Facebook Face Recognition System: फेसबुक बंद करने जा रहा अपना 'फेस रिकग्निशन सिस्टम', डिलीट करेगा 1 अरब से ज्यादा लोगों का डाटा

फेसबुक ने अपने हालिया बयान में कहा है, कि वह चेहरा पहचानने की प्रणाली यानी 'फेस रिकग्निशन सिस्टम' (Face Recognition System) को बंद करेगा। फेसबुक एक अरब से भी ज्यादा लोगों का फेस प्रिंट डिलीट भी करेगा।

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By aman
Published on: 3 Nov 2021 8:13 AM GMT
Facebook Face Recognition System: फेसबुक बंद करने जा रहा अपना फेस रिकग्निशन सिस्टम, डिलीट करेगा 1 अरब से ज्यादा लोगों का डाटा
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Facebook Face Recognition System: सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक (Facebook) ने अपने हालिया बयान में कहा है, कि वह चेहरा पहचानने की प्रणाली यानी 'फेस रिकग्निशन सिस्टम' (Face Recognition System) को बंद करेगा। इतना ही नहीं फेसबुक एक अरब से भी ज्यादा लोगों का फेस प्रिंट डिलीट भी करेगा। फेसबुक के इस कदम की जानकारी तब आ रही है जब दुनियाभर में इस तकनीक को लेकर चिंता जताई जा रही है। बता दें, कि इस 'फेस रिकग्निशन सिस्टम' वैसी तकनीक है जिसमें फोटो और वीडियो के जरिए लोगों की पहचान आसानी से हो जाती है।

इस हालिया कदम के बारे में फेसबुक की नई पैरेंट कंपनी 'मेटा' (Meta) के वाइस प्रेसिडेंट जेरोम पेसेंटी (Jerome Pesenti) ने कल यानी मंगलवार (02 नवम्बर 2021) को अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा, 'यह बदलाव टेक्नोलॉजी के इतिहास में फेस रिकग्निशन की उपयोगिता को लेकर बड़ा और अहम बदलाव का प्रतिनिधित्व करेगा।' उन्होंने कहा, कि इस नए बदलाव को आने वाले हफ्तों में रोल आउट किया जाएगा।

क्या होगा बदलाव?

अपने इस नए बदलाव के तहत फेसबुक लोगों को फोटो और वीडियो में टैग करने के लिए 'फेशियल रिकॉग्निशन एल्गोरिदम' का इस्तेमाल बंद करेगी। इसके साथ ही, कंपनी लोगों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल आने वाली फेशियल रिकग्निशन टेम्पलेट को भी डिलीट कर देगी। कंपनी ने कहा कि कंपनी इस नए बदलाव के तहत एक अरब से ज्यादा लोगों के व्यक्तिगत फेशियल रिकग्निशन टेम्पलेट्स डिलीट करेगी। कंपनी ने एक पोस्ट में कहा है, कि फेसबुक के डेली एक्टिव यूजर्स में से 600 मिलियन से ज्यादा अकाउंट्स फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को यूज करते हैं। फेसबुक फोटो या वीडियो में अब ऑटोमैटिकली लोगों के चेहरों को पहचान नहीं पाएगा।

ब्लाइंड लोगों के इमेज डिस्क्राइब में करती है इस्तेमाल

जानकारों का मानना है कि फेसबुक द्वारा किए जा रहे इस नए बदलाव से 'ऑटोमैटिक ऑल्ट टेक्स्ट' तकनीक पर भी असर पड़ेगा। फेसबुक अब तक इसका इस्तेमाल दृष्टि बाधित या ब्लाइंड लोगों के इमेज डिस्क्राइब करने में करती रही है। फेस रिकग्निशन तकनीक पर निर्भर फेसबुक सर्विसेज को आने वाले हफ्तों में हटा दिया जाएगा।

कंपनी ने हाल ही में बदला है नाम

उल्लेखनीय है कि हाल ही में फेसबुक ने अपना नाम बदलने की बात कही थी। कंपनी ने कहा था, कि अब वह अपना नाम बदलकर 'मेटा' रख रही है। साथ ही उसने कहा था, कि वह इंटरनेट के सफर में कल्पनाशीलता को बढ़ावा देने के लिए तकनीक के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगी। इस फैसले के ठीक बाद कंपनी ने अब फेस रिकग्निशन सिस्टम को बंद करने का फैसला लिया है।

...ताकि हो तकनीक का सकारात्मक उपयोग

इस संबंध में जेरोम पेसेंटी ने लिखा है कि फेसबुक के एक्टिव उपभोक्ताओं में से एक तिहाई से ज्यादा लोगों ने हमारी 'फेस रिकग्निशन सिस्टम' सेटिंग को स्वीकार किया है। इसे हटाने का मतलब होगा, कि एक अरब से भी ज्यादा लोगों के चेहरा पहचानने के टेंपलेट को डिलीट किया जाएगा। पेसेंटी ने आगे कहा, कि फेसबुक लोगों की बढ़ती चिंताओं के बीच तकनीक का सकारात्मक उपयोग को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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