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गणेश की परिक्रमा का हुआ था आंकलन, अब बारी मोदी की यात्राओं की
vinod kapoor
लखनऊ: सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही ये फोटो क्या एक मजाक है? क्या इसमें गंभीरता भी है? या ये बताने-दिखाने की कोशिश कि पृथ्वी परिक्रमा के बाद भगवान गणेश को क्या मिला था। या पीएम नरेंद्र मोदी को क्या मिला या मिलने वाला है।
गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा माना था जिससे प्रसन्न हो देवों के देव महादेव और मां पार्वती ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि धरती पर किसी भी पूजा के पहले उनकी पूजा होगी। माता-पिता ने उन्हें ज्ञानी होने का आर्शीवाद भी दिया।
देश में गणेश की मूर्ति के साथ जितने एक्सपेरिमेंट किए गए उतने किसी और देवता या भगवान के साथ नहीं किए गए। फोटो और पेंटिंग में कभी उनके हाथ गिटार थमाया गया तो कभी मोबाइल फोन। संभवत इसीलिए उनकी फोटो को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ दिखाकर ये लिखा गया कि धरती की परिक्रमा सबसे पहले करने वाले ये दो लोग।
दोनों में क्या कुछ सामान्य है ये भी फोटो में दिखाने की कोशिश की गई है। दोनों के हाथ में तिरंगा है और मोदी को गणेश जी के साथ चाय पीते दिखाया गया है। गणेश ने धरती की परिक्रमा करने के बाद अपना पराक्रम भी दिखाया था। जनहित कल्याण के लिए काम किए तो धन के राजा कुबेर का दंभ तोड़ा था।
पीएम मोदी के विदेश दौरों पर एक नजर :-
विदेशों में सबसे लोकप्रिय
विरोधियों के बीच 'एनआरआई पीएम' कहे जाने वाले पीएम की व्यक्तिगत उपलब्धि ये है कि गोधरा कांड के बाद हुए गुजरात दंगे के बाद अमरीका ने उन्हें नौ साल तक वीजा नहीं दिया, लेकिन पीएम बनने के बाद वो आठ बार उस देश जा चुके हैं। संभवतः विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बीच वो सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं।अब से पहले इतनी लोकप्रियता किसी पीएम को नहीं मिली। यहां तक कि 12 साल पीएम रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू की भी नहीं।
विदेश यात्रा की शुरुआत भूटान से
मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद संख्या के लिहाज से स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी दूसरे पीएम के मुकाबले अब तक सबसे ज्यादा बहुपक्षीय और द्विपक्षीय विदेशी दौरे किए हैं। उन्होंने अपने विदेशी दौरों की शुरुआत भूटान से की और वे 15-16 जून, 2014 को थिम्पू और 3-4 अगस्त को नेपाल यात्रा की। इस बीच वे 1 जुलाई को ब्राजीलिया, ब्राजील के दौरे पर भी गए।
यूएन को संबोधित किया
बाद में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने 26 से 30 सितंबर तक अमेरिका गए और वहां भी पांच द्विपक्षीय दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने न केवल अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से बातचीत की बल्कि वहां भारतीय मूल के लोगों को न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वेयर एरिना में संबोधित भी किया।
एक साथ कई देश की यात्रा पर
इसके बाद मोदी म्यांमार की यात्रा पर गए। पूर्व एशिया सम्मेलन के लिए 11-13 नवंबर, 2014 तक देश से बाहर रहे। इसके बाद वे 14-18 नवंबर 2014 को जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन पहुंचे। मोदी ने 17 नवंबर को सिडनी ओलिम्पिक पार्क में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया। इस दौरे के दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से भारत को यूरेनियम की सप्लाई करने के समझौते पर मुहर लगाई। 18 नवंबर 2014 को उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जॉन एबट के साथ राजधानी कैनबरा में द्विपक्षीय वार्ता की। यहां से वे 19 नवंबर को फिजी के दौरे पर रवाना हो गए।
म्यांमार-ऑस्ट्रेलिया-फिजी से भी साधे रिश्ते
पीएम 11 से 19, नवंबर 2014 के बीच म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी के 9 दिनों के दौरे पर रहे, वहीं महीने के अंत में वे दक्षेस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए दो दिन नेपाल में रहे। प्रधानमंत्री के तौर पर यह उनकी दूसरी नेपाल यात्रा थी। विदेश दौरे को लेकर विदेश मंत्रालय की सार्वजनिक सूचना में बताया गया कि वे नंवबर माह में कम से कम 11 दिन प्रधानमंत्री देश से बाहर रहे। उनकी फिजी यात्रा इस मामले में ऐतिहासिक थी कि तीन दशकों के बाद किसी भारतीय पीएम ने उस देश की यात्रा की। जबकि फिजी में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं।
यात्राओं से अर्थव्यवस्था में जगी उम्मीद
मोदी की विदेश यात्राओं से भारतीय अर्थव्यवस्था को खासी उम्मीद रही है और उन्होंने इन देशों में देश के कारोबारी हितों और निवेश को बढ़ाने के लिए बहुत कुछ कहा। जापान यात्रा का कारोबारी ही नहीं बल्कि उसका सामरिक और कूटनीतिक महत्व भी था।
बार-बार कूटनीति का दिया परिचय
मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के अलावा भूटान और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों के सरकार प्रमुखों को न्योता दिया था।
जानकारों का कहना है कि वे एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने और चीन से
प्रतिस्पर्धा करने के उद्देश्य से जापान और भारत को एकसाथ लाना चाहते हैं।
श्रीलंका और मॉरीशस से रिश्तों में आई मजबूती
मोदी का कहना था कि उनकी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान अद्वितीय और अद्भुत संबंधों की वजह से एक स्वाभाविक पसंद है तथा उनकी यात्रा दोनों देशों के सहयोग को और भी अधिक प्रभावी बनाने पर केंद्रित होगी। पड़ोसी देशों से सबंध सुधारने के क्रम में मोदी इसी वर्ष 13-14 मार्च को श्रीलंका पहुंचे जहां से वे मॉरीशस और सेशेल्स भी गए। श्रीलंका में जहां पड़ोसी देश के साथ संबंधों को सामान्य बनाने पर जोर था तो मॉरीशस की यात्रा उन भारतीय प्रवासियों से दिलों के तार जोड़ने का उपक्रम थी जो कि सदियों पहले बिहार और उत्तरप्रदेश से वहां गन्ने के खेतों में मजदूरी करने के लिए गए थे। मोदी की श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स की पांच दिवसीय यात्रा से उम्मीद की जा सकती है कि इससे देश के हिन्द महासागर क्षेत्र के देशों से रिश्ते और मजबूत हुए।
छोटे देशों को भी दिया तवज्जो
भारत की समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने की रणनीति में सेशेल्स एक अहम क्षत्रप की भूमिका में होगा। मोदी ने राजधानी विक्टोरिया में उम्मीद जताई कि यह द्विपीय देश जल्द ही भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच नौवहन सुरक्षा सहयोग के क्षेत्र में पूर्ण भागीदार होगा। इसी के साथ पीएम ने सेशेल्स के लोगों को निःशुल्क वीजा की सौगात दी। मोदी ने अपने एक दिन के संक्षिप्त दौरे के दौरान भारत द्वारा सेशेल्स में स्थापित पहले तटीय निगरानी रडार (सीएनआर) का उद्घाटन किया। भारत की योजना सेशेल्स में आठ सीएनआर स्थापित करने की है ताकि इस क्षेत्र से गुजरने वाले जहाजों पर कड़ी नजर रखी जा सके। इसी के साथ उन्होंने एक बार फिर भरोसा दिलाया कि भारत सेशेल्स की सुरक्षा, विकास और सहयोग में हर तरह की मदद करेगा।
जापान के साथ संबंधों को नया आयाम
जापान की यात्रा पीएम मोदी के लिए काफी अहमियत वाला रहा। इससे दोनों देशों के बीच सैन्य, रणनीतिक और व्यापारिक संबंधों को आगे ले जाने में मदद मिली। भारत को जहां अपनी रक्षा, ढांचागत और व्यापारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जापान की जरूरत है, वहीं जापान को भी दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत का साथ चाहिए।
जापान से नजदीकी, चीन पर नजर
जापान में ढांचागत संरचना का बड़ा उद्योग है और भारत अपने खस्ताहाल सड़कों और जर्जर इमारतों की वजह से उसका बड़ा बाजार बन सकता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि भारत और जापान सिर्फ आर्थिक वजहों से एक साथ नहीं हैं। उन्हें जोड़ने वाला चीन है। दोनों ही देशों का चीन के साथ सीमाई विवाद है। चीन लगातार अपनी सैनिक क्षमता बढ़ा रहा है, जिससे भारत और जापान दोनों चिंतित हैं।
फ्रांस से रक्षा साझेदारी
पूर्वी चीन सागर में कई द्वीपों के मालिकाना हक को लेकर भी जापान का चीन के साथ विवाद चल रहा है। जबकि भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध हुआ, जिसके बाद से दोनों के बीच सरहदी विवाद जारी है।
प्रधानमंत्री ने फ्रांस में राफेल हवाई जहाज के 20 बिलियन डॉलर के सौदे को पक्का किया। जैतपुर परमाणु संयंत्र के सौदे में भी ज्यादा कठिनाई नहीं होनी चाहिए। सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता दिलाने पर भी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कोई आश्वासन नहीं दिया।
इयू की तरह ढांचा विकसित करने पर जोर
यूरोपीय संघ से व्यापार में भारत का पलड़ा डेढ़ बिलियन यूरो से भारी है। यदि यूरोपीय संघ के देश भारत में अपना विनियोग दुगुना कर दें तो यह यात्रा सफल मानी जाएगी। यदि दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार शुरू हो जाए तो 'सोने पर सुहागा' हो सकता है। यदि यह यात्रा मोदी को यह प्रेरणा दे सके कि वे यूरोपीय संघ की तरह कोई ढांचा दक्षिण एशिया में खड़ा कर सकें तो उनका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
जर्मनी से द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा
'मेक इन इंडिया' के लिए निवेश आमंत्रित करने के मकसद से जर्मनी पहुंचे पीएम मोदी तीन देशों की विदेश यात्रा के दूसरे चरण में हनोवर पहुंचे थे जहां उन्होंने मेक इन इंडिया अभियान में जर्मनी का सहयोग मांगा और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। मोदी ने विश्व प्रसिद्ध हनोवर मेला भी देखा और मेले में प्रदर्शित तकनीकों का जायजा लिया।
यूरेनियम के लिए कनाडा से समझौता
मोदी अपने दौरे के अंतिम चरण में कनाडा पहुंचे, जहां दोनों देशों के बीच परमाणु मुद्दे सहित ऊर्जा सहयोग और भारत के विकास के लिए व्यापार और तकनीकी सहयोग पर बातचीत की। कनाडा में यूरेनियम तथा अन्य खनिजों का भंडार है। मोदी ने कनाडा से यूरेनियम हासिल करने का समझौता किया है और कनाडा भारत के उर्जा क्षेत्र को विकसित करने में भी मदद करेगा।
36 राफेल फाइटर का सौदा
मोदी की फ्रांस, जर्मनी और कनाडा यात्रा खत्म हुई है और आज हम हिसाब लगा रहे हैं कि इस यात्रा से क्या निकलकर आया। हाई लाइट्स में से सबसे पहले है फ्रांस से सीधे 36 राफेल फाइटर जेट खरीदने की डील। इस फैसले को 'बोल्ड' और जरूरी बताया जा रहा है लेकिन साथ ही सवाल उठ रहा है कि इससे रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया की योजना को क्या धक्का पहुंचा है।
अटकी डील को फास्ट ट्रैक करने पर सहमति
महाराष्ट्र के जयतापुर में 6 न्यूक्लियर प्लांट की अटकी हुई डील को फास्ट ट्रैक करने की भी सहमति हुई।लेकिन उसका असर दिखने में समय लगेगा। एक और बड़ी हेडलाइन आई कनाडा से जो 5 साल के लिए भारत को यूरेनियम देने को भी तैयार है। तो कुल मिलाकर ठोस उप्लब्धियों के मामले में कैसे रेट किया जाना चाहिए इस यात्रा को आज इसी मुद्दे पर चर्चा की जा रही है।
गणेश की परिक्रमा का आकलन हुआ था तो मोदी के दौरे का भी आकलन होगा। गणेश को परिक्रमा का फायदा मिला ये तो पुराणों दर्ज है लेकिन मोदी के दौरे का आकलन अभी बाकी है। स्वाभाविक है कि कोई भी सैर के लिए इतने देशों की यात्रा नहीं करेगा और वो भी फिजी जैसे देश की। बहरहाल वायरल हो रही फोटो कुछ सवाल तो खड़े करती ही है।