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यहां नेता करते हैं रोड शो, वहां गरीबों की रोजी-रोटी हो जाती है ठप, किस काम के ऐसे वादे

विधानसभा चुनाव प्रचार का चौथा चरण। प्रचार पूरे शबाब पर। सियासी योद्धा कमर कसकर अपने रथों पर सवार। सड़कों पर मचलता नौजवानों का समूह।

tiwarishalini
Published on: 22 Feb 2017 10:51 AM IST
यहां नेता करते हैं रोड शो, वहां गरीबों की रोजी-रोटी हो जाती है ठप, किस काम के ऐसे वादे
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रतिभान त्रिपाठी

इलाहाबाद: विधानसभा चुनाव प्रचार का चौथा चरण। प्रचार पूरे शबाब पर। सियासी योद्धा कमर कसकर अपने रथों पर सवार। सड़कों पर मचलता नौजवानों का समूह। झरोखों से रथों पर नजरें गड़ाए महिलाएं। जीत को आतुर उम्‍मीदवार। जिताने को उत्‍साहित मतदाता। इनके साथ सेल्‍फी बनाकर खुद को धन्‍य मान रहे लोग। फर्राटा भरतीं चमचमाती बेशकीमती गाड़ियां। और इन सबके बीच सड़क किनारे दुबके मोची और सवारी न मिलने से चिंता में डूबे रिक्‍शावान।

मंगलवार को इलाहाबाद में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। सियाती घमासान में भले ही नेताओं ने आसमान सिर पर उठा रखा हो लेकिन रीवा के त्‍योंथर से आया मंगलदेव रिक्‍शा लेकर मेडिकल चौराहे पर सुबह से खड़ा है।नेतागीरी की इस आपाधापी में उसे एक भी सवारी नहीं मिली।

-वो कहता है, 'का करी साहेब, नेतन के मारे एकौ सवरियै नाहीं मिली। पुलिस वाले रस्‍ता बंद कराय दिहिन। लागत है, आज दिन भर भूंखेन रहब।'

-आगे बालसन चौराहे पर बैठे मोची रामदीन की चिंता भी कुछ ऐसी ही थी। वो कहता है कि 'नेतन के चक्‍कर मा काम-धंधा नाही मिला। सड़क मा बइठै पाई तब त कउनौ पालिस करावै आई।'

नेताओं की नारेबाजी में दब गई गरीबों की आवाज

चमचमाती गाड़ियों और सियासी नारों के शोर में इन गरीब और छोटे कामगारों की आवाज मानों कही दब गई हो। इस पूरे सीन को लेकर उनके भीतर गुस्‍से का पहाड़ है।

झूठे है नेताओं के दावे , जस की तस है गरीबों की हालत

-जिनका दुख दर्द दूर करने के नाम पर नेता लंबे-चौड़े भाषण देते हैं, पूरे में शहर में जुलूस निकालकर नारेबाजी से लोगों को लुभाते हैं, उन्‍हीं की हालत नहीं सुधर रही।

-ऑटो रिक्‍शा का भारी भरकम प्रचार करने वाले नेताओं के बीच मंगलदेव आज भी टुटही पाइडिल वाला रिक्‍शा लिए घूम रहा है।

-रामदीन मोची वही फटही लुंगी पहने किनारे बैठा है जो शायद महीनों से साबुन का स्‍पर्श न पा सकी है।

-यह कोई एक रिक्‍शावान या मोची की कहानी नहीं है। ऐसे लाखों गरीब बरसों से इसी हालत में हैं और मुश्‍िकल से दो जोड़ी पायजामा-कुर्ता जुटाकर सियासत में कदम रखने वाले टुटपुंजिए नेता साल दो साल में ही पजेरो और फार्चूनर में फर्राटा भरने लगते हैं।

आगे पढ़ें नेताओं के रोड शो से थम गया शहर...

-मंगलवार को इलाहाबाद की सड़कों पर बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह अपने प्रदेश के ओदहेदार केशव प्रसाद मौर्य के साथ घंटों घूमे।

-साथ में उनके शहरी उम्‍मीदवार हर्ष बाजपेयी, सिद्धार्थनाथ सिंह और नंद गोपाल गुप्‍ता नंदी भी रथ की शोभा बढ़ाते दिखे।

-भाजपाई रंग में डूबी दिख रही इलाहाबाद की सड़कें खचाखच भरी दिखीं।

कुछ ऐसा था ट्रैफिक का आलम

-रोड शो के नाते जाम का आलम यह था कि पैदल आगे बढ़ पाना भी किसी युद्ध से कम नहीं था।

-कुछ जगहों पर रोड शो रोक शाह ने संक्षिप्‍त भाषण देकर भाजपा उम्‍मीदवारों के लिए वोट मांगे।

बेजीपी के बाद आई सपा-कांग्रेस की बारी

-शाह के पीछे-पीछे कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का रोड शो भी लगा था।

-इनका रथ एेतिहासिक आनंद भवन के पास से चला।

-रथ पर राहुल अखिलेश के साथ तीनों शहरी उम्‍मीदवार अनुग्रह नारायण सिंह, रिचा सिंह और परवेज टंकी सवार थे।

-सड़कों पर हजारों का हुजूम। चौतरफा जाम का माहौल। जैसे ही अखिलेश और राहुल लोगों की तरफ हाथ हिलाकर उनका अभिवादन करते, नारों का शोर आसमान में उमड़ने घुमड़ने लगता।

-दोनों युवा नेताओं की शान में कांग्रेस और सपा के नौजवान लहराकर ऐसे नारेबाजी कर रहे थे, जैसे चुनाव जीत गए हों।

-लोगों का उत्‍साह देख राहुल और अखिलेश की जोड़ी इनके उस नारे को सच साबित करती लगी कि यूपी को ये साथ पसंद है।

-सियासी इतिहास में यह पहली दफा है जब अलग-अलग विचारधाराओं वाली इन पार्टियों के दो प्रमुख नेता इलाहाबाद की धरती पर यूं साथ दिखे हैं।

-रोड शो पुराने शहर के खुल्‍दाबाद से होकर अटाला तक पहुंचना था लेकिन शाम के पांच बजाती घड़ी की सुइयों से इसे इलाहाबाद स्‍टेशन पर ही इसे विराम देने को मजबूर कर दिया।

-चौथे चरण के चुनाव प्रचार का कल आखिरी दिन था।

-इन तीनों पार्टियों के प्रमुख नेताओं ने इलाहाबाद को रोड शो के लिए शायद इसीलिए चुना कि इस ऐतिहासिक शहर से निकला सियासी संदेश रामायण और गीता से कम नहीं होता।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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