैं। उन्होंने ही सपा के अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं ताकि पार्टी के उम्मीदवार हार जाएं।
हालांकि शिवपाल यादव ने परिपक्वता दिखाते हुए भतीजे अखिलेश के खिलाफ कुछ नहीं कहा। उनका कहना था कि सब ठीक है। अखिलेश ने कहा कि यहीं से (इटावा) लोग कह रहे थे कि चुनाव बाद नई पार्टी बनेगी। बना के दिखाएं और अपनी हैसियत देख लें। बता दें कि शिवपाल इटावा की जसवंतनगर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड रहे हैं। हालांकि अखिलेश ने अपने पूरे भाषण में एक बार भी शिवपाल का नाम नहीं लिया, लेकिन पूरे संबोधन में निशाने पर शिवपाल ही रहे। सपा के एक नेता नरेश अग्रवाल तो सबसे आगे बढ़ गए और शिवपाल की तुलना कूड़े से कर दी । उनका कहना था कि कूड़े की जगह कूड़ेदान में ही होती है।
तीसरे चरण में इटावा, मैनपुरी समेत राजधानी लखनऊ में भी चुनाव हो रहा है। मैनपुरी, इटावा शुरू से ही सपा का गढ़ रहा है। विधानसभा के पिछले चुनाव में सपा ने राजधानी लखनउ की 9 मे 7 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था।
अब देखना दिलचस्प होगा कि इटावा, मैनपुरी की जंग में अखिलेश के हाथ बाजी रहती है या शिवपाल के समर्थक और सपा के बागी प्रत्याशी आगे रहते हैं।
इस चरण में कई ऐसे प्रत्याशी हैं जो मुलायम और शिवपाल के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। राजधानी लखनऊ की कैंट सीट से मुलायम की छोटी बहू अपर्णा उम्मीदवार हैं। मुलायम ने उनके लिए प्रचार भी किया था। अपर्णा के लिए प्रचार तो अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव ने भी किया और दोनों देवरानी, जेठानी की जुगलबंदी भी दिखाई दी। इस सीट पर अपर्णा का मुकाबला बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी से है जो 25 साल कांग्रेस में गुजारने के बाद पिछले साल ही बीजेपी में शामिल हुई हैं।
विधानसभा का पिछला चुनाव इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत चुकीं रीता को बीजेपी ने इसी सीट से उतार दिया है। कैंट इलाके में पहाड़ के लोगों की अच्छी खासी संख्या है। उततराखंड के मूल निवासियों को मैदानी क्षेत्रों में पहाडी कहा जाता है। दिलचस्प होगा दो पहाड़ी महिलाओं का जंग देखना। रीता राजनीतिक परिवार से आती हैं। रीता यूपी के सीएम रहे हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं जबकि अपर्णा पत्रकार अरविंद सिंह बिष्ट की बेटी हैं जो उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके के हैं।
लखनउ मध्य सीट से मुकाबला भी दिलचस्प होता नजर आ रहा है। इस सीट से सपा के रविदास मेहरोत्रा और कांग्रेस के मारूफ खान आमने-सामने हैं। तालमेल में ये सीट सपा के पास आई थी, लेकिन कांग्रेस ने मारूफ को मैदान में उतार दिया ।
राजनीतिक प्रेक्षक ये मान रहे हैं कि रविदास चूंकि मुलायम के समर्थक माने जाते हैं इसलिए अखिलेश नहीं चाहते कि वो चुनाव जीतें। इसीलिए मारूफ को मैदान में उतारने के लिए कांग्रेस को हरी झंडी दी गई ।
तीसरे चरण के लिए बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य नेताओं ने प्रचार किया तो कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ,गुलाम नबी आजाद, बसपा की ओर से मायावती, सतीश चंद्र मिश्रा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने प्रचार किया। सपा की कमान अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल ने संभाली है।