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पैरेंटिंग Tips: फ्लैट हेड सिंड्रोम जानें क्यों होता है बच्चों में, ऐसे करें इससे बचाव
शिशु जब डाइरेक्शन बदलकर मां का दूध पीता है तो एक बार सिर का बाया हिस्सा और एक बार सिर का दाया हिस्सा मां की गोद से चिपकता है।
लखनऊ: नवजात शिशु का जब जन्म होता है तो वो पूरी तरह से हष्ट-पुष्ट होता है। उसकी संरचना, उसका पूरा चेहरा और शरीर हर से ईश्वरीय कृत होता है। कहने का मतलब कि नए जन्मे शिशु की चमकती आंखें हैं, प्यारी सी नाक है, क्यूट सा चेहरा है और लाल-लाल गाल हैं। बच्चे को देखते ही उसे बहुत सारा प्यार करने को मन करेगा। क्या आपने बच्चे के सिर की ओर ध्यान दिया है? क्या वह चपटा है? बहुत बच्चों का सिर चपटा होता है, क्योंकि उन्हें सही तरीके से संभाला नहीं जाता। अगर नहीं चाहती हैं कि बच्चे के साथ यह समस्या हो तो यहां बताए गए तरीके को अपनाएं।
ऐसे करें केयर
*एक साइड से बच्चे को दूध न पिलाएं। बच्चे को दोनों साइड से ब्रेस्ट फीडिंग करानी चाहिए। यह मां और शिशु दोनों के लिए जरूरी है। शिशु जब डाइरेक्शन बदलकर मां का दूध पीता है तो एक बार सिर का बाया हिस्सा और एक बार सिर का दाया हिस्सा मां की गोद से चिपकता है। इस तरह सिर के हर हिस्से पर बारी-बारी से दबाव बनता है, जो कि सिर को चपटा नहीं होने देता।
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सिर की सही से देखरेख
*जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, उसका सिर मजबूत होता जाता है और लचीलापन भी कम हो जाता है। इसलिए समय रहते उसके सिर की सही से देखरेख करें। यदि एक बार सिर की पाॅजिशन फिक्स हो गई, तो उसे आप भविष्य में कभी नहीं बदल पाएंगी।
*इसलिए मां को यह सुझाव दिया जाता है कि अपने बच्चे की स्लीपिंग पाॅजिशन पर हर समय नजर रखे। समय-समय पर उसकी सोने की दिशा बदले और गोद में लेते वक्त भी बच्चे के सिर की ओर खास ध्यान दें।
हर एक घंटे में बदलती रहें डायरेक्शन
*बच्चे सोते वक्त कम हिलते-डुलते हैं। उसके सिर का डायरेक्शन हर एक घंटे में बदलती रहें। इससे उसकी पोजीशन अलग-अलग समय में बदली रहेगी। इस तरह उसके सिर के एक हिस्से में दबाव भी नहीं बनेगा।
*बच्चे की सोने जगह बदलती रहें। मांएं ऐसा नहीं करती हैं। जबकि बच्चे के लिए जरूरी है कि वह अपने आसपास अलग-अलग चीजें देखे। इससे वह जगे होने पर अपने आसपास नई चीजें देखने के लिए अपनी गर्दन खुद हिलाएगा। हिलते-डुलते रहने से सिर के चपटा होने की आशंका खुद ब खुद कम हो जाएगी।
टेढ़ा-मेढ़ा तकिया से दूर रहे
*बच्चे के लिए ऐसा तकिया लें, जो सपाट हो। टेढ़ा-मेढ़ा तकिया बच्चे को सोने के लिए न दें। इससे बच्चे को असहजता होगी और उसको नींद भी अच्छी नहीं आएगी। इसका असर उसके सिर के शेप पर भी पड़ेगा।
*छोटे बच्चे लगभग पूरा दिन सोते हैं। बहुत कम समय ऐसा होता है, जब बच्चे जगे रहते हैं। सोने के दौरान जाहिर है बच्चे पूरा समय बिस्तर पर बिताते हैं।
*पूरे दिन में कोई एक समय ऐसा जरूर निकालें, जब वह आपकी गोद में सिर रख कर सोए। मां की गोद में बच्चों को बहुत अच्छी नींद आती है। इस दौरान बच्चे के सिर का भार, उसके सिर पर न होकर अपनी मां की गोद में होता है। इस तरह वह और अच्छी तरह आराम कर पाता है।
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पीठ और पेट दोनों के बल लिटाए
*हर समय जरूरी नहीं है कि बच्चा पीठ के बल ही लेटे। सोने के दौरान कभी-कभी 10 से 15 मिनट के लिए बच्चे को उसके पेट के बल लेटने दें।दिन में तीन बार ऐसा कर सकती हैं। इससे सिर चपटा होने से तो बचेगा, साथ ही उसकी मांसपेशियां मजबूत होंगी। यह उसके शारीरिक विकास के लिए भी जरूरी है। जब भी बच्चे को उसके पेट के बल लेटाएं, उसकी ओर नजर रखें। यदि वह असहज है या रोता है, तो उसे तुरंत उसे पीठ के बल लेटा।
*बच्चा जब जगा हो तो उसे अपनी गोद में रखें। बच्चे को ऐसी किसी चीज पर न बैठाएं, जिस वजह से बच्चा अपने वजन को संभाल न पाएं। ध्यान रखें कि बच्चा बहुत छोटा है, उसके लिए अभी संभव नहीं है कि अपने भार को संभल सके। उसके सिर को यदि आप ठीक से नहीं पकड़ती हैं, तो वह एक ओर लुढ़क जाता है। इससे बच्चे की गर्दन में लचक आ सकती है।
हर समय बिस्तर नहीं
*बच्चे को हर समय बिस्तर पर सुलाए रखना सही नहीं है। इससे उसके सिर का पिछला हिस्सा पूरी तरह चपटा हो जाएगा। जगे होने पर उसे गोद में लेकर पूरे घर की सैर कराएं। छत पर ले जाएं। यहां-वहां की चीजें दिखाएं। बच्चा फ्रेश फील करेगा और सिर के चपटा होने की गुंजाइश कम होगी।