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ए फेस टू फेस विद डॉ. किरण बेदीः साबित किया कुछ भी असंभव नहीं

किरण बेदी ने कहा कि मेरे जीवन का यही लक्ष्य रहा है कि कुछ भी असंभव नहीं होता कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं है जिसे पाया नहीं जा सके आवश्यकता है कठोर से कठोर परिश्रम की। टेनिस के खेलने मुझे कड़े परिश्रम व धैर्य का मूल्य सिखाते हुए यह सब भी दिया कि मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त होना जीवन में कितना मायने रखता है।

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Published on: 21 Aug 2020 1:55 PM IST
ए फेस टू फेस विद डॉ. किरण बेदीः साबित किया कुछ भी असंभव नहीं
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बेदी और नारायणसामी के बीच कई मुद्दों पर टकराव रहा है। राजनीतिक उथल-पुथल के बीच विपक्ष ने मौके का फायदा उठाया और नारायणसामी के इस्तीफा की मांग कि उनकी सरकार अल्पमत में हैं ।

लखनऊ। फिक्की फ्लो ने इस वर्ष देश की प्रख्यात महिलाओं के साथ बातचीत की एक श्रंखला शुरू की है यह कार्यक्रम उसी श्रृंखला की एक कड़ी है।

श्रृंखला के बारे में बताते हुए फ्लो की राष्ट्रीय अध्यक्ष जहान्वी फूकन ने कहा कि "एक महिला की सफलता अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

इस विचार को ध्यान में रखते हुए, हमने प्रख्यात महिला श्रृंखला शुरू की, जहां हम जीवन और सफलताओं से सीखते हैं। जो महिलाएं वास्तव में उल्लेखनीय हैं और जिन्होंने समाज में बदलाव किया है। आज हमारे बीच भारत की पसंदीदा बेटी, डॉ. किरण बेदी है जिनसे हमें सीखने के लिए यह बेहतर अवसर हैं। "

एक परिचय

डॉ किरण बेदी एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, पूर्व टेनिस खिलाड़ी और राजनीतिज्ञ हैं। वह पुडुचेरी की वर्तमान उपराज्यपाल हैं।

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वह पहली महिला भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं। 1972 में अपनी सेवा शुरू की। वह सामाजिक सक्रियता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 2007 में पुलिस महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के रूप में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से पहले 35 वर्षों तक सेवा में रहीं।

उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, दो स्वैच्छिक संगठन नवज्योति और इंडिया विजन फाउंडेशन की संस्थापक है। उन्होंने आप की कचहरी नामक टीवी शो की मेजबानी भी की है।

वह 2011 के भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थीं, और जनवरी 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं।

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22 मई 2016 को, बेदी को पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। यूं तो उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, उन्हें सेवाकाल में विशिष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति पदक मिला।

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एशिया के नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से वर्ष 1994 में किरण बेदी को सम्मानित किया गया यह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली वह देश की एकमात्र पुलिस अधिकारी हैं।

जब क्रेन बेदी कहा गया

प्रश्न उत्तर सत्र के दौरान, डॉ. बेदी ने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं, अपने परिवार, अपने टेनिस करियर, पहले आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने अनुभवों और एक सार्वजनिक प्रशासक के रूप में बात की।

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उन्होंने कई घटनाओं का जिक्र किया, जिसमें तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की कार सहित नई दिल्ली में यातायात विभाग में उनके कार्यकाल के दौरान गलत तरीके से खड़ी कारों को क्रेन से उठवाना शामिल था। इस वजह से दिल्ली में उन्हें क्रेन बेदी नाम से बुलाया जाने लगा।

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किरण बेदी ने अपने कॉलेज के दिनों में एक झलक भी साझा की, जहाँ वह अमृतसर में बाइक चलाने वाली एकमात्र महिला हुआ करती थी।

उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि सभी महिलाएं कड़ी मेहनत और समर्पण के माध्यम से अपनी क्षमता प्राप्त कर सकती हैं, आज की दुनिया में लिंग भेद की कोई भूमिका नहीं है।

ए फेस टू फेस विद डॉ. किरण बेदीः साबित किया कुछ भी असंभव नहीं

उपराज्यपाल ने लेखन के प्रति अपने जुनून और महिलाओं के खिलाफ अपराधों से लड़ने और नशीली दवाओं के उपयोग को खत्म करने के बारे में विस्तार से बात की।

कुछ भी असंभव नहीं

उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का यही लक्ष्य रहा है कि कुछ भी असंभव नहीं होता कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं है जिसे पाया नहीं जा सके आवश्यकता है कठोर से कठोर परिश्रम की। टेनिस के खेलने मुझे कड़े परिश्रम व धैर्य का मूल्य सिखाते हुए यह सब भी दिया कि मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त होना जीवन में कितना मायने रखता है।

डॉ. बेदी ने फिक्की फ्लो के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि फ्लो ने महिलाओं के सशक्तिकरण और विशेषकर उनके कौशल विकास मैं अपनी विशेष भूमिका अदा की है। यह कार्यक्रम एक साक्षात्कार प्रारूप में आयोजित किया गया।

फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर की अध्यक्ष पूजा गर्ग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि "डॉ. किरण बेदी की मेजबानी करना एक सम्मान की बात है, वे एक सशक्त महिला का सच्चा अवतार है, वह समाज को बदलने और ऐसे लोगों का उत्थान करने का काम करती है, जिन्हें हमारी मदद की जरूरत है।"

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उन्होंने अपनी उपस्थिति से फ्लो सदस्यों को जीवन में सफलता की ओर बढ़ने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय के लिए प्रेरित किया है। "

इस कार्यक्रम में पूरे भारत के सभी 17 अध्यायों के फ्लो सदस्यों ने भाग लिया।



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