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Facebook: फेसबुक अब नहीं रहा जवान, बन गया बूढों का ठिकाना

Facebook: प्यू रिसर्च सर्वे के अनुसार, 2012 में अमेरिका के 94 फीसदी किशोरों के फेसबुक एकाउंट हुआ करता था। दस साल बाद अब ये संख्या मात्र 27 फीसदी रह गई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Chitra Singh
Published on: 3 Nov 2021 4:54 AM GMT
Facebook: फेसबुक अब नहीं रहा जवान, बन गया बूढों का ठिकाना
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Facebook: कोई भी चीज हमेशा एक जैसी नहीं रहती, यह एक नियम है। खास तौर पर टेक्नोलॉजी और उसमें भी इन्टरनेट पर तो हमेशा नए का ज़माना चलता है। सोशल मीडिया कम्पनियों पर यह बात सबसे ज्यादा लागू होती है। इसे बहुत अच्छी तरह महसूस कर रहा है फेसबुक। किसी जमाने में फेसबुक (Facebook) युवाओं का हब हुआ करता था । लेकिन अब ऐसा नहीं है। बल्कि अब यह सोशल मीडिया प्लेटफार्म वृद्धों का हब बन गया है। यह बदलाव बीते दस वर्षों में आया है। फेसबुक की तमाम कोशिशों के बावजूद युवा इससे जुड़ नहीं पा रहे हैं। किसी जमाने में 'माय स्पेस' दुनिया की टॉप सोशल मीडिया साईट हुआ करती थी । लेकिन 2009 में फेसबुक ने उसे खत्म कर दिया था। टिकटॉक (Tiktok) और स्नैपचैट (Snapchat) अब वैसी ही कड़ी टक्कर फेसबुक को दे रहे हैं।

प्यू रिसर्च सर्वे (Pew Research Survey) के अनुसार, 2012 में अमेरिका के 94 फीसदी किशोरों के फेसबुक एकाउंट हुआ करता था। दस साल बाद अब ये संख्या मात्र 27 फीसदी रह गई है। दस हजार टीनेजर्स के सर्वे में यह बात निकल कर आई है।

हाल ही में मार्क ज़ुकेरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने फेसबुक की एक ऑनलाइन मीटिंग में कहा था कि वह चाहते हैं कि फेसबुक युवाओं की पहली पसंद बना रहे। लेकिन जुकरबर्ग के सिर्फ चाहने भर से क्या होता है? फेसबुक का खुद ही अनुमान है कि अगले दो साल में उसके किशोर यूजर्स की संख्या 45 फीसदी घट जाएगी। वैसे भी, 2019 से इसके यूजर 13 फीसदी कम हो चुके हैं। सिर्फ टीनेजर्स ही नहीं, युवा एडल्ट भी फेसबुक से विमुख हो रहे हैं।

मार्क ज़ुकेरबर्ग-फेसबुक (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

अनुमान है कि अगले दो साल में फेसबुक एप इस्तेमाल करने वाले युवा एडल्ट्स की संख्या 4 फीसदी कम हो जाएगी। सिर्फ फेसबुक ही नहीं, इंस्टाग्राम का भी वही हाल होता जा रहा है। पता चला है कि इंस्टाग्राम पर भी उम्र का असर पड़ रहा है और बड़ी संख्या में टीनेजर्स टिकटोक और स्नैपचैट की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया और जापान में भी इंस्टाग्राम यूजर बेस खिसक रहा है। 2020 की अपेक्षा इस साल इंस्टाग्राम पर पोस्टिंग 13 फीसदी कम हो गई है। इन्स्टाग्राम के बारे में टीनएजर्स की राय भी नेगेटिव हो रही है । इस प्लेटफार्म पर उन्हें मानसिक नेगेटिवटी झेलनी पड़ती है। यही वजह है कि इन्स्टाग्राम पर टीनएजर्स के नए अकाउंट में से 61 फीसदी के प्रोफाइल अब प्राइवेट होने लगे हैं।

ये जानकारियां फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों और डेटा से मिली हैं , जिन्हें कम्पनी की पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस हौगेन ने लीक किया है। यह भी पता चला है कि अमेरिकी टीनेजर्स, फेसबुक पर पिछले साल की तुलना में 16 फीसदी कम समय व्यतीत कर रहे हैं। यही नहीं, उम्रदराज लोगों का भी फेसबुक पर समय 5 फीसदी कम हो गया है। वर्ष 2000 में फेसबुक पर नया अकॉउंट बनाने वाले अमेरिकी नागरिकों की उम्र 19 - 20 की होती थी । लेकिन कुछ साल बाद ये 24 - 25 साल हो गई।

न पोस्ट, न नया एकाउंट

फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों के विश्लेषण से पता चलता है कि युवा लोग फेसबुक पर कम समय बिता रहे हैं, नया एकाउंट बनाने वाले युवा बहुत कम होते जा रहे हैं, टीनेजर्स के काफी नए एकाउंट वास्तव में पुराने यूजर्स के ही डुप्लीकेट एकाउंट हैं, इसके अलावा यूजर्स अब कम पोस्ट डालते हैं। ये सब क्यों हो रहा है, इसका जावाब फेसबुक के शोधकर्ताओं के पास भी नहीं है।

फेसबुक (फोटो- सोशल मीडिया)

टीन टीम भी कुछ न कर पाई

अमेरिकी टीनेजर्स के बीच फेसबुक की लोकप्रियता 2016 की शुरुआत से ही घटने लगी थी। ऐसे में युवाओं को फोकस में रख कर प्रोडक्ट बनाने के लिए एक 'टीन टीम' बनाई गई । लेकिन वह भी कुछ न कर पाई। फेसबुक के आंतरिक शोधकर्ताओं के अनुसार, युवाओं के सामने ऐसी कोई वजह नहीं है कि वे फेसबुक जॉइन करें। युवा किस तरह सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट्स का प्रयोग करते हैं, इसके बारे में हाल की एक स्टडी में पता चला था कि फेसबुक सिर्फ एक केटेगरी में अव्वल रैंक करता है - लोकल इवेंट्स के बारे में जानकारी प्राप्त करना और इलाके के लोगों से संपर्क में रहना।

टिकटॉक हावी

फेसबुक के प्रवक्ता जो ऑस्बोर्न के अनुसार उनकी कम्पनी के प्रोडक्ट्स अब भी किशोरों द्वारा खूब इस्तेमाल किये जाते हैं । लेकिन स्नैपचैट और टिकटोक से हमें तगड़ा कंपीटिशन भी मिल रहा है। ऑस्बोर्न का कहना है कि फेसबुक ही नहीं बल्कि सभी सोशल मीडिया कंपनियां चाहती हैं कि टीनेजर्स उनके प्रोडक्ट इस्तेमाल करें। बहुत से टीनेजर्स का कहना है कि अब वे फेसबुक इस्तेमाल नहीं करेंगे भले ही कम्पनी कोई बदलाव कर डाले। कुछ सर्वे में निकल कर आया है कि टीनेजर्स फेसबुक के राजनीतिक कंटेंट से ऊब चुके हैं। कई टीनेजर्स का कहना है कि उन्हें लगता है कि फेसबुक उम्रदराज लोगों के लिए है। टीनेजर्स को फेसबुक में कोई ताजापन भी नहीं लगता है। फेसबुक के शोधकर्ताओं के अनुसार अधिकांश युवा फेसबुक को 50 वर्ष से अधिक उम्र वालों के मतलब का प्लेटफार्म मानते हैं। युवा एडल्ट्स फेसबुक के कंटेंट को बोरिंग, गलत और नकारात्मक मानते हैं।

फेस रिकॉग्निशन सिस्टम बन्द होगा

फेसबुक ने अपनी छवि सुधारने और कानूनी सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है, फेस रिकॉग्निशन सिस्टम को बंद कर देने का। इस फैसले के तहत फेसबुक अपने एक अरब से ज्यादा यूजर्स के फेस स्कैन डेटा को डिलीट कर देगा। इसके साथ फेसबुक का वह फीचर समाप्त हो जाएगा जिसको लेकर प्राइवेसी की चिंताएं, सरकारी जांच , मुकदमे और नियामकों की सख्ती कंपनी को झेलनी पड़ रही थी।

फेसबुक की नए नाम वाली पेरेंट कंपनी 'मेटा' में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वाईस प्रेसिडेंट जेरोम पेसेंटी ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी को लेकर जो चिंताएं हैं, उसके चलते कंपनी ने ये बदलाव करने का निर्णय लिया है। फेसबुक ने फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी दिसंबर 2010 में लागू की थी। तर्क ये था कि इससे फेसबुक के यूजर्स के समय बचेगा। फेस रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर उन लोगों के चेहरे ऑटोमैटिकली पहचान लेता है जो यूजर के डिजिटल फोटो एल्बम में शामिल हैं। इसके जरिये यूजर उन लोगों को एक क्लिक में टैग कर सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर के चलते आज फेसबुक के पास दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल फोटो का भंडार है।

फेसबुक लोगो की तस्वीर (फोटो- सोशल मीडिया)

वैसे तो फेसबुक ने फेस रिकॉग्निशन क्षमता का इस्तेमाल सिर्फ अपनी साइट पा ही किया है और अपना सॉफ्टवेयर किसी अन्य को नहीं बेचा है लेकिन फिर भी इसको लेकर काफी चिंताएं जताई जाती रही हैं कि ये यूजर्स की निजता का हनन है। कहा जा रहा है कि इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।

2019 में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन ने प्राइवेसी की शिकायतों पर फेसबुक पर 5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया था। इन शिकायतों में फेस रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर से भी जुड़ी चिंताएं शामिल थीं। इसके अलावा 2020 में फेसबुक अमेरिका के इलिनॉय प्रान्त में चल रहे एक क्लास एक्शन मुकदमे के निपटारे के लिए 650 मिलियन डॉलर देने पर सहमति जताई थी। इस मुकदमे में आरोप था कि फेसबुक ने इलिनॉय के उस कानून को तोड़ा है जिसमें कहा गया है कि राज्य के किसी निवासी की बॉयोमेट्रिक जानकारी इस्तेमाल करने से पहले उस व्यक्ति की सहमति लेना जरूरी है। बॉयोमेट्रिक जानकारी में चेहरा भी शामिल है।

फेसबुक की कमाई

बीते 25 अक्टूबर को फेसबुक ने इस साल की तीसरी तिमाही की कमाई के आंकड़े जारी किए। इसके अनुसार पिछले साल इसी अवधि की तुलना में प्रति शेयर कमाई 18.8 फीसदी बढ़ी है। जबकि कुल रेवेन्यू 35.1 फीसदी बढ़ा है। जहां तक फेसबुक के मासिक एक्टिव यूजर्स की बात है तो उनकी कुल संख्या 2.9 अरब है। फेसबुक के अनुसार मासिक एक्टिव यूजर वो हैं जिन्होंने 30 दिन में फेसबुक की साइट पर लॉगिन किया है या मैसेंजर ऐप का इस्तेमाल किया है।।

फेसबुक की लगभग पूरी कमाई विज्ञापन स्पेस बेचने से होती है और ये स्पेस भी मासिक एक्टिव यूजर्स की संख्या के दम पर बेचा जाता है। जितना बड़ा यूजर बेस होगा उतना ही विज्ञापनदाता इसके प्रति आकर्षित होंगे।

स्नैपचैट

स्नैपचैट की शुरुआत जुलाई 2011 में हुई थी और उस समय इसके एक्टिव दैनिक यूजर एक लाख थे जो अब 293 मिलियन से भी ज्यादा हो गए हैं। 2016 में इसके एक्टिव दैनिक यूजर्स की संख्या 158 मिलियन थी। इस ऐप के पास 872 पेटेंट दर्ज हैं। स्नैपचैट की वित्तीय सेहत भी उम्दा है और इसने इस साल की दूसरी तिमाही में 982 मिलियन डालर की कमाई की है जो पिछले साल की तुलना में 116.25 फीसदी ज्यादा है।

स्नैपचैट (फोटो- सोशल मीडिया)

- 75 फीसदी अमेरिकी युवा स्नैपचैट इस्तेमाल करते हैं।

- स्नैपचैट के 67.58 दैनिक एक्टिव यूजर अमेरिका के बाहर के हैं।

- भारत में स्नैपचैट यूजर एक करोड़ से ज्यादा हैं और ये संख्या अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है।

- स्नैपचैट के अमेरिकी यूजर्स में 65 फीसदी 15 से 29 साल के हैं। 30 साल के ज्यादा के यूजर्स 25 फीसदी से भी कम हैं।

- रोजाना 5 अरब स्नैप (पोस्ट्स) बनाये जाते हैं।

टिकटॉक

टिकटॉक की शुरुआत 2016 में हुई थी और ये ऐप चीन में दौयिन के नाम से चलता है। सिर्फ चार साल में टिकटोक ने दुनिया के सभी सोशल मीडिया यूजर्स में से एक तिहाई को अपने हिस्से में कर लिया है। सिर्फ चार साल में टिकटॉक ऐप तीन अरब से भी ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। ये आंकड़ा हासिल करने में फेसबुक और इन्स्ताग्राम को दस साल लग गए थे।

टिकटॉक (फोटो- सोशल मीडिया)

- टिकटॉक के दैनिक एक्टिव यूजर्स की संख्या एक अरब है।

- दुनिया भर में इन्टरनेट का इस्तेमाल करने वाले 4.8 अरब लोगों में से 20.83 फीसदी लोग टिकटोक के यूजर हैं। दुबिया के कुल एक्टिव सोशल मीडिया यूजर्स हैं 4.48 अरब लोग जिनमें से 22.32 फीसदी लोग नियमित रूप से टिकटोक प्रयोग करते हैं।

- दुनिया भर में टिकटॉक पर औसतन एक यूजर रोजाना 52 मिनट बिताता है। इसके 90 फीसदी यूजर रोजाना इसका इस्तेमाल करते हैं।

- टिकटॉक पर औसतन सेशन टाइम 10.85 मिनट है। दुनिया के किसी भी सोशल मीडिया ऐप में ये सर्वाधिक है।

- अमेरिका में टिकटोक के 47.4 फीसदी यूजर 10 से 29 साल की उम्र वाले हैं। 40 साल से ज्यादा के यूजर्स सिर्फ 31.3 फीसदी हैं।

Chitra Singh

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