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नारे दिलाते रहे हैं ममता को जीत, इस बार इन नारों के सहारे दम दिखाने की तैयारी

ममता बनर्जी पहले भी चुनाव जीतने के लिए नारों का सहारा लेती रही हैं और इस बार भी उन्होंने चुनाव जीतने के लिए नारे गढ़ लिए हैं।

Shivani
Published on: 15 March 2021 9:57 PM IST
नारे दिलाते रहे हैं ममता को जीत, इस बार इन नारों के सहारे दम दिखाने की तैयारी
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। किसी भी चुनाव को जीतने के लिए नारों की बड़ी भूमिका होती है और इस बात को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बेहतर कोई नहीं जानता। ममता बनर्जी पहले भी चुनाव जीतने के लिए नारों का सहारा लेती रही हैं और इस बार भी उन्होंने चुनाव जीतने के लिए नारे गढ़ लिए हैं। खेला होबे का नारा लोकप्रिय होने के बाद तृणमूल कांग्रेस की ओर से सबसे नया नारा दिया गया है बंगाल को चाहिए अपनी बेटी।

ममता की ओर से खेला होबे का नारा दिए जाने के बाद भाजपा नेता भी अपनी सभाओं में इस नारे के जरिए ही जवाब देने में जुटे हुए हैं। इस नारी की लोकप्रियता को इस बात से ही समझा जा सकता है कि परिवर्तन यात्रा में खेला होबे का गाना बजने के बाद वामदलों और कांग्रेस की सभाओं में भी इसकी गूंज सुनाई पड़ रही है।

ममता के लिए सबसे बड़ी सियासी जंग

पश्चिम बंगाल की सियासत में काफी मजबूत हो चुकी ममता बनर्जी को इस बार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बड़ी सियासी जंग लड़नी पड़ रही है। भाजपा ने चुनाव से काफी पहले से ही ममता की घेरेबंदी शुरू कर दी थी। तृणमूल कांग्रेस में हुई बगावत के बाद कई नेताओं के भाजपा में जाने से ममता की मुश्किलें और बढ़ गई हैं और यही कारण है कि ममता बनर्जी भाजपा को करारा जवाब देने की कोशिश में जुटी हुई हैं।

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मां, माटी और मानुष का नारा

ममता बनर्जी पहले भी नारों के दम पर चुनाव जीतती रही हैं। 2009 के आम चुनाव और 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता का मां, माटी और मानुष का नारा काफी लोकप्रिय हुआ था। यह उस समय के सबसे हिट राजनीतिक नारों में से एक था।

विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ममता ने इसी शीर्षक से एक किताब भी लिखी थी और इसी नाम से एक गाना भी रिकॉर्ड किया गया था। ममता का एक और नारा काफी हिट हुआ था चुपचाप फूले छाप। इस नारे का मतलब है कि चुपचाप फूल यानी तृणमूल कांग्रेस के चुनाव निशान पर मुहर लगाइए।

mamata banerjee

बदला नहीं, बदलाव चाहिए

2011 के चुनाव में वामदलों की सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए तृणमूल कांग्रेस की ओर से एक और नारा उछाला गया था बदला नॉय,बदल चाइ। काफी लोकप्रिय हुए इस नारे का मतलब था कि बदला नहीं चाहिए, हमें बदलाव चाहिए। ममता बनर्जी की ओर से यह नारा चुनावी हिंसा को देखते हुए दिया गया था।

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2016 के विधानसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी ने मां माटी और मानुष के नारे पर जोर दिया था। यही कारण है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के अन्य नेताओं की ओर से ममता के इस नारे का जोरदार जवाब दिया जा रहा है।

टीएमसी की सभाओं में खेला होबे का नारा

इस बार के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की ओर से दो नारों का जमकर उपयोग किया जा रहा है। ममता बनर्जी ने एक बड़ी चुनावी सभा को संबोधित करते हुए खेला होबे का नारा दिया। इस नारे का मतलब है खेल होगा।

दरअसल खेला होबे गाना है जिसे 2017 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से पहले तैयार किया गया था। बांग्लादेश में भी राजनीतिक मंचों पर यह नारा काफी लोकप्रिय हुआ था। ममता अपनी कई चुनावी सभाओं में इस नारे को उछालती रही हैं। उनका कहना है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में खेला होबे।

दूसरे दल भी इसी नारे से दे रहे जवाब

मजे की बात यह है कि अब दूसरे दलों की ओर से भी ममता बनर्जी के इस नारे का उपयोग करके ही उन्हें जवाब भी दिया जा रहा है। भाजपा में शामिल होने के बाद शुभेन्दु अधिकारी ने नंदीग्राम की एक सभा में ममता को जवाब देते हुए कहा कि खेला होबे, भयंकर खेला होबे यानी इस बार खेल होगा और भयंकर खेल होगा।

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इसके बाद पूर्वी वर्धमान में भाजपा की परिवर्तन यात्रा के दौरान भी खेला होबे गाना सुना गया। वामदलों और कांग्रेस की जनसभाओं में भी खेला होबे गाना गाया जा रहा है।

बंगाल को चाहिए अपनी बेटी

तृणमूल कांग्रेस की ओर से इस बार के चुनाव में एक और नारा काफी जोरों से लगाया जा रहा है कि बंगाल को चाहिए अपनी बेटी। दरअसल ममता समेत तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेता भाजपा पर बाहरी होने का आरोप लगाते रहे हैं। इसी कारण तृणमूल की ओर से यह नारा उछाला गया है कि बंगाल की बेटी ममता ही हैं और बंगाल को अपनी बेटी ही चाहिए। कोलकाता सहित पश्चिम बंगाल के अन्य शहरों में भी बड़े-बड़े होर्डिंग पर यह नारा लिखवाया गया है।

भाजपा ने दिया नारे का जवाब

हालांकि इस नारे का जवाब देते हुए भाजपा की ओर से भी होर्डिंग लगवाए गए हैं जिन पर भाजपा की नौ महिला नेताओं के नाम और चित्र लगाए गए हैं। ममता को जवाब देने के लिए भाजपा की ओर से पीसी जाओ नारे का भी सहारा लिया जा रहा है। बांग्ला में बुआ को पीसी कहते हैं और यह बुआ शब्द ममता बनर्जी के लिए उपयोग किया जा रहा है।

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सोनार बांग्ला का भी नारा उछला

ममता को जवाब देने के लिए भाजपा की ओर से सोनार बांग्ला नारे का भी खूब उपयोग किया जा रहा है। भाजपा के दिग्गज नेता अपनी जनसभाओं में पश्चिम बंगाल को सोनार बांग्ला बनाने का वादा करना नहीं भूलते। नारों की सियासत में ममता बनर्जी अभी तक बाजी मारने में कामयाब रही हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार कड़े चुनावी मुकाबले में फंसीं ममता बनर्जी नारों के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगा पाती हैं या नहीं।



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