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लॉकडाउन: नहीं होंगी घरेलू हिंसा का शिकार, जानिए अपने अधिकार, उठाएं आवाज

लॉकडाउन के बाद से देशभर में घरेलू हिंसा के मामले 95 फीसदी तक बढ़ गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने देशव्यापी बंद से पहले और बाद के 25 दिनों में विभिन्न शहरों से मिली शिकायतों के आधार पर यह दावा किया है। घरेलू हिंसा सिर्फ शादी के बाद मारपीट ही नहीं होती

suman
Published on: 26 April 2020 5:52 PM GMT
लॉकडाउन: नहीं होंगी घरेलू हिंसा का शिकार, जानिए अपने अधिकार, उठाएं आवाज
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लखनऊ लॉकडाउन के बाद से देशभर में घरेलू हिंसा के मामले 95 फीसदी तक बढ़ गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने देशव्यापी बंद से पहले और बाद के 25 दिनों में विभिन्न शहरों से मिली शिकायतों के आधार पर यह दावा किया है। घरेलू हिंसा सिर्फ शादी के बाद मारपीट ही नहीं होती बल्कि अगर परिजन पढ़ने से रोकते हैं, मर्जी के खिलाफ शादी तय करते हैं, पहनावे पर रोक-टोक लगाते हैं तो ये भी घरेलू हिंसा है।"कुछ इस तरह के होते हैं घरेलू हिंसा....

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* ननद-भाभी के झगड़े और सास की टोंट भी घरेलू हिंसा है। अगर ससुराल में बेवजह उलाहना दी जाती है तो ये घरेलू हिंसा है।

*किसी महिला को शारीरिक प्रताड़ना देना जैसे मारपीट करना, धकेलना, ठोकर मारना, लात-घूसा मारना,किसी वस्तु से मारना या किसी अन्य तरीके से महिला को शारीरिक पीड़ा देना शारीरिक हिंसा है।

*महिला को अश्लील साहित्य या अश्लील तस्वीरों को देखने के लिए विवश करना, बलात्कार करना, दुर्व्यवहार करना, अपमानित करना, महिला की पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को आहत करना इसके अंतर्गत आता है।

*किसी महिला या लड़की को किसी भी वजह अपमानित करना, उसके चरित्र पर दोषारोपण लगाना, शादी मर्जी के खिलाफ करना, आत्महत्या की धमकी देना, मौखिक दुर्व्यवहार करना।

*बच्चों की पढ़ाई, खाना, कपड़ा आदि के लिए पैसे ना देना, रोजगार चलाने से रोकना, महिला द्वारा कमाएं जा रहे धन का हिसाब उसकी मर्जी के खिलाफ लेना।

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जान ले कानून के बारे में....

ये सभी हिंसाएं घरेलू हिंसा क़ानून 2005 के अंतर्गत आती हैं इसके तहत महिला जिले में तैनात सुरक्षा अधिकारी के पास आईपीसी की धारा 498ए के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करा सकती है। वहीं महिलाओं को यह भी जानना चाहिए कि डीआईआर को घरेलू घटना रिपोर्ट (डोमेस्टिक इंसीडेंट रिपोर्ट) कहते हैं जिसमें घरेलू हिंसा सम्बन्धी प्रारंभिक जानकारी दर्ज कराई जाती है। हर जिले में सुरक्षा अधिकारी सरकार द्वारा नियुक्त होता है। सुरक्षा अधिकारी ही घरेलू हिंसा रिपोर्ट दर्ज करता है। राज्य सरकार द्वारा हर राज्य के जिलों में स्वयंसेवी संस्था की नियुक्त होती है जो सुरक्षा अधिकारी के पास रिपोर्ट दर्ज कराने में मदद करती है।यह सब महिलाओं की मदद तब करते हैं जब स्वयं महिला खुद पर हो रही ज्यादती के खिलाफ आवाज उठाती है। तो महिलाओं को सहने की आदत छोड़कर अपने स्वाभिमान के लिए लड़ना चाहिए तभी समाज में बदलाव संभव हो सकता है।

यहां करें शिकायत

घरेलू हिंसा के मामले में पीड़ित खुद शिकायत कर सकती है। अगर पीड़ित नहीं हैं तो भी आप संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे किसी कारण से लगता है कि घरेलू हिंसा की कोई घटना घटित हुई है या हो रही है या जिसे ऐसा अंदेशा भी है कि ऐसी घटना घटित हो सकती है, वह संरक्षण अधिकारी को सूचित कर सकता है।

यदि आपने सद्भावना में यह काम किया है तो जानकारी की पुष्टि न होने पर भी आपके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाएगी। सुरक्षा अधिकारी के अलावा पीड़ित ‘सेवा प्रदाता’ से भी संपर्क कर सकती है, सेवा प्रदाता फिर शिकायत दर्ज कर ‘घरेलू हिंसा घटना रिपोर्ट’ बना कर मजिस्ट्रेट और संरक्षण अधिकारी को सूचित करता है।

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