'बढ़े चलो गढ़वालियों बढ़े चलो', वायरल हो रहा गढ़वाल राइफल्स का जोश से भरा ये गीत

'बढ़े चलो गढ़वालियों बढ़े चलो, दिल में जिगर आंख में काल चाहिए' पिछले कुछ दिन से जोश भरा यह गीत जबरदस्त ट्रेंड कर रहा है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Ashiki
Published on: 5 May 2021 10:33 AM GMT
garhwal rifle soldiers
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Photo- Social Media

लखनऊ: वीरांगनाओं की भूमि गढ़वाल को देवभूमि होने के साथ-साथ वीर भूमि होने का सौभाग्य भी हासिल है। गढ़वाली सैनिकों (द गढ़वाल राइफल्स) की वीरता और कर्तव्य परायणता की कहानियां पूरी दुनिया में मशहूर हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर इन गढ़वाली सैनिकों का एक वीडियो तेजी वायरल हो रहा है।

गीत के बोल हैं- 'बढ़े चलो गढ़वालियों बढ़े चलो, दिल में जिगर आंख में काल चाहिए, तलवार चाहिए ना कोई ढाल चाहिए, गढ़वालियों के खून में उबाल चाहिए...'। पिछले कुछ दिन से जोश भरा यह गीत जबरदस्त ट्रेंड कर रहा है। लोग इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं और शेयर भी। यह किसी लोकगायक की हालिया रिलीज हुई एल्बम की गीत नहीं, बल्कि गढ़वाल राइफल्स के वीर जवानों का रेजीमेंटल सांग है। इस गीत को सुनकर आपका रोम रोम खिल उठेगा।

ये गीत महज एक गीत नहीं बल्कि बल्कि गढ़वाली सैनिकों का हथियार भी है। जोशीले अंदाज में इसी गीत को गुनगुनाते हुए गढ़वाल राइफल्स के वीर जवान काल बनकर दुश्मन पर टूट पड़ते हैं। सालभर का कड़ा सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर रिक्रूट लैंसडाउन स्थित रेजीमेंटल सेंटर में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड व ओथ सेरेमनी में भी अक्सर जोश भरा यह गीत गाकर सरहदों की हिफाजत को आगे बढ़ निकलते हैं।

आज ही के दिन हुआ "द गढ़वाल राइफल्स" का गठन

आपको बता दें कि 5 मई 1887 अल्मोड़ा में आज ही के दिन "द गढ़वाल राइफल्स" का गठन हुआ था। बद्री विशाल लाल की जय उद्घोष के साथ तब से कई युद्धों में "द् गढ़वाल राइफल्स" भाग ले चुकी है। गठन के बाद से गढ़वाल राइफल्स के जवानों की वीरता का अपना इतिहास रहा है।

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