×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

दादी का चश्मा: रिश्तों की अहमियत समझाती है दादी और पोते की यह कहानी

Grandma Story: आइये जानते हैं रिश्तों की अहमियत समझाती इस कहानी को।

Rajat Verma
Report Rajat VermaPublished By Ragini Sinha
Published on: 5 May 2022 4:22 PM IST
Social media
X

दादी की कहानियां (Social media)

Grandma Story: "बच्चों को बचपन में मां-बाप के सहारे की जितनी ज़रूरत होती है, उससे कहीं ज़्यादा मां-बाप को बुढ़ापे में अपने बच्चों के सहारे की ज़रूरत होती है", यह वाक्य जीवन के हर मायने और हर अध्याय में एकदम खरा साबित होता है। यह वाक्य मात्र कहने भर का नहीं है बल्कि हमने ना जाने इसके कितने ही सार्थक प्रमाण देखे हैं।

इसीलिए हमें जीवन के हर कदम पर हमेशा अपने माँ-पिता के साथ खड़े रहना चाहिए, उन्हें कभी भी इस बात का एहसास तक नहीं होना चाहिए कि उनके बच्चे उनके साथ नहीं हैं। बचपन हो या जवानी, मां-बाप का साया बना रहना बेहद ही आवश्यक है।


मां-पिता और बच्चों के बीच रिश्ते की ना जाने कितनी ही कहानियां लिखी गई हैं और हमने उनमें से अधिकतर पढ़ी भी हैं, लेकिन आज हम आपके लिए एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जो मां-बेटे के रिश्ते के बीच गूंथी गई है।

इस कहानी में मां सुई है तो बेटा कपड़ा लेकिन एक सुई के साथ कपड़े को जोड़ने का काम हमेशा एक धागा करता है, जो कि हमारी कहानी में छोटा और मासूम रोमी है। रोमी अपनी दादी से बहुत प्यार करता है और इस मासूम उम्र में होते हुए भी रोमी माता-पिता की महत्वता को भली-भांति उजागर करता है।


रोमी जितना अपनी दादी से प्यार करता है, उसकी दादी भी उसे उतना ही दुलार देती हैं। बस रोमी की कम उम्र के चलते उससे हरेक बात साझा नहीं कर पाती लेकिन रोमी देखते-सुनते सबकुछ समझ जाता है।

आइये पढ़ते हैं इस प्यार और दुलार भरे रिश्तों की अहमियत समझाती इस कहानी को-

"दादी का चश्मा टूट गया" इस बार रोमी जोर से चिल्लाता हुआ बोला।

"टूट गया तो कौन सी आफ़त आ गई। बन जाएगा नया… अभी मेरे डायलॉग मिस मत करवा" कहते हुए मम्मी वापस टीवी देखने लगी।

रोमी सकपका गया। उसकी हिम्मत नहीं पड़ी कि वह मम्मी से चश्में के बारें में दुबारा बात करे।

वह कमरे से बाहर निकल गया पर मम्मी इतनी जोर से बोली थी कि दादी तक उनकी आवाज़ पहुँच गई थी।

दादी ने देखा कि रोमी मुँह लटकाये हुए उन्हीं की ओर चला आ रहा था।


"दादी…" कहते हुए रोमी ने उनका हाथ पकड़ लिया।

दादी का गला भर्रा गया और उनकी आँखें भर आई।

रोमी की हथेली पर दो बूँद आँसूं टपक गए।

"आप क्या चश्में के लिए रो रही हो"? रोमी ने दुखी होते हुए पूछा।

दादी आठ साल के रोमी को भला क्या समझाती इसलिए रोमी के सिर पर हाथ फेरते हुए रुंधे गले से बोली – "मैं भला क्यों रोने लगी। वो तो कई बार बिना चश्मे के आँखों में पानी आ जाता है"।


रोमी ने दादी के उदास चेहरे की तरफ़ देखा तो उसने अपनी नन्ही हथेली से दादी के आँसूं पोंछते हुए कहा – "चश्मा टूटने के कारण आप रामायण भी नहीं पढ़ पाई पर आप चिंता मत करो में आपको पढ़कर सुनाऊंगा"।

दादी ने रोमी को सीने से भींच लिया और पल भर में ही ना जाने कितने आशीर्वाद दे डाले"।

रोमी ने बिना कुछ कहे टूटा हुआ चश्मा दादी के सिरहाने रख दिया और रामायण उठा ली।

तभी वहाँ पर मम्मी आ गई।

रोमी के हाथ में रामायण देखते ही मम्मी गुस्से से बोली – "तुम्हारा होमवर्क तो पूरा हुआ नहीं है और तुम रामायण लेकर क्यों बैठ गए हो"?

"दादी का चश्मा टूट गया है ना इसलिए उन्हें रामायण सुनाने जा रहा था" रोमी बोला।

मम्मी ने गुस्से से आग बबूला होते हुए दादी की तरफ़ देखा और कहा – "रोमी तो बच्चा है पर आप तो उसे मना कर सकती है ना कि वह पहले अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे और उसके बाद इधर उधर के काम करे"।

दादी सन्न रह गई।

वह किसी अपराधी की तरह सिर झुकाकर बैठ गई।

अपनी सफ़ेद साड़ी से आँखें मसलते हुए वह बोली – "मुझे तो पता ही नहीं कि किसके हाथ में रामायण है। तुम्हें तो पता है ना कि मोतियाबिंद के कारण मुझे बिना चश्में के कुछ साफ़ नजर ही नहीं आता है"।

"चश्मा… चश्मा… पता है कि आपका चश्मा टूट गया है। अभी दस मिनट भी हुए नहीं है चश्मा टूटे और नाक में दम कर कर रख दिया है सबने"।

रोमी गुस्से से बोला – "मम्मी, मैं पापा से आपकी शिकायत करूंगा कि आप हर समय दादी पर चिल्लाया करती हो"।

मम्मी ने रोमी के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया और उसके हाथ से रामायण खींच कर मेज पर रख दी। रोमी रोता हुआ अपने कमरे में भाग गया और कुछ देर बाद ही सो गया।

शाम को जब वह सोकर उठा तो उसे बाहर के कमरे से पापा के बोलने की आवाज़ सुनाई दी।

वह दौड़ते हुए पापा के पास पहुँचा।

पापा ने उसे देखते ही गले से लगा लिया और बोले-"देखो, मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ"।

रोमी ने देखा कि सोफ़े पर लाल रंग का एक सुन्दर सा क्रिकेट बैट रखा हुआ था।

रोमी ख़ुशी से उछल पड़ा।

बैट को देखते ही रोमी अपना सारा दुख दर्द भूल गया और अपने दोस्तों को दिखाने के लिए तीर की तरह घर से बाहर निकल गया।

दोस्तों के साथ खेलकर जब थोड़ देर बाद वह लौटा तो मम्मी-पापा किसी बात पर हँस रहे थे।

मम्मी उसे देखते ही बोली – "पता है, तुम्हारे पापा हमें घुमाने के लिए तुम्हारी मनपसंद जगह मसूरी ले जा रहे हैं"।

मसूरी का नाम सुनते ही रोमी खुशी के मारे उछल पड़ा और बोला – "अरे वाह, वहाँ तो बहुत मज़ा आएगा। हम सब एक दूसरे को बर्फ़ के गोले फेंककर मारेंगे"।

मम्मी मुस्कुराते हुए बोली – "अब चलो जल्दी से सब खाना खा लेते हैं। कल पैकिंग भी करनी है। हम परसों सुबह ही निकलेंगे"।

तभी रोमी को तुरंत ही दादी के चश्मे का ध्यान आया और वह बोला – "पापा, दादी का चश्मा टूट गया है"।

"अरे, तो तुम्हें मुझे दिन में ही फोन करके बता देना चाहिए था" पापा ने कहा।

रोमी ने मम्मी की ओर देखा पर वह बिना कुछ बोले ही किचन में चली गई।

पापा कुछ सोचते हुए बोले – मसूरी से वापस लौट कर उनका चश्मा बनवा देंगे"।

"पर दादी को तो बिना चश्मे के कुछ भी नहीं दिखाई देता है" रोमी परेशान होता हुआ बोला।

"तो तेरी दादी को कौन सी नौकरी करनी है। चार-पाँच दिनों की ही तो बात है" मम्मी ने चाय का कप पापा के आगे रखते हुए कहा।

रोमी ने आश्चर्य से मम्मी की ओर देखा। उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि टीवी सीरियल पर किसी का दुख देखकर घंटों रोने वाली मम्मी को सामने बैठी दादी की परेशानी नहीं दिखाई दे रही।

जब मम्मी पापा खाना खाकर सो गए तो रोमी दादी के पास जाकर बोला – "दादी, मीना आंटी तो काम करने के दिन में आएँगी पर रात में, अंधेरे में आपको अकेले डर तो नहीं लगेगा"?

दादी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली – "बेटा, क्या अंधेरा और क्या उजाला, मुझे तो सब कुछ बहुत ही धुंधला नजर आता है तो क्या दिन और क्या रात"।

दादी की बात सुनकर रोमी से कुछ नहीं कहा गया और वह उनके पैर छूकर सोने चला गया।

अगली सुबह जब वह पापा के साथ बैठा था तो पापा बोले – "इस बार तुम्हारे जन्मदिन पर हम सब अनाथालय चलेंगे और वहाँ रहने वाले बच्चों को फल और मिठाई बाटेंगे"।

"अनाथालय क्या होता है" रोमी ने पूछा?

"जिनके मम्मी-पापा नहीं होते हैं उन्हें अनाथ कहा जाता है" पापा बोले।

"तो पापा, फ़िर तो आप भी अनाथ हुए" रोमी पापा को देखते हुए बोला।

पापा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। वह रोमी को चाँटा मारने वाले थे कि मम्मी बीच में आते हुए बोली, "दिखता नहीं है कि तेरी दादी हैं जो तेरे पापा की मम्मी है तो पापा अनाथ कैसे हुए"?

रोमी भरभराकर रो पड़ा और सिसकते हुए बोला – "अगर दादी, पापा की मम्मी होती तो पापा कभी भी उन्हें इतने बड़े घर में अकेला छोड़कर नहीं जाते और उनका चश्मा भी बनवा देते। जबकि आप सबको पता है कि दादी को बिना चश्मे के कुछ भी नहीं दिखाई देता है। उन्हें अकेला छोड़कर हम सब सैर सपाटे के लिए मसूरी जा रहे हैं"।

पापा के हाथ से पानी का गिलास छूट गया और काँच के टुकड़े चारों और बिखर गए। मम्मी ने पापा की तरफ़ देखा पापा सिर झुकाए दादी के कमरे की ओर जा रहे थे।

मम्मी ने रोमी को कसकर भींच लिया और बोली – "मुझे माफ कर दो बेटा, पता नहीं मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई"।

दादी के कमरे में पापा दादी की गोद में सिर रखकर बच्चों की तरह रो रहे थे और दादी उन्हें ढेरों आशीर्वाद देते हुए अपने आँसूं पोंछ रही थी।

माता पिता की जरूरत हमें बचपन में जितनी होती है, उतनी ही जरूरत उनको बुढ़ापे में हमारी होती है.......!

रोटी कमाना बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात है - परिवार के साथ बैठकर रोटी खाना।



\
Ragini Sinha

Ragini Sinha

Next Story