Maa Shayari: माँ अपनी एक सांस देकर, तुमने शुरू किया मेरी जिंदगी, मेरा संसार....

Maa Shayari: मां के प्यार को कुछ शब्दों में बयां करना कठिन है। इस दुनिया में मां से अधिक प्यार और कोई कर ही नहीं सकता। मां पर कुछ लिखना आसान नहीं है।

Kamlesh Mishra
Written By Kamlesh MishraPublished By Deepak Kumar
Published on: 17 May 2022 3:52 PM GMT (Updated on: 17 May 2022 6:33 PM GMT)
maa quotes in hindi
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 maa quotes in hindi (Photo - Social Media)

Maa Shayari in Hindi: मां के प्यार को कुछ शब्दों में बयां करना कठिन है। इस दुनिया में मां से अधिक प्यार और कोई कर ही नहीं सकता। मां हमारे और आपके जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को हटाती है। मां हमारे बारे में सबकुछ जानती है, बिना बताए ही हमें क्या चाहिए मां समझ जाती है। मां बिना थके अपने बच्चों की सभी इच्छा पूरा करना चाहती है। हमें एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करती है। खुद संकट में रहकर भी हमें हमेशा खुश देखना चाहती है। मां पर कुछ लिखना आसान नहीं है। फिर भी हमें उम्मीद है कि मां की ममता पर लिखी ये चंद पंक्तियां आपको काफी पसंद आएगी।

माँ अपनी एक सांस देकर

तुमने शुरू किया मेरी जिंदगी, मेरा संसार

तुम्हारी कला का मूर्त रूप जीवन का तुम्ही हो लक्ष्य, शेष सब विवरण है।

संसार की पूरी आस्था

जीवन का सम्पूर्ण प्रेम

असीम कल्पना विस्तार

गूंथ कर सकारात्मकता में

बनता है मां का स्वरुप।

प्रकृति स्वतः स्थापित करती है

विश्व का अकेला सम्बन्ध मातृत्व

अभेद्य सुरक्षा का असीम संबल सम्पूर्ण सतयोग

जिसमें असेत नहीं कुछ भी जिसका अभाव होवे

ईश्वर प्रदत्त ऐसा साम्राज्य।

जिसमें सेंध नहीं लग सकता।

बज्र की ऐसी अद्भुत दीवार

जिसके बहुत बाहर तक है

पंख फैलाने की पूरी आजादी।

क्या समझ पाएगी तुम्हारे अव्ययों को

आयुषी या यांत्रिकी या कोई विज्ञान।

सारा ज्ञान तुम्हारी स्तुति, सारे दृश्य तुम्हारे रूप।।

सारी शक्ति तुम्हारा वाङ्गमय, तू ही चिन्मय रूप

नखन सिख ह्रदय से ही बनी महादेवी

तर्क और न्याय को अवान्तर करती देवी।।

जब भी मैं झुकता हूँ

तू ही होती है मेरे समक्ष

जब भी मुड़ता हूँ, तू मेरे आगे होती है।

सबकुछ है मेरे पास

तुम्हारा दिया

और उसीके नितांत आस-पास

तुम्हारा भरोसा तुम्हारी दुआ

अनगिनत सपने

तीखी डांट और मीठी दुलार

मेरी मुक्ति को भी अब कर दो साकार

संवारो मेरा जीवन संघर्ष

पिघला दो मेरा दर्द स्निग्ध दृष्टि से

पुनर्जीवन दो एक बार फिर।।


लेखक- कमलेश मिश्रा

Deepak Kumar

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