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काबिल-ए-तारीफ : मेहनत के बल पर बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत

raghvendra
Published on: 19 Jan 2018 8:04 AM GMT
काबिल-ए-तारीफ :  मेहनत के बल पर बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत
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तेज प्रताप सिंह

गोंडा। सुविधाओं का अभाव, गंदगी और अव्यवस्थाओं का अंबार सरकारी स्कूलों की पहचान बन चुका है मगर जिले के धौरहरा प्राथमिक विद्यालय को देखकर आपकी धारणा पूरी तरह बदल जाएगी। यहां के प्रधानाध्यापक रविप्रताप सिंह ने अपनी मेहनत के बल पर महज चार साल में इस विद्यालय को कॉन्वेंट स्कूल की टक्कर में ला खड़ा कर दिया है। सरकार के सीमित संसाधनों के बावजूद यहां के बच्चे टाई, बेल्ट व आईकार्ड से लैस हैं। सीसीटीवी कैमरे, ब्राड बैंड, वाईफाई, डिजिटल लाइब्रेरी, बड़ी एलईडी एवं डीटीएच की सुविधा से लैस इस विद्यालय में डिजिटल पढ़ाई हो रही है।

कर्नलगंज तहसील के मुंडेरवा निवासी रवि प्रताप सिंह ने महज चार साल में परिषदीय प्राथमिक विद्यालय धौरहरा को कॉन्वेंट स्कूल के स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है। हिन्दी में परास्नातक रवि प्रताप सिंह ने 24 अगस्त 2013 को जब यहां की जिम्मेदारी संभाली तो टूटी फर्श और दीवारों के उखड़े प्लास्टर ने उन्हें झकझोर दिया। तब से संकल्प लेकर वह बदलाव में जुट गए।

पहले स्कूल को दुरुस्त कराकर रंगरोगन कराया और कान्वेंट सरीखी क्लास बनाई। उस वक्त यहां 138 छात्र-छात्राएं थे मगर अब यहां 283 बच्चे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए कुल छह शिक्षक तैनात हैं। रवि प्रताप ने अपने वेतन से दो लाख रुपये खर्च कर यहां तीन कम्प्यूटर व प्रोजेक्टर लगाए और स्मार्ट क्लासेज शुरू कीं। नतीजा शिक्षक दिवस पर रवि प्रताप को आदर्श शिक्षक और स्कूल को आदर्श विद्यालय का पुरस्कार दिया गया। अब पूरा गांव उन्हें भइयाजी कहकर बुलाता है। वर्तमान में विजय लक्ष्मी विश्वकर्मा, भालेन्द्र कुमार सिंह, मोनिका सिंह, सीमा सिंह और रामकुमार सिंह भी बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाते हैं।

समर कैंप में दी जाती है विविध जानकारी

प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह कहते हैं कि समर कैम्प में छात्रों की प्रतिभा निखारने का काम किया जाता है। बबल पेंटिंग जैसी आधुनिक चीजों से भी छात्रों को रूबरू कराया जा रहा है। सुबह दो घंटे पाठ्यक्रम पूरा कराया जाता है और फिर शुरू होती हैं पाठ्य सहगामी क्रियाएं। जल संचयन, जीव-जंतु संरक्षण, पर्यावरण सुधार एवं संरक्षण, पौधरोपण, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दिवसों के आयोजन सहित तमाम आयाम धौरहरा प्राथमिक विद्यालय में संचालित हो रहे हैं।

अमूमन समर कैंप प्राइवेट स्कूलों में ही होते हैं, लेकिन इस सरकारी स्कूल में अनोखा समर कैंप चलता है। प्रधानाध्यापक अवकाश में भी स्कूल आते हैं। समर कैम्प में छात्रों को लीडरशिप की ट्रेनिंग दी जाती है। पियर कोचिंग के अंतर्गत कंप्यूटर सीख चुके छात्र नए व कमजोर छात्रों को कंप्यूटर सिखाते हैं। छात्रों को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने के लिए भजन और लोकगीत भी सिखाये जाते हैं। निबंध प्रतियोगिता और पोस्टर पेंटिंग कराई जाती है और अंग्रेजी की क्लास चलती है।

अमेरिकी टीम ने सराहा

अमेरिकी संस्था टर्टेल सर्वाइकल एलायंस (टीएसए) टीम में अमेरिका के साउथ केरोलीना के एनीमल केयर यूनिट हेड क्रिश हेगन ने तराई भारत के कोआर्डिनेटर भास्कर दीक्षित, जन्तु वैज्ञानिक अरुणिमा सिंह और प्रोजेक्ट सहायक महेन्द्र प्रताप सिंह समेत चार सदस्यीय टीम के साथ पहुंचकर विद्यालय की शैक्षिक गतिविधियों, विद्यालय के मॉडल आदि की जानकारी ली और शिक्षा के प्रति जागरूकता देखकर खूब सराहा।

यूके की संस्था ने लिया गोद

द यूनाइटेड किंगडम्स इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन फॉर कल्चरल रिलेशन एंड एजुकेशनल आपर्चुनिटीज संस्था ने विद्यालय को गोद ले लिया है। ब्रिटेन की इस संस्था ने स्कूल को अपग्रेड करने के लिए शिक्षकों और छात्रों के साथ ऑनलाइन संवाद शुरू किया है। इसमें शिक्षकों को पढ़ाने, बच्चों से व्यवहार आदि की जानकारी दी जाती है। रवि प्रताप सिंह बताते हैं कि छात्रों को कैसे रिलैक्स किया जाए, इस बाबत लेसन प्लान पर गाइडलाइन मिलती है।

अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक सप्ताह 14 से 18 नवम्बर तक मनाया जाता है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एंव प्रशिक्षण परिषद धौरहरा स्कूल का अध्ययन करेगी। इसकी प्रस्तुति के लिए केंद्रीय शैक्षिक प्राद्योगिकी संस्थान के प्रमुख ने स्कूल के प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह को आमंत्रित किया। पूरे प्रदेश से बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों की आठ सदस्यीय टीम कार्यक्रम में भाग लेगी। देवीपाटन मंडल से इसी विद्यालय को मौका दिया गया है।

हांगकांग के शोध छात्रों ने सराहा

प्राथमिक विद्यालय धौरहरा के गतिविधियों की गूंज हांगकांग तक जा पहुंची है। तभी तो हांगकांग के विश्वविद्यालय के शोध छात्र भी इसे अपने शोध में शामिल करने के लिए धौरहरा पहुंचे। हांगकांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ता स्मार्ट प्राइमरी स्कूल धौरहरा पहुंचकर छात्र-छात्राओं के क्राफ्ट वर्क,स्मार्ट क्लास देखकर दंग रह गए। उन्होंने इसके लिए प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह को बधाई दी। वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी के सौरभ सिंह ने कहा कि यदि ऐसे ही स्कूल और हो जाएं तो देश सुधर जाए।

छात्रों के साथ मिलकर बनाई मैथ की किट

धौरहरा विद्यालय ने अनूठे कार्य के लिए एक बार फिर सुर्खियों में तब आया जब रवि प्रताप सिंह ने स्कूल के छात्रों के साथ मिलकर मैथ की किट बना डाली। रवि प्रताप ने बताया कि किट तैयार करने के लिए गत वर्ष से तैयारी चल रही थी। सामग्री उपलब्ध होते ही इस पर काम शुरू कर दिया गया। मैथ किट को तैयार करने से पहले बेसिक शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया। उन्होंने बताया कि तैयार की गई मैथ किट की बराबरी बाजार में बिकने वाली मैथ किट कभी नहीं कर पाएगी।

बाजारू किट हमारे संपूर्ण पाठ्यक्रम को कवर नहीं करती। यह सरकारी स्कूल प्रदेश का पहला डिजिटल प्राथमिक विद्यालय है। यही कारण है कि यहां एक घंटे में 64 बच्चों ने एडमीशन लिया। इस विद्यालय में अपने बच्चे का दाखिला दिलाना यहां के लोग अपना सौभाग्य समझ रहे हैं।

ऐसे शिक्षक पर गर्व

जिलाधिकारी जेबी सिंह कहते हैं कि मैं बीएसए संतोष कुमार देव पांडेय के साथ स्कूल गया था। वहां बच्चों की शैक्षिक स्थिति बहुत अच्छी है। परिवेश देखकर बहुत अच्छा लगा। हमें ऐसे अध्यापक पर गर्व है। जिले के दूसरे अध्यापकों को इसी प्रकार कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यहां जमीन न होने से अतिरिक्त कक्ष नहीं बन पा रहा है। भूमि उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।

स्कूल में चलती है हाईटेक क्लास

2016 में बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से स्कूलों नवंबर तक किताबों का वितरण नहीं किया जा सका। इसके बाद प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह ने अपनी हाईटेक क्लास से मुश्किल को दूर कर दिया। उन्होंने कक्षा एक से पांच तक की सभी किताबों के पन्नों को स्कैन पर कंप्यूटर में सेव कर लिया। अब बच्चे लैपटाप और प्रोजेक्टर के जरिये इसी से पढ़ते हैं। यही नहीं, बेसिक शिक्षा परिषद के साथ ही एनसीआरटी की किताबों को भी सेव कर लिया गया है। बिजली की दिक्कत को देखतेे हुए विद्यालय में सोलर पैनल भी लगवा दिए हैं।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए मशहूर इस विद्यालय में प्रधानाचार्य के प्रयासों से अब विद्यालय की वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट धौरहरा स्कूल डॉट इन पर विद्यालय की समस्त जानकारियों को अपलोड किया गया है। गत दिनों जिलाधिकारी जेबी सिंह ने विद्यालय की वेबसाइट लान्च की। डीएम ने विद्यालय परिसर में दीवार पर पेंटिंग भी बनाई। प्रधानाध्यापक रविप्रताप सिंह ने बाल दिवस पर स्कूल को ब्राडबैंड से लैस किया। अब पूरा परिसर वाईफाई सेवा से लैस हो गया है। डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से दुनिया भर की पुस्तकों को भी पढ़ा जा सकता है। छात्रों को सिखाने के लिए पियर ग्रुप बनाया गया है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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