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Sikkim Election 2024: बगावत कर बनाई थी पार्टी, जेल से निकल बन गए CM, सिक्किम में प्रचंड जीत के नायक कौन हैं प्रेम सिंह तमांग?
Sikkim Election 2024: चामलिंग की अगुवाई वाले एसडीएफ के संस्थापक सदस्य रहे तमांग ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर 2013 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा बनाया था।
Sikkim Election 2024: सिक्किम में एक बार फिर से सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सत्ता में वापसी होती नजर आ रही है। रुझानों में देखा जा सकता है कि पार्टी विधानसभा में प्रचंड बहुमत हासिल करने जा रही है। क्लीन स्वीप की ओर बढ़ते हुए एसकेएम ने राज्य की कुल 32 विधानसभा सीटों में से 31 पर अपनी मजबूत बढ़त बना रखी है, एक सीट पर एसडीएफ आगे है। वहीं बीजेपी और कांग्रेस यहां अपना खाता भी नहीं खेल पाए। अगर ये रुझान नतीजों में बदलते हैं तो एसकेएमं की यह लगातार दूसरी बार जीत होगा। इस जीत का मतलब होगा कि सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग अपने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार हैं।
2019 में मिली थीं 17 सीटें
मुख्यमंत्री तमांग रेनॉक और सोरेंग-चाकुंग विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों ही सीटों पर वे आगे चल रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया था कि सिक्किम के मतदाता पार्टी को एक और कार्यकाल देंगे। उनकी पत्नी कृष्णा कुमारी राय नामची-सिंघीथांग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं।चामलिंग सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया थासिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के अध्यक्ष पीएस गोले उर्फ प्रेम सिंह तमांग ने 2019 के विधानसभा चुना में 17 सीटें जीत कर राज्य में 24 से अधिक साल तक सत्ता में रहने के बाद चामलिंग सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इस बार वह विधानसभा की 32 में से 31 सीटों पर जीत हासिल करते नजर आ रहे हैं।
2013 में बनाई थी अपनी पार्टी
चामलिंग की अगुवाई वाले एसडीएफ के संस्थापक सदस्य रहे प्रेम सिंह तमांग ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर 2013 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के नाम से नई पार्टी बनाई थी। उन्होंने एसडीएफ पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाया था। पार्टी गठन के अगले ही साल 2014 के विधानसभा चुनावों में एसकेएम ने 10 सीटें जीती थी।
जानिए कौन हैं प्रेम सिंह तमांग?
प्रेम सिंह तमांग का जन्म 5 फरवरी 1968 में हुआ था। वे नेपाली माता-पिता कालू सिंह तमांग और धान माया तमांग के बेटे हैं। उन्होंने दार्जिलिंग के एक कॉलेज से बीए किया और एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया। तमांग को नौकरी रास नहीं आई उन्होंने समाज सेवा के लिए तीन साल नौकरी करने के बाद सरकारी नौकरी छोड़ दी और फिर एसडीएफ में शामिल हो गए। उनकी तीन दशक की राजनीतिक यात्रा काफी उतार चढ़ाव वाली रही है। वह 1994 से लगातार पांच बार सिक्किम विधानसभा के विधायक चुने गए। वे 2009 तक एसडीएफ सरकार में मंत्री रहे। एसडीएफ सरकार के चौथे कार्यकाल (2009-14) के दौरान चामलिंग ने उन्हें मंत्री पद देने से इनकार कर दिया। इसके बाद तमांग ने पार्टी छोड़ दी और अपना दल बना लिया। उन्होंने एसडीएफ के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और एसकेएम प्रमुख के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली।
2016 में गए थे जेल
2016 में तमांग को 1994 और 1999 के बीच सरकारी पैसे की हेराफेरी करने के लिए दोषी ठहराया गया था और बाद में विधानसभा में उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। प्रेम सिंह तमांग सिक्किम के पहले ऐसे राजनेता थे जिन्हें सजा मिलने के बाद विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।उन्होंने फैसले को सिक्किम हाई कोर्ट में चुनौती दी जिसने फैसले को बरकरार रखा जिसके कारण गोले को समर्पण करना पड़ा। 2018 में जब तमांग जेल से बाहर निकले तो उनके हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया और अपने नेता के प्रति एकजुटता दिखाते हुए जुलूस निकाला।