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महाश्वेता देवी को श्रद्धांजलि देते हुए सुषमा ने की गलती, फिर क्या हुआ
लखनऊ: बांग्ला की जानी-मानी साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का गुरुवार को निधन के बाद सोशल साइट्स पर श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ आ गई है। पीएम मोदी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी महाश्वेता देवी के लिए ट्वीट किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी दुख जताते हुए ट्विटर का सहारा लिया। लेकिन यह उन्होंने गलती कर दी।
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सुषमा स्वराज ने अपने ट्वीट में महाश्वेता देवी की जिन किताबों का जिक्र किया था वह उनके द्वारा लिखी ही नहीं गई थी। वे किताबें आशापूर्णा देवी ने लिखी थीं। जिन किताबों के नाम गलत लिखे गए थे उनका नाम Pratham Pratishruti और Bakul Katha था। हालांकि, बाद में ट्वीट को डिलीट कर दिया गया था, लेकिन तब तक यह ट्वीट वायरल हो गया और लोगों ने इस पर जमकर चुटकी ली।
मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का बुधवार की रात निधन हो गया था। वह 90 साल की थी। महाश्वेता देवी लंबे समय से बढ़ती उम्र में होने वाली समस्याओं से पीड़ित थीं। उन्हें लंबे समय से किडनी और ब्लड इन्फेक्शन की समस्या थी। महाश्वेता देवी का पिछले काफी समय से कोलकाता के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था।
माता पिता भी थे साहित्यकार
-महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 में अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था।
-महाश्वेता देवी के पिता मनीष घटक एक प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार थे।
-महाश्वेता देवी की माता धारात्री देवी भी एक लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं।
साल 1956 में प्रकाशित हुई पहली रचना
-महाश्वेता देवी की पहली रचना ‘झांसी की रानी’ साल 1956 मे प्रकाशित हुई थी।
-महाश्वेता देवी का पहला उपन्यास ‘नाती’ साल 1957 में प्रकाशित हुआ था।
कई पुरस्कारों से नवाजा गया
-महाश्वेता देवी को साल 1996 में ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
-साल 1977 में महाश्वेता देवी को ‘मेग्सेसे पुरस्कार’ और साल 1979 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ मिला।
-महाश्वेता देवी को साल 1986 में ‘पद्मश्री’ और साल 2006 में ‘पद्मविभूषण’ सम्मान प्रदान किया गया।
आदिवासियों के जीवन को समझाया
-महाश्वेता देवी आदिवासियों के जीवन पर बहुत लिखती थीं।
-वह आदिवासियों के बीच काम करती रहीं।