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छोटा डंक-बड़ी बीमारी, घर को रखें साफ-सुथरा, नहीं होगा मच्छर का खतरा
लखनऊ: हम लोगों को जागरुक करने और खुद में आत्म विश्वास को भरने के लिए कोई ना कोई दिवस मनाते है। उसी श्रृंखला में विश्व मच्छर दिवस मनाया जा रहा है। देश में ज्यादातर बीमारिया मच्छरों के चलते होती है, क्योंकि ये मच्छर बड़े पैमाने पर लोगों को हानि पहुंचाते है। यही कारण है हर भारतीय इन मच्छरों से परेशान रहता है। डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां दिन में काटनेवाले मच्छरों से फैलती है।
हर साल हजारों लोगों की जाती है जान
डेंगू और मलेरिया के चलते देश में हर साल हजारों लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ता है। इन सब के पीछे होता है मच्छर और उसके पीछे होती है जहां -तहां फैली बेतरतीब गंदगी जो मच्छर को दस्तक देने के लिए पर्याप्त है ।
इसकी शुरुआत
साल 1897 में लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के डॉ. रोनाल्ड रॉस द्वारा इसकी शुरुआत की गईथी , और न्यू जर्सी स्थित संस्था अमेरिकी मच्छर कंट्रोल एसोसिएशन ने मलेरिया के संचरण की खोज का पूरा श्रेय उन्हें ही दिया! इस उपलब्धि की बदौलत उन्हें साल 1902 में चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था !
लोगों को जागरूक करने की पहल
इस विश्व मच्छर दिवस के अवसर पर देश के हर कोने से मच्छरों का सफाया करने का अभियान शुरू करने का संकल्प लिया जाता है। पिछले साल इस दिन एक ऐप भी लांच किया गया, जो क्षेत्र विशेष में डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे का स्तर बताता है। साथ ही हिट-ट्रैक द बाइट ऐप के बारे में भी बताएगा, जो लोगों को डेंगू के बारे में बताने में मददगार है।
घर के साथ आस-पास भी रखें साफ सुथरा।
सरकार इस दिन कई कार्यक्रमों की शुरुआत कर, लोगों को डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे से लड़ने के साथ परिजनों और दोस्तों को आवश्यक कदम उठाने की सलाह देती है। विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को आस-पास साफ-सुथरा रहने की सलाह दी जाती है। लोगों को भी अपने आस- पास के एरिया में मच्छर मारने वाली दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए। फिर ना तो मच्छर रहेगा ना उसका डंक और तब जाकर कही सही मायने में मच्छर दिवस को कर पाएंगे सार्थक।