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चीन का पैसा लेकिन कागजों में कहीं और का
भारत में चीन की कंपनियों का पैसा बड़ी मात्रा में लगा हुआ है लेकिन खास बात ये है कि पैसा लगाने वाली कंपनियाँ चीन में पंजीकृत ही नहीं हैं। टिक टॉक से...
नीलमणि लाल
लखनऊ: भारत में चीन की कंपनियों का पैसा बड़ी मात्रा में लगा हुआ है लेकिन खास बात ये है कि पैसा लगाने वाली कंपनियाँ चीन में पंजीकृत ही नहीं हैं। टिक टॉक से लेकर यूसी ब्राउज़र तक की कंपनी चीन में रजिस्टर्ड नहीं है।
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टिक टॉक और हेलो
17 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर वाले ये दोनों अत्यधिक लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप्स हैं जिनका संचालन बाइटडांस (इंडिया) टेक्नोलोजी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा होता है। भारत में टिक टॉक 61 करोड़ से ज्यादा बार डाउन लोड किया जा चुका है और ये संख्या टिक टॉक के कुल बेस की एक तिहाई है। भारत के बाद चीन का नंबर आता है जहां टिकटॉक दूसरे नाम से चलता है। तीसरी स्थान पर अमेरिका है। टिक टॉक की इतनी व्यापक धमक के बावजूद कमाई के मामले में भारत टॉप स्थान पर नहीं है। 2018-19 में बाइटडांस इंडिया ने 43.6 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जबकि 16 करोड़ डाउन लोड वाले देश अमेरिका में 650 करोड़ की कमाई हुई। चीन में टिक टॉक के 19 करोड़ 70 लाख यूजर हैं और वहाँ इसकी कमाई 2500 करोड़ रुपये हुई।
बाइट डांस की भारत के 8 शहरों में प्रशासनिक मौजूदगी है और इस कंपनी में एक हजार लोग काम करते हैं। मजे की बात है कि बाइटडांस इंडिया किसी चीनी मिल्कियत वाली कंपनी नहीं है। बाइटडांस के कारपोरेट स्ट्रक्चर के अनुसार बाइटडांस नाम वाली मूल कंपनी केमैन आईलैण्ड्स में रजिस्टर्ड है। मूल कंपनी की पाँच सहयोगी कंपनियाँ है जिनमें से एक का नाम टिक टॉक लिमिटेड है जो भी केमैन आईलैण्ड्स में रजिस्टर्ड है। टिक टिक लिमिटेड के नीचे सिंगापुर में टिक टॉक प्राइवेट लिमिटेड रजिस्टर्ड है और उसके नीचे भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया में संचालित हो रही अन्य कंपनियाँ पंजीकृत हैं।
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यूसीब्राउज़र और यूसी न्यूज़
ये दोनों हैं तो जैक मा की कंपनी अलीबाबा ग्रुप के प्लेटफार्म लेकिन इनका संचालन यूसी वेब मोबाइल प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी द्वारा होता है। यूसी वेब मोबाइल के भारत में 100 कर्मचारी हैं और 2018-19 में इस कंपनी ने 226.68 करोड़ रुपये की कमाई की थी। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ में दाखिल दस्तावेजों के अनुसार यूसी वेब मोबाइल प्राइवेट लिमिटेड की 99 फीसदी हिस्सेदारी यूसी मोबाइल न्यू वर्ल्ड के पास है जो ब्रिटिश विरजिन आईलैण्ड्स में स्थित है। वैसे भारत सरकार ने इस कंपनी के एफडीआई को चीन से आया पैसा माना है। इस कंपनी में 1 फीसदी हिस्सेदारी केमैन आईलैण्ड्स में रैजिस्टर्ड यूसी मोबाइल इंटरनेशनल लिमिटेड के पास है।
शेयर इट
इस लोकप्रिय फ़ाइल शेयरिंग टूल के भारत में 40 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर हैं। जबकि दुनिया भर में इसके 1.8 अरब यूजर हैं। भारत में इस ऐप का संचालन शेयरइट टेक्नोलोजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करती है जिसकी 2018-19 में कुल कमाई 14.73 करोड़ की थी। शेयर इट के ग्लोबल राजसव में भारत का योगदान 15 से 20 फीसदी है। इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हांगकांग स्थित शेयर इट एचके टेक्नोलोजी लिमिटेड के पास हैं।
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निवेश के अनेक रास्ते
निवेश में बढ़ती जटिलताओं के साथ, एक चीनी ब्रैंड की पहचान करना भी मुश्किल हो रहा है। गेटवे हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ चीनी फंड भारत में अपने निवेश को सिंगापुर, हांगकांग, मॉरीशस आदि में स्थित कार्यालयों के माध्यम से करते हैं, मिसाल के लिए, पेटीएम में अलीबाबा का निवेश अलीबाबा सिंगापुर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से किया गया है। ये भारत के सरकारी डेटा में चीनी निवेश के तौर पर दर्ज नहीं है। चीन के बहुत सारे हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक आइटम और होम यूटिलिटी प्रोडक्ट खुले बाजार में बिकते हैं, जिन पर कोई ब्रैंड नेम ही नहीं होता जिससे कि उनकी पहचान की जा सके।
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