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प्रदेश में नए सियासी गठजोड़ की आहट, बड़े दलों के लिए मुसीबत बनेगा ये नया गठबंधन
सियासी जानकारों का कहना है कि ओवैसी और राजभर की कोशिश शिवपाल सिंह यादव के साथ ही आम आदमी पार्टी और अपना दल के कृष्णा पटेल गुट को साथ जोड़ने की है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा से पहले भाजपा को जवाब देने के लिए नए सियासी गठबंधन की जमीन तैयार होने लगी है। आजमगढ़ में शनिवार की रात एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।
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एक शादी समारोह के दौरान दोनों नेताओं के बीच हुई एकांत में चर्चा के बाद यूपी में नई सियासी खिचड़ी पकने के संकेत मिले। मुलाकात के बाद शिवपाल ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम, ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा और उनकी पार्टी मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। सियासी जानकारों का मानना है कि यह गठबंधन निश्चित रूप से बड़ी पार्टियों के लिए मुसीबत साबित होगा।
शिवपाल को साथ लेने में जुटे ओवैसी
बिहार के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को मिली कामयाबी के बाद ओवैसी के नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई हैं। ओवैसी और सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर के बीच पिछले दिनों लखनऊ में भी मुलाकात हुई थी और इसके बाद उन्होंने मिलकर चुनाव लड़ने का एलान किया था।
shivpal-singh-yadav-asaduddin owaisi (PC: social media)
अब ओवैसी इस गठबंधन में शिवपाल सिंह यादव को भी जोड़ कर इसे और मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ओवैसी और शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
शादी समारोह में दो दिग्गजों की मुलाकात
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली की बेटी के शादी समारोह में हिस्सा लेने के लिए शिवपाल सिंह यादव और ओवैसी दोनों शनिवार को आजमगढ़ पहुंचे थे। आजमगढ़ को सपा और बसपा का गढ़ माना जाता है और मौजूदा समय में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ से ही सांसद है।
आजमगढ़ की फूलपुर तहसील के माहुल नगर में आयोजित इस वैवाहिक समारोह के दौरान दो सियासी दिग्गजों की मुलाकात के बाद सियासी अटकलों का बाजार गर्म हो गया। दोनों नेताओं ने शौकत की बेटी व दामाद को आशीर्वाद देने के बाद एकांत में मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान ओवैसी और शिवपाल के अलावा शौकत व प्रसपा के महासचिव राम दर्शन यादव भी मौजूद थे।
इन तीनों को गोलबंद करने की कोशिश
हालांकि मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने बातचीत का ब्योरा बताने से इनकार कर दिया मगर शिवपाल ने आने वाले विधानसभा चुनाव में तीन बड़ी सियासी ताकतों के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने का साफ इशारा किया। सियासी जानकारों का मानना है कि एआईएमआईएम, सुभासपा और प्रसपा के एक मंच पर आने से मुस्लिम, राजभर और यादव मतों को गोलबंद करने की बड़ी कोशिश होगी। इन मतों की गोलबंदी भाजपा सपा और बसपा जैसे बड़े सियासी दलों के लिए मुसीबत साबित हो सकती है।
omprakash-rajbhar-asaduddin owaisi (PC: social media)
भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की अपील
ओवैसी से मुलाकात के बाद शिवपाल सिंह यादव ने स्पष्ट किया है कि मैं पहले भी इस बात पर जोर देता रहा हूं कि समान विचारधारा के लोगों और सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक मंच पर आकर भाजपा को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए ताकि उसे प्रदेश व देश से उखाड़ा जा सके।
उन्होंने कहा कि यह वक्त की जरूरत है कि भाजपा को जवाब देने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दल एक मंच पर आएं। शिवपाल सिंह यादव ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि हमारी पार्टी का सपा में विलय नहीं होगा। हम सिर्फ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं।
इन दलों को भी साथ जोड़ने का प्रयास
सियासी जानकारों का कहना है कि ओवैसी और राजभर की कोशिश शिवपाल सिंह यादव के साथ ही आम आदमी पार्टी और अपना दल के कृष्णा पटेल गुट को साथ जोड़ने की है। इसके लिए कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद ओमप्रकाश राजभर लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं और भाजपा के खिलाफ नया राजनीतिक विकल्प अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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ऐसे में माना जा रहा है कि यह सियासी मुलाकात बड़ा गुल खिलाएगी। समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद शिवपाल सिंह यादव को भी मजबूत विकल्प बनाने के लिए सियासी दलों से गठबंधन की जरूरत है। सपा उन्हें मनोवांछित सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में वे ओवैसी और राजभर के साथ मिलकर सपा और भाजपा दोनों के लिए मुसीबतें खड़ी कर सकते हैं।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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