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यूपी: राज्यसभा की दो सीटों पर 23 सितंबर को होगा मतदान

यह तरीका भाजपा और विभिन्न दलों के राज्यसभा सांसदों दोनों को ही रास आ रहा है। इससे एक ओर जहां राज्यसभा में मोदी सरकार नवंबर 2020 से पहले ही राज्यसभा में बहुमत हासिल कर लेगी तो विभिन्न दलों के राज्यसभा सांसद इस्तीफा दे रहे है।

Manali Rastogi
Published on: 29 Aug 2019 10:47 AM GMT
यूपी: राज्यसभा की दो सीटों पर 23 सितंबर को होगा मतदान
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यूपी: राज्यसभा की दो सीटों पर 23 सितंबर को होगा मतदान

लखनऊ: चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की दो राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है। राज्यसभा उपचुनाव के लिए अधिसूचना 5 सितंबर को जारी होगी। राज्यसभा उपचुनाव के लिए मतदान और वोटों की गिनती 23 सितंबर को होगी, जबकि नामांकन की अंतिम तारीख 12 सितंबर है। इन दोनों सीटों पर यूपी में प्रचंड बहुमत रखने वाली भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की जीत तय मानी जा रही है।

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सपा के राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र सिंह नागर और संजय सेठ के इस्तीफे के बाद दोनों सीटें खाली हुई हैं। इन दोनों ही नेता अब भाजपा में शामिल हो चुके है। अब देखना यह है कि भाजपा इन दोनों नेताओं को राज्यसभा का टिकट देती है या नहीं।

भाजपा में शामिल हो गये थे नीरज शेखर

हालांकि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर भी सपा के राज्यसभा सांसद थे और उन्होंने राज्यसभा सांसद पद और सपा दोनों को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये थे। भाजपा ने इसी माह उन्हे अपने टिकट पर निर्विरोध निर्वाचित करा दिया था।

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दरअसल, लोकसभा में प्रचंड बहुमत रखने वाली मोदी सरकार के पास अभी भी राज्यसभा में बहुमत नहीं है। राज्यसभा में मोदी सरकार को नवंबर 2020 में बहुमत में आने की उम्मीद है और मोदी सरकार को अपने कई बिल पास कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

इंतजार करने के मूड में नहीं मोदी सरकार

इसीलिए मोदी सरकार के प्रमुख रणनीतिकार अब इंतजार करने के मूड में नहीं है। यहीं कारण है कि कई दलों के राज्यसभा सांसद अपने दलों और राज्यसभा से इस्तीफा दे कर भाजपा में शामिल हो रहे है और भाजपा राज्यसभा का उपचुनाव करा कर इन्हे वापस राज्यसभा में भेज रही है।

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यह तरीका भाजपा और विभिन्न दलों के राज्यसभा सांसदों दोनों को ही रास आ रहा है। इससे एक ओर जहां राज्यसभा में मोदी सरकार नवंबर 2020 से पहले ही राज्यसभा में बहुमत हासिल कर लेगी तो विभिन्न दलों के राज्यसभा सांसद इस्तीफा दे रहे है। उन्हे सत्ता का साथ तो मिलता ही है, साथ ही बतौर राज्यसभा सांसद उनका कार्यकाल भी बढ़ जाता है।

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