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Teenage Parenting Tips: निगरानी नहीं, सावधानी है जरूरी, बुरी लत को ऐसे करें दूर
ख़ुद को जांच कर पता करें कि कहीं आप बहुत ज़्यादा नियंत्रण रखनेवाले अभिभावक तो नहीं। यदि ऐसा है तो अपने टीनएजर बच्चे के साथ घुलने-मिलने की पूरी कोशिश करें।
लखनऊ: आज के समय में फिल्मों, पैरेंट्स के व्यस्त होने, बुरी संगत व अन्य कारणों से छोटी-छोटी उम्र के बच्चे भी नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। बड़ी संख्या में बच्चे पैरेंट्स से चोरी-छिपे तरह-तरह का नशा जैसे स्मोकिंग, ड्रग्स लेना, शराब पीना, तंबाकू-गुटखे, गांजा, अफीम, चरस व हेरोईन जैसी घातक मादक पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। अभिभावकों को इसकी भनक तक नहीं लगती। संयुक्त राष्ट्र संघ के नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड की वर्ष 2009 की रिपोर्ट के अनुसार 10 से 11 साल के 37 प्रतिशत स्कूली स्टूडेंट्स को अलग-अलग नशे की लत लग जाती है। अगर आप भी पैरेंट्स हैं, तो आपको भी थोड़ा अलर्ट होने की जरूरत है
वर्तमान समय का बदला माहौल बच्चों के लिए अच्छा नहीं हैं। आजकल बढ़ते बच्चे जल्द ही गलत लत का शिकार हो रहे हैं जो उनकी जिंदगी को बर्बाद करने का काम करते हैं। टीनएजर में बुरी लत की तरफ आकर्षण ज्यादा होता हैं। ये बुरी लत बच्चों की सेहत और व्यवहार दोनों के लिए हानिकारक हैं। ऐसे में आपको बच्चों को समझाने और संवाद करने की जरूरत हैं। इस कड़ी में कुछ तरीकों की जानकारी देने जा रहे हैं।
पैरेंट्स ऐसे संभाले स्थिति
कई अध्ययन बताते हैं कि पैरेंट्स का तरफ से गुस्से में की गई बातचीत बच्चे को एडिक्शन की दुनिया में और भी गहरे धकेल देगी। यह काम एक्स्पर्ट पर छोड़ दें क्योंकि यदि स्वयं से यह काम करने जाएंगे तो उन्हें लगेगा कि आप भी उन्हें नहीं समझते हैं और अब वे कोई इतने छोटे नहीं हैं कि बात-बात पर उनसे सवाल- जवाब किया करें।
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बिल्कुल भी हल्के में ना लें
इस बात को समझिए कि बच्चे के लिए समय रहते काउंसलिंग कितनी जरूरी है। इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना है। प्रोफ़ेशनल मदद लेना सबसे ज़रूरी क़दम है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है। इस समस्या से निपटने का हल ढूंढ़ने के लिए एडिक्शन स्पेशलिस्ट या साइकियाट्रिस्ट से सलाह लें। जितना हो सके उतना एडिक्शन के बारे में पढ़ें और जानें कि यह किस वजह से होता है और कैसे इससे निकला जा सकता है।
आंतरिक स्थितियों
अपने बच्चे की बातें अच्छी तरह सुनें। अक्सर लत की वजह पियर प्रेशर यह संभवतः शुरुआत करने की वजह हो सकती है। बच्चा किस तरह अपने आंतरिक स्थितियों से जूझता है, पर निर्भर करती है। ख़ुद को जांच कर पता करें कि कहीं आप बहुत ज़्यादा नियंत्रण रखनेवाले अभिभावक तो नहीं। यदि ऐसा है तो अपने टीनएजर बच्चे के साथ घुलने-मिलने की पूरी कोशिश करें।
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अभिभावकों की आम प्रवृत्ति
बच्चों का पालन-पोषण करना, उन्हें सक्षम बनाना और उनकी रक्षा करना अभिभावकों की आम प्रवृत्ति होती है, लेकिन यदि आप अपने बच्चे के बचाव में हर बार खड़े रहेंगे तो वह ज़िंदगी के मुश्क़िल पाठ नहीं पढ़ पाएगा। इसके अलावा ट्रीटमेंट के बाद भी वापस लत की ओर लौटना बहुत आम है इसलिए ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं। डॉक्टर से बात कर पता करें कि इस स्थिति को कैसे संभाला जा सकता है।