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JNU के बाद बंगाल की सियासत में आयशी, CPM ने इस सीट से चुनाव में उतारा

जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ छिड़े आंदोलन के कारण आयशी घोष काफी चर्चाओं में रही हैं। पिछले साल जनवरी में इस आंदोलन के कारण जेएनयू में काफी दिनों तक माहौल गरम रहा था और विश्वविद्यालय प्रशासन को पुलिस का सहारा लेना पड़ा था।

Newstrack
Published on: 14 March 2021 5:33 PM GMT
JNU के बाद बंगाल की सियासत में आयशी, CPM ने इस सीट से चुनाव में उतारा
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पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रसंघ अध्यक्ष आयशी घोष भी किस्मत आजमाएंगी।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रसंघ अध्यक्ष आयशी घोष भी किस्मत आजमाएंगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने उन्हें पश्चिम वर्धमान जिले की जामुडिया विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। आयशी घोष जेएनयू की ऐसी पहली छात्रसंघ अध्यक्ष होंगी जो अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान ही चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगी।

दुर्गापुर की रहने वाली हैं आयशी

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार वाममोर्चा ने कांग्रेस और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ गठबंधन किया है। माकपा की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आयशी घोष को भी चुनाव में लड़ने के लिए टिकट दिया गया है। आयशी पश्चिम बर्धमान जिले के दुर्गापुर कस्बे की रहने वाली हैं और इसीलिए उन्हें जिले की जमुडिया विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। आयशी ने अपनी स्कूली शिक्षा भी यहीं से पूरी की है। मौजूदा समय में वे जेएनयू के स्कूल आफ इंटरनेशनल रिलेशंस से पीएचडी कर रही हैं।

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13 साल बाद लहराया था एसएफआई का परचम

आयशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद जेएनयू में दाखिला लिया था। वे सीपीएम के छात्र विंग स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की सक्रिय सदस्य हैं और एसएफआई के बैनर तले ही उन्होंने जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें कामयाबी मिली थी। आयशी ने 13 साल बाद जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर एसएफआई का परचम लहराया था।

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आंदोलन के कारण चर्चा में रहीं आयशी

जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ छिड़े आंदोलन के कारण आयशी घोष काफी चर्चाओं में रही हैं। पिछले साल जनवरी में इस आंदोलन के कारण जेएनयू में काफी दिनों तक माहौल गरम रहा था और विश्वविद्यालय प्रशासन को पुलिस का सहारा लेना पड़ा था। इस आंदोलन के कारण आयशी का नाम मीडिया की सुर्खियों में आ गया था। पुलिस ने उनके खिलाफ वसंत कुंज नॉर्थ थाने में एफआईआर भी दर्ज की थी। कोरोना काल के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं की वापसी के मुद्दे पर भी आयशी काफी मुखर रही थीं।

कई पूर्व अध्यक्ष सियासत में हुए सफल

जेएनयू छात्रसंघ के कई पूर्व अध्यक्ष सियासी मैदान में काफी सफल और चर्चित रहे हैं। ऐसे चेहरों में सीताराम येचुरी, प्रकाश करात, डीपी त्रिपाठी, चंद्रशेखर प्रसाद, तनवीर अख्तर, शकील अहमद खान और कन्हैया कुमार का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इनमें तनवीर अख्तर को छोड़कर बाकी सभी नेता लेफ्ट संगठनों से जुड़े रहे हैं। बिहार के रहने वाले तनवीर अख्तर ने एनएसयूआई उम्मीदवार के रूप में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष का चुनाव जीता था।

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कई सीटों पर ताकत दिखाएगा गठबंधन

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्य मुकाबला टीएमसी और भाजपा के बीच माना जा रहा है। टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए जोरदार तरीके से जुटी हुई है जबकि भाजपा ने उनके 10 साल के शासन का अंत करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। वाममोर्चा और कांग्रेस का गठबंधन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगा हुआ है। सियासी जानकारों का मानना है कि कई सीटों पर इस गठबंधन के उम्मीदवारों की स्थिति भी मजबूत है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि आयशी इस चुनाव में कैसा प्रदर्शन करती हैं।

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