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बेमेल इन पार्टियों का गठबंधन: सत्ता के लिए आये करीब, फिर हुआ ये हाल...

राजनीति में कुछ भी जायज है। सत्ता के लिए धुर-विरोधी पार्टियां समर्थन कर लेती हैं तो वहीं बाद अपनी-अपनी पॉवर और भूमिका को लेकर एक दूसरे से भिड़ भी जाते हैं।

Shivani Awasthi
Published on: 24 Jan 2020 10:44 AM GMT
बेमेल इन पार्टियों का गठबंधन: सत्ता के लिए आये करीब, फिर हुआ ये हाल...
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लखनऊ: राजनीति में कुछ भी जायज है। सत्ता के लिए धुर-विरोधी पार्टियां समर्थन कर लेती हैं तो वहीं सत्ता में आने के बाद अपनी-अपनी पॉवर और भूमिका को लेकर एक दूसरे से भिड़ भी जाते हैं। भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसे कई मामले सामने आये जब पार्टियों के बीच बेमेल गठबंधन हुए। इसका सबसे ताजा उदाहरण महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन है।

महाराष्ट्र में शिवसेना ने भाजपा को छोड़ थाम लिया कांग्रेस का हाथ:

पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना और भाजपा की गठबंधन ने सरकार बनाई लेकिन जब सीएम बनने के बात आई तो भाजपा से देवेंद्र फडणवीस को सीएम बना दिया। जिसके बाद से दोनों दलों के बीच विवाद होता रहा। वहीं हाल में ही हुए महाराष्ट्र चुनाव में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर लिया।

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शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ किसी तरह का मेल नहीं था, लेकिन इन तीनों का गठबंधन भी बना और राज्य में सरकार भी बनी। वहीं उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री बन गये। हालाँकि इस के बाद मन्त्रिमंडल में जगह के लिए, फिर विभागों के बंटवारे को लेकर उठापटक जारी रही।

जम्मू कश्मीर में भाजपा ने थाम लिया पीडीपी का हाथ:

जम्मू कश्मीर में भाजपा का पीडीपी के साथ गठबंधन भी बेमेल ही था। दोनों दलों की विचारधारा अलग थीं, लेकिन सत्ता के लिए दोनों दल साल 2014 में साथ आए। बता दें कि इसके पहले तक भाजपा पीडीपी को अलगाववादियों के समर्थन वाली पार्टी बताती थीं। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप होते थे लेकिन सत्ता के लिए दोनों साथ आये और सरकार बनाई। हालांकि 2018 में ये गठबंधन टूट गया।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी हुए थे एक साथ:

दिल्ली की सत्ता पर काबिज कांग्रेस ने भी खुद को दिल्ली की पॉवर में रखने के लिए अरविंद केजरीवाल की पार्टी का समर्थन देना स्वीकार किया था। साल 2013 में दिल्ली चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला था लेकिन भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस ने भाजपा को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया। ये वहीं दल था जो कांग्रेस को दिल्ली की सत्ता से हटाने के लिए अस्तित्व में आया था। बाद में कांग्रेस के सहयोग से केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने।

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भाजपा को रोकने के लिए कर्नाटक में बेमेल गठबंधन:

इसी तरह का गठबंधन 2018 में कर्नाटक में में हुआ। कांग्रेस और जेडीएस, जो एक दूसरे के विरोधी दल थे, चुनाव नतीजों के बाद एक दूसरे के करीबी हो गये। चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ा दल बनके उभरी, लेकिन बहुमत न होने के कारण सत्ता तक नहीं पहुंच सकी। भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस का समर्थन किया। एचडी कुमार स्वामी मुख्यमंत्री बन गये, लेकिन ये सरकार ज्यादा दिन नहीं टिकी।

मायावती को दो बार मिला भाजपा का साथ:

उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी बेमेल गठबधंन देखने को मिल चुका है। मायावती की सरकार दो बार सत्ता में आई तो भाजपा के समर्थन के कारण। 1993 के चुनाव के बाद बसपा और सपा के बीच गठबंधन की सरकार बनी थी। मुलायम सिंह यादव मुख्यम्न्तिर बने लेकिन मशहूर गेस्ट हाउस कांड के बाद बसपा ने अपना समर्थन वापस ले किया और दोनों दलों के रास्ते अलग हो गये। भाजपा ने बसपा का समर्थन किया और मायावती मुख्यमंत्री बन गयी।

इसके अलावा भाजपा को रोकने के लिए सपा और बसपा और कांग्रेस ने पिछले चुनावों में गठबंधन किया था लेकिन करारी हार के बाद ये गठबंधन तो टूटा ही, सत्ता भी नहीं मिली।

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Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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