कौन हैं हंसराज हंस? जे.एन.यू. का नाम बदलने की मांग क्यों की? पढ़ें पूरी खबर

पंजाबी गायक हंसराज हंस एक बार फिर सुर्खियाँ बटोरते हुए नज़र आ रहें हैं। इस बार उनका चर्चा में आने का कारण जे.एन.यू.(JNU) यानी जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी है।

Aditya Mishra
Published on: 18 Aug 2019 9:38 AM GMT
कौन हैं हंसराज हंस? जे.एन.यू. का नाम बदलने की मांग क्यों की? पढ़ें पूरी खबर
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कौन हैं हंसराज हंस? जे.एन.यू. का नाम बदलने की मांग क्यों की? पढ़ें पूरी खबर

पंजाबी गायक हंसराज हंस एक बार फिर सुर्खियाँ बटोरते हुए नज़र आ रहें हैं। इस बार उनका चर्चा में आने का कारण जे.एन.यू.(JNU) यानी जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी है।

जी हाँ, ये वही यूनिवर्सिटी है जहाँ से टुकड़े-टुकड़े गैंग का इजात हुआ था। अब इसको लेकर 30 नवंबर, 1953 को शफीपुर (जालंधर) में जन्में हंस ने एक बयान दे दिया है।

उनका यह बयान बीजेपी पार्टी के लिए कहीं जी का जंजाल ना बन जाए। क्योंकि सूफी गायक के इस बयान से विपक्ष को सत्ता में बैठी मोदी सरकार के ऊपर हावी होने का मौका मिल सकता है।

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दरअसल, दिल्ली से लोकसभा सांसद हंसराज हंस ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी का नाम बदलने की वकालत की है।

साथ ही उन्होंने पीएम मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को लेकर कहा कि यह सबको अच्छा लगा। उन्होंने यह बात जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक समारोह के दौरान कही।

हंसराज हंस: जे.एन.यू. का नाम बदलने की वकालत

जम्मू के मुद्दे पर बात खत्म करने के बाद 1983 से लगातार म्यूजिक इंडस्ट्री में काम करने वाले हंसराज हंस ने एक बड़े बदलाव को करने की वकालत की। उन्होंने कहा, 'हमारे बुजुर्गों ने गलतियां की हैं और हम भुगत रहे हैं।

मैं तो कहता हूं कि इसका (यूनिवर्सिटी का) नाम जेएनयू की जगह एमएनयू कर दो। मोदी जी नाम पर भी कुछ होना चाहिए। उन्होंने नामुमकिन को मुमकिन कर दिया। इसलिए कहते हैं कि मोदी है तो मुमकिन है।'

हंसराज हंस: धारा 370 मामले को सराहा

सांसद हंसराज हंस ने कहा, 'खुशी इस बात की भी है कि कश्मीर अब वाकई जन्नत होने वाला है।

370 वाला मामला सबको अच्छा लगा है। अब दुआ करो सब लोग अमन और मोहब्बत से रहें। कम से कम बम नहीं चले।

मेरी तो यही दुआ है कि बम ना चलाने पड़ें। बंदा इधर का मरे या उधर का, मारा जाता एक मां का बेटा ही है। चाहे बाद में परमवीर चक्र दें या धर्मवीर चक्र, मां का बेटा वापस नहीं आता।'

राजनीतिक पारी

‘ऊपर खुदा आसमां नीचे’, ‘टोटे-टोटे हो गया’, ‘तेरे बिन नई जीना मर जाना’ जैसे गानों से अपनी खास पहचान बनाने वाले ‘हंस राज हंस’ को भाजपा ने तमाम विवादों के बावजूद इस साल हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से टिकट दिया था।

इनके बारे में अगर बात करें तो 2009 में शिरोमणि अकाली दल के जरिए अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले हंस राज हंस ने 2014 में कांग्रेस भी ज्वाइन कर ली थी।

लेकिन इसके बाद 10 दिसंबर 2016 को उन्होंने भाजपा ज्वाइन की। जिसके बाद 2017 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनावों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हंसराज हंस ने दिल्ली में कई रैलियां-कई सभाएं कीं, जिसका नतीजा बीजेपी की जीत के रूप में देखा गया। इनके इसी प्रदर्शन के बदौलत लोकसभा चुनाव में इन्हें उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से टिकट दिया गया था।

नरेन्द्र मोदी की वजह से जॉइन की बीजेपी

हंसराज हंस ने 2009 में शिरोमणी अकाली दल के टिकट पर लोकसभा इलेक्शन लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

जिसके बाद जब उन्होंने बीजेपी का हाथ थामा तो इसकी वजह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसलिए प्रभावित हुए क्योंकि वे देश के गरीब लोगों के लिए कल्याणकारी सोच व देश के विकास व प्रगति की सोच रखते हैं।

सूफी गायक ने ये भी कहा था कि ‘जहां मोदी हैं, वहां कमजोरी नहीं हो सकती। मोदी बब्बर शेर हैं।‘

उन्होंने पीएम मोदी पर एक गाना भी बनाया, जिसे वह एमसीडी चुनावों की रैलियों में गाते हुए भी दिखाई दिए थे।

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मनोज तिवारी से है याराना

हंसराज हंस के बारे में बात करें तो वह किसी भी काम को बहुत बखूबी तरीके से करते हैं। अपनों कामों के बीच सामंजस्य बैठाना अगर किसी को सीखना हो तो वो इनसे सीख सकता है। हंस काफी सीधे व सरल स्वभाव के इंसान हैं। वह तथ्यों पर बात करना पसंद करते हैं और फालतू में किसी से नहीं भिड़ते।

बात करें मनोज तिवारी और हंसराज हंस की तो, इन्होंने जब 2017 में दिल्ली नगर निगम चुनावों में साथ प्रचार किया था तभी से इनके बीच एक ख़ास जुगलबंदी देखने को मिलती है। इन दोनों ने मिलकर दिल्ली नगर निगम का चुनाव जीतने में अहम भूमिका अदा की।

ऐसा भी माना जा रहा है कि जब लोकसभा चुनाव के टिकटों को लेकर चर्चा हो रही थी तब मनोज तिवारी ही वह शख्स थे जिन्होंने इस सूफी गायक का नाम आगे बढाया।

टॉप-5 गानें

रुहानी आवाज और सूफियाने गानों के लिए मशहूर हंसराज हंस ने अपनी ज़िन्दगी में बहुत सारे गानों में आवाज दी। लेकिन उनमें से कुछ ऐसे गानें हैं जिनको बार-बार सुनने का मन करेगा। हंसराज का गाना 'ये जो सिलि सिलि औंदिये हवा' आज के युवाओं के बीच भी पॉपुलर है। हंसराज ने पंजाबी के अलावा बॉलीवुड फिल्मों में भी बेहतरीन काम किया है।

-'ये जो सिलि सिलि औंदिये हवा'

-नीत खैर मंगा

-कोक स्टूडियो के सीजन 7 में आए गाने ‘हाल वे रब्बा’ में भी हंसराज की आवाज ने लोगों का दिल जीत लिया था

-हंसराज के एल्बम द नाइट का सर्वाधिक सुने जाने वाला गाना है दिल चोरी साड्डा हो गया। इस गाने का क्रेज बच्चों से लेकर बूढ़ों तक में है।

-इसके अलावा झांझर, अल्लाह हू, होली होली नच कुड़िए, इक कुड़ी, जोगियां द काना विच जैसे कई गाने हैं जिसे लोगों ने काफी पसंद किया।

Aditya Mishra

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